"देवबन्द": अवतरणों में अंतर

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देवबंद से सहारनपुर लगभग 52 किलोमीटर और [[मुज़फ़्फ़रनगर]] 24 किलोमीटर दूर स्थित है। दुनिया में देवबंद दार-उल-उलूम के लिए मशहूर है जो कि एक इस्लामी शिक्षा का केंद्र है। इसमें फ़िक़ह हनफ़ी की शिक्षा दी जाती है। देवबंद में त्रिपुर बाला सुंदरी देवी का मंदिर भी है जिसे पूर्व काल में चमार चौदस कहा जाता था। देवबंद में राधावल्लभ का ऐतिहासिक मंदिर भी है। देवबंद में अधिसंख्या मुसलमानों की है लेकिन एक तिहाई आबादी हिंदुओं की भी है। देवबंद के व्यापार पर हिंदुओं की ही पकड़ है। अधिकांश बड़े बड़े व्यापारी हिंदू ही हैं। विभाजन के बाद पंजाबी समुदाय और सिक्ख समुदाय के लोग भी देवबंद में आकर बस गए। पंजाबी समुदाय की तादाद कम है और सिक्खों की तादाद तो बस गिनती की ही है। रेलवे रोड पर एक गुरूद्वारा भी है।
हिंदुओं में सनातनी व आर्य, दोनों संप्रदाय के लोग यहां रहते हैं। देवबंद में एक आर्य समाज का मंदिर भी है। अब कुछ साल पहले देवबंद के रेलवे स्टेशन के सामने प्रणामी धर्म वालों ने भी अपना एक मंदिर बना लिया है। रेलवे रोड पर ही निरंकारी मिशन का भवन भी है। ईसाईयों की गिनती बहुत थोड़ी है। सभी लोग एक दूसरे के साथ सद्भावना के साथ रहते हैं और एक दूसरे की ख़ुशी और ग़म में शिरकत भी करते हैं।
 
 
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