"सिंहस्थ": अवतरणों में अंतर
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'''सिंहस्थ''' उज्जैन का महान स्नान पर्व है। बारह वर्षों के अंतराल से यह पर्व तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि पर स्थित रहता
== कुंभ की कथा ==
पुराणों के अनुसार देवों और दानवों सहयोग से सम्पन्न समुद्र मंथन से अन्य वस्तुओं के अलावा अमृत से भरा हुआ एक कुंभ (घडा) भी निकला था। देवगण दानवों को अमृत नहीं देना चाहते थे। देवराज इंद्र के संकेत पर उनका पुत्र जयन्त जब अमृत कुंभ लेकर भागने की चेष्टा कर रहा था, तब कुछ दानवों ने उसका पीछा किया। अमृत-कुंभ के लिए स्वर्ग में बारह दिन तक संघर्ष चलता रहा और उस कुंभ से चार स्थानों पर अमृत की कुछ बूंदें गिर गईं। यह स्थान पृथ्वी पर [[हरिद्वार]],[[प्रयाग]], [[उज्जैन]] और [[नासिक]] थे। इन स्थानों की पवित्र नदियों को
प्रत्येक स्थान पर बारह वर्षों का क्रम एक समान हैं अमृत-कुंभ के लिए स्वर्ग की गणना से बारह दिन तक संघर्ष हुआ था जो धरती के लोगों के लिए बारह वर्ष होते हैं। प्रत्येक स्थान पर कुंभ पर्व कोफ्लिए भिन्न-भिन्न ग्रह सिषाति निश्चित है। उज्जैन के पर्व को लिए सिंह राशि पर बृहस्पति,मेष में सूर्य,तुला राशि का चंद्र आदि ग्रह-योग माने जाते हैं ।
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