"सम्पूर्ण क्रांति": अवतरणों में अंतर

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लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है - राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।
 
सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी। जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी, आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।
 
:’’सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है |’’ <br /> - लोकनायक जय प्रकाश नारायण
 
== परिचय ==
'''पांच जून, 1975''' की विशाल सभा में जे. पी. ने पहली बार ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ के दो शब्दों का उच्चारण किया। क्रान्ति शब्द नया नहीं था, लेकिन ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ नया था। गांधी परम्परा में ‘समग्र क्रान्ति’ का प्रयोग होता था।
 
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पांच जून को जे. पी. ने घोषणा की:- भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए। और, सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति- ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है। इस व्यवस्था ने जो संकट पैदा किया है वह सम्पूर्ण और बहुमुखी (टोटल ऐण्ड मल्टीडाइमेंशनल) है, इसलिए इसका समाधान सम्पूर्ण और बहुमुखी ही होगा। व्यक्ति का अपना जीवन बदले, समाज की रचना बदले, राज्य की व्यवस्था बदले, तब कहीं बदलाव पूरा होगा; और मनुष्य सुख और शान्ति का मुक्त जीवन जी सकेगा। … ''जे.पी. का ‘सम्पूर्ण’ गांधी का ‘समग्र’ है।''
 
== छात्रों का आह्वान ==
जे.पी. ने छात्रें से सम्पूर्ण क्रान्ति को सफल बनाने के लिए एक वर्ष तक विश्वविद्यालयों और कालेजों को बंद रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि- ‘केवल मंत्रिमंडल का त्याग पत्र या विधान सभा का विघटन काफी नहीं है, आवश्यकता एक बेहतर राजनीतिक व्यवस्था का निर्माण करने की है। छात्रें की सीमित मांगें, जैसे भ्रष्टाचार एवं बेरोजगारी का निराकरण, शिक्षा में क्रान्तिकारी परिवर्तन आदि बिना सम्पूर्ण क्रान्ति के पूरी नहीं की जा सकती।’ उन्होंने सीमा सुरक्षा बल और बिहार सशस्त्र पुलिस के जवानों से अपील की कि वे सरकार के अन्यायपूर्ण और गैर कानूनी आदेशों को मानने से इनकार कर दें।
 
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बिहार सरकार के मंत्री दरोगा प्रसाद राय ने घोषणा की कि विधायकों के निवास स्थान को ‘सुरक्षित क्षेत्र’ घोषित कर वहां पुलिस का पहरा रहेगा। अनाधिकृत व्यक्तियों के जाने पर रोक लगाई जाएगी और मिलने वालों की पूरी जांच की जाएगी।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.bhaskar.com/article/NAT-india-four-biggest-movements-tiil-now-2359693.html आन्दोलन जिन्होंने बुलंद की भारत में जनक्रांति की आवाज]
 
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