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'''छन्दशास्त्र''' [[पिङ्गल]] द्वारा रचित [[छन्द]] का मूल ग्रन्थ है। यह [[सूत्र]]शैली में है और बिना [[भाष्य]] के अत्यन्य कठिन है। इस ग्रन्थ में [[पास्कल त्रिभुज]] का स्पष्ट वर्णन है। इस ग्रन्थ में इसे ''मेरु-प्रस्तार'' कहा गया है।
 
दसवीं शती में [[हलायुध]] ने इस पर [[मृतसंजीवनी]] नामक भाष्य की रचना की।