"दोहा": अवतरणों में अंतर

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'''दोहा''', मात्रिक [[अर्द्धसम]] [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में जगण ( । ऽ । ) नहीं होना चाहिए। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है।
 
; उदाहरण -
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तेरी मुरली मन हरो, घर अँगना न सुहाय॥
 
== वाह्य सूत्र ==
* [http://www.srijangatha.com/april 07/sanskar.drsumansharma.april0 7.htm दोहे के भेद] (सृजन गाथा)
* [kavita.hindyugm.com/2008/12/pratham-path-1-doha-likhana-seekhen.html पाठ १ : दोहा गाथा सनातन] (हिन्द युग्म)
{{रस छन्द अलंकार}}
 
[[श्रेणी:हिन्दी]]
{{रस छन्द अलंकार}}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/दोहा" से प्राप्त