"संवादी": अवतरणों में अंतर
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[[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] में प्रत्येक राग में दो स्वर महत्वपूर्ण माने गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण स्वर को [[वादी स्वर]] कहते हैं और उसके बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण स्वर को '''संवादी स्वर''' कहते हैं। संवादी स्वर का महत्व वादी स्वर से कम होता है लेकिन यह राग की चाल को स्पष्ट करने के लिए वादी के साथ मिलकर महत्वपूर्ण योगदान करता है।
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