"यांत्रिकी तथा द्रव्यगुण": अवतरणों में अंतर

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[[यांत्रिकी]] में द्रव्यपिंडों की [[गति]] का अध्ययन किया जाता है। यह गति समूचे पिंड की भी हो सकती है और आंतरिक भी। [[भौतिकी]] की इस शाखा का बहुत महत्व है और इसके सिद्धांत भौतिकी के प्रत्येक विभाग मे, विशेषतया अभियान्त्रिकी (इंजीनियरिंग) और शिल्पविज्ञान में, प्रयुक्त होते हैं। इसके मूल में जो सिद्धांत लागू हाते हैं, उनको सर्वप्रथम [[न्यूटन]] ने प्रतिपादित किया था। [[लैग्रेंज]], [[हैमिल्टन]] आदि वैज्ञानिकों ने इन नियमों को गंभीर गणितीय रूप देकर जटिल समस्याएँ हल करने योग्य बनाया। मूल समीकरणों द्वारा ऊर्जा [[संवेग]] (momentum), कोणीय संवेग इत्यादि, नवीन राशियों की कल्पना की गई। इस विज्ञान के मुख्य नियम [[ऊर्जा संरक्षण]], [[संवेग संरक्षण]] तथा [[कोणीय संवेग संरक्षण]] हैं। सिद्धांत रूप से ज्ञात बलों के अधीन किसी भी पिंड की गति का पूरा विश्लेषण किया जा सकता है।
 
द्रव्य गुण शाखा में द्रव्य की तीनों अवस्थाओं [[ठोस]], [[द्रव]], तथा [[गैस]] के गुणों की विवेचना की जाती है। इन गुणों के आपसी संबंधों की भी चर्चा की जाती है और इनसे संबंधित आँकड़े ज्ञात किए जाते हैं। कुछ गुण जिनका अध्ययन किया जाता है, ये हैं [[घनत्व]], [[प्रत्यास्थता]] गुणांक, [[श्यानता]], [[पृष्ठतनाव]], [[गुरुत्वाकर्षण]] गुणांक इत्यादि।
 
 
[[श्रेणी:भौतिकी]]