"चेन्नई का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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[[चेन्नई]] एवं आस-पास का क्षेत्र पहली सदी से ही महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक, सैनिक, एवं आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र रहा है। यह [[दक्षिण भारत]] के बहुत से महत्त्वपूर्ण राजवंशों यथा, [[पल्लव वंश|पल्लव]], [[चोल वंश|चोल]], [[पांड्य साम्राज्य|पांड्य]], एवं [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] इत्यादि का केन्द्र बिन्दु रहा है। [[मयलापुर]] शहर जो अब चेन्नई शहर का हिस्सा है, पल्लवों के जमाने में एक महत्त्वपूर्ण [[बंदरगाह]] हुआ करता था। आधुनिक काल में [[पुर्तगाल|पुर्तगालियों]] ने [[१५२२]] में यहाँ आने के बाद एक और बंदरगाह बनाया जिसे ''साओ तोमे'' कहा गया। पुर्तगालियों ने अपना बसेरा आज के चेन्नई के उत्तर में [[पुलीकट]] नामक स्थान पर बसाया और वहीं [[डच इस्ट इंडिया कंपनी]] की नींव रखी।
 
[[२२ अगस्त]] [[१६३९]], को संत फ्रांसिस दिवस के मौके पर ब्रिटिश [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने विजयनगर के राजा पेडा वेंकट राय से [[कोरोमंडल|कोरोमंडल तट]] [[चंद्रगिरी]] में कुछ जमीन खरीदी। इस इलाके में दमरेला वेंकटपति, जो इस इलाके के नायक थे, उनका शासन था। उन्होंने ब्रितानी व्यापारियों को वहाँ एक फैक्ट्री एवं गोदाम बनाने की अनुमति दी। एक वर्ष वाद, ब्रितानी व्यापारियों ने [[सेंट जॉर्ज किला]] बनवाया जो बाद में [[उपनिवेश|औपनिवेशिक]] गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु बन गया। [[१७४६]] में, मद्रास एवं सेंट जॉर्ज के किले पर [[फ्रांस|फ्रासिंसी]] फौजों ने अपना कब्जा जमा लिया। बाद में ब्रितानी कंपनी का इस क्षेत्र पर नियंत्रण पुनः [[१७४९]] में [[एक्स ला चैपल संधि]] ([[१७४८]]) की बदौलत हुआ। इस क्षेत्र को फ्रांसिसियों एवं [[मैसूर]] के [[सुल्तान]] [[हैदर अली]] के हमलों से बचाने के लिए इस पूरे क्षेत्र की किलेबंदी कर दी गयी। अठारहवीं सदी के अंत होते-होते ब्रिटिशों ने लगभग पूरे आधुनिक [[तमिलनाडु]], [[आंध्र प्रदेश]] एवं [[कर्नाटक]] के हिस्सों को अपने अधीन कर लिया एवं [[मद्रास प्रेसिडेंसी]] की स्थापना की जिसकी राजधानी मद्रास घोषित की गयी।<ref>{{cite encyclopedia
| title = मद्रास, इंडिया (कैपिटल)
| url = http://www.1911encyclopedia.org/Madras,_India_(Capital)
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{{पूर्व फ्रांसीसी कालोनी}}
 
== संदर्भ ==
<references />
{{चेन्नई}}
 
[[श्रेणी:चेन्नई का इतिहास]]