"धनात्मक पुनःभरण": अवतरणों में अंतर

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यदि किसी प्रणाली में '''धनात्मक पुनःभरण''' (positive feedback) का गुण मौजूद होता है तो ऐसा तंत्र उसके [[इनपुट]] पर आने वाले ब्याघातों (डिस्टर्बैंसेस) के आयाम को और भी अधिक बड़ा बना देते हैं। दूसरे शब्दों में 'क' के कारण अधिक 'ख' उत्पन्न होता है जो और अधिक 'क' को उत्पन्न करता है और वृद्धि का यह क्रम तब तक जारी रहता है जब तक प्रणाली में किसी कारण 'तृप्ति' (सैचुरेशन) न आ जाय। धनात्मक पुनर्भरण का उल्टा '[[ऋणात्मक पुनर्भरण]]' होता है। ऋणात्मक पुनर्भरण से युक्त प्रणाली के इन्पुट पर किसी कारण से कोई संकेत आ जाय तो यह प्रणाली इस तरह व्यवहार करती है कि इनपुट और भी कम हो जाता है।
 
धनात्मक पुनर्भरण के परिणामस्वरूप प्रणाली के कम्पन (oscillations) की इक्सपोनेंशियल वृद्धि होती है। अन्त में प्रायः सभी प्रणालियाँ अरैखिक क्षेत्र (non-linear region) में पहुँच जाती हैं और 'गेन' की कमी के कारण प्रणाली अन्ततः स्थिर (स्टेबल) हो जाती है या इसके पहले ही प्रणाली नष्ट हो जाती है। धनात्मक पुनर्भरण युक्त प्रणाली अन्ततः किसी स्थिर अवस्था में पहुँचकर उसमें 'लैच' (तालाबन्द) हो सकती है।
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कई जगह धनात्मक पुनर्भरण का उपयोग से इष्ट परिणाम प्राप्त किये जाते हैं। [[डिजिटल इलेक्ट्रानिकी]] में धनात्मक पुनर्भरण के द्वारा लॉगिक परिपथों के आउटपुट को 'बीच के वोल्टेज' से दूर भगाकर '1' या '0' की ओर धकेल दिया जाता है। दूसरी तरफ [[अर्धचालक युक्ति|अर्धचालक युक्तियों]] में 'थर्मल रन-अवे' की समस्या भी धनात्मक पुनर्भरण का ही एक रूप है जिसके कारण युक्तियाँ गरम होकर नष्ट हो जाती हैं। [[रासायनिक अभिक्रिया]]ओं में धनात्मक पुनर्भरण की स्थिति आने पर अभिक्रिया बहुत तेज गति के बढ़ती है जिससे कुछ स्थितियों में [[विस्फोट]] भी हो सकता है। यांत्रिक डिजाइनों में धनात्मक पुनर्भरण के कारण 'टिपिंग प्वाइंट' की स्थिति निर्मित हो सकती है। किसी [[सेतु|पुल]] के कम्पन में धनात्मक पुनर्भरण आ जाय तो वह ढह सकता है। आर्थिक प्रणाली में धनात्मक पुनर्भरण से 'तेजी' (बूम) के बाद 'मंदी' (बस्ट) और फिर 'तेजी' की स्थिति देखी जा सकती है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[ऋणात्मक पुनःभरण]]
* [[दुष्चक्र]]
* [[उष्मीय रनअवे]]
 
== पठनीय ==