"छत्तीसगढ़ के आदिवासी देवी देवता": अवतरणों में अंतर

maa danteshwari bastar ki aradha devi hai . BASTAR ME DASHRA 75 DINO TAK CHALTA HAI JOKI DUNIYA KA SAB SE BADA DASHARE KA TEVHAR HAI.
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छत्तीसगढ़ में बहुत से आदिवासी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इनमें से कुछ प्रमुख की सूची इस प्रकार से है:
== देवताओं की सूची ==
* बुढ़ादेव
* डोकरादेव
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* आंगापाटदेव
 
== देवियों की सूची ==
बस्तर के प्रमुख आदिवासी देवी
* केशरपालीन
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danteshwari
 
== अन्य देवी-देवता ==
* गणेश
* भेरुजी
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* मोती बाबजी
* विजासना माता बन्दीछोड़ बाबा
== देवारों के अपने देवी-देवता ==
देवारों में लोक देवी देवता के संदर्भ में एक बेहद रोचक रीति नामांतरण की मिलती है । एक ही आराध्य देव अलग-अलग समय, प्रसंग और संदर्भों में विविध परिचय से पूजा जाता हैं मसलन खैरागढ़िया देव इसे घर के बाहर शुद्धता के साथ भी रखते है । जब इस देवता को बाहर पूजतें हैं तो उसे बैरासू कहते है । इसी देव की धर भीतर आराधन्य होने से या दूतहा नाम मं बदल जाता है । फिर इसी परिचय के संग उसकी अर्चना की जाती हैं । देवारों में दूसरे कुल गौत्र के वाहक इसे गोसाई-पोसाई के नाम से आराधते हैं । मांगलिक प्रसंगों की तरह ही अनुष्ठातिक क्रिया-कलापों में बलि देने की प्रथा का अनिवार्य चलन है । जितने देवी-देवता, उनकी अपनी पसंद के अनुसार बलि दे कर कार्य संपादित किया जाता है । किन्हीं खास पूजा अथवा देवी-देवता की अर्चना में महिलायें सम्मिलित नहीं होती । पुरुष वर्ग ही इसमें भाग लेता है ।
* सौंरा देव
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* खैरागढ़िया
* दूल्हा देव
== रायगढ़ में देवताओं के शिल्प ==
एकताल रायगढ़ के झारा धातुशिल्पियों द्वारा तैयार 21 देवी-देवताओं की कलाकृतियां हैं। इनकी सूची इस प्रकार से है:-
; बुढ़ी मां
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; खपर वाली माई
माना जाता है कि नग्न रुप में दिखाई देता है । जीभ लम्बा बड़े-बड़े थन और गला में सिर का माला पहचान होता है । कमर में हाथ को कपड़ा बनाकर पहनते हैं । यही खपर वाली माई का पहचान होता है ।
 
[[श्रेणी:छत्तीसगढ़ की संस्कृति]]
 
[[gu:છત્તીસગઢના આદિવાસી દેવીદેવતા]]