"जबड़ा": अवतरणों में अंतर
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'''जबड़ा''' या '''हनु''' (<small>[[अंग्रेजी]]: jaw, जॉ</small>) किसी [[प्राणी]] के [[मुँह]] के प्रवेश-क्षेत्र पर स्थित उस ढाँचे को बोलते हैं जो मुंह को खोलता और बंद करता है, और जिसके प्रयोग से खाने को मुख द्वारा पकड़ा जाता है तथा (कुछ जानवरों में) चबाया जाता है। [[मानव]] समेत बहुत से अन्य [[जानवरों]] में जबड़े के दो हिस्से होते हैं जो एक दूसरे से [[चूल]] (हिन्ज) के ज़रिये जुड़े होते हैं जिसके प्रयोग से जबड़ा ऊपर-नीचे होकर मुख खोलता है या बंद करता है। ऐसे प्राणियों में खाद्य सामग्री चबाने या चीरने के लिए जबड़ों में अक्सर [[दांत]] लगे होते हैं। इसके विपरीत बहुत से [[कीटों]] के जबड़े मुख के दाई-बाई तरफ़ लगे दो छोटे शाखनुमा अंग होते हैं जो चिमटे की तरह खाना पकड़कर उनके मुख तक ले जाते हैं।
== हनु के दो अर्थ ==
ध्यान दें कि [[संस्कृत]] का 'हनु' शब्द 'जबड़े' के साथ-साथ कुछ सन्दर्भों में 'गाल' का अर्थ भी रखता है। इसी शब्द से [[हनुमान]] का नाम उत्पन्न हुआ है और इसका अर्थ है 'टूटे/घाव-लगे जबड़े वाले'। कथानुसार जब हनुमान ने सूरज पकड़ लिया था तो इन्द्र ने उनके गाल पर वज्र दे मारा था।<ref name="ref08jicej">[http://books.google.com/books?id=WaJ2tp_n1AMC Hinduism and Its Military Ethos], R. K. Nehra, pp. 140, Lancer Publishers, 2010, ISBN
== जबड़ों का क्रम-विकास ==
अतिप्राचीनकाल में जानवरों के जबड़े नहीं थे। लैमप्री जैसी कुछ रूढ़ीरूप मछलियों में अब भी जबड़े नहीं होते, लेकिन लैमप्रियों के मुंह के अन्दर [[उपास्थि]] (कार्टिलेज) के कुछ [[चाप]] (आर्च) होते हैं जो उनके [[क्लोम]] (गिल) को ढाँचीय सहारा देते हैं। माना जाता है कि आज से लगभग ४० करोड़ साल पूर्व यही ढाँचे [[क्रम विकसित]] (ईवॉल्व) होकर विश्व के पहले जबड़े बन गए।<ref name="ref82goqol">[http://books.google.com/books?id=pbH6sodusLMC Exploring Life Science], pp. 450, Marshall Cavendish, 2000, ISBN
== कुछ जबड़ों की तस्वीरें ==
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File:Bullant head detail.jpg|एक [[चींटी]] का चिमटी-नुमा जबड़ा
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== इन्हें भी देखें ==
* [[दांत]]
* [[मुख]]
== सन्दर्भ ==
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[[ar:فك]]
[[av:Нилъалзул хӀама]]
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[[en:Jaw]]
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[[eo:Makzelo]]
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