"नाव": अवतरणों में अंतर

छो Robot: Adding uz:Qayiq
छो Bot: अंगराग परिवर्तन
पंक्ति 3:
'''नाव''' या '''नौका''' (boat) डाँड़, क्षेपणी, चप्पू, पतवार या पाल से चलनेवाला छोटा जलयान है। आजकल नावें इंजन से भी चलने लगी हैं और इतनी बड़ी भी बनने लगी हैं कि [[जलयान|पोत]] (जहाज) और नौका (नाव) के बीच भेद करना कठिन हो जाता है। वास्तव में पोत और नौका दोनों समानार्थक शब्द हैं, किंतु प्राय: नौका शब्द छोटे के और पोत बड़े के अर्थ में प्रयुक्त होता है।
 
== प्रांरभिक इतिहास ==
[[Fileचित्र:BABUR CROSSING RIVER SON Folio from an illustrated manuscript of ‘Babur-Namah’, Mughal, Akbar Period, dated AD 1598, Artist Jagnath.jpg|thumb|BABUR CROSSING RIVER SON Folio from an illustrated manuscript of ‘Babur-Namah’, Mughal, Akbar Period, dated AD 1598, Artist Jagnath]]
प्राचीन चित्रों में बड़े बड़े जहाज तो कुछ अच्छी तरह चित्रित देखे जाते हैं, किंतु नावों के चित्र यदि कहीं हैं भी तो अत्यंत अनगढ़ और असावधानीपूर्वक बने हुए। केवल कहीं कहीं खुदाइयों में प्रस्तरयुगीय अवशेषों के साथ इनके भी भग्नावशेष मिले हैं। पौराणिक जलप्लावन के बाद शतपथ ब्राह्मण के अनुसार मनु के, बाइबिल के अनुसार नूह के, और यूनान के अपोलोडारेस के अनुसार दिउकलियान के नाव में चढ़कर बचने की कथाएँ अनेक देशों में मिलती हैं। और भी अनेक ग्रंथों में नावों का जिक्र आया है, किंतु कहीं भी नाव के स्वरूप का वर्णन नहीं है। इसलिए बड़े बड़े जहाजों की तुलना में नावों का प्रारंभिक इतिहास प्राय: अज्ञात ही है। आजकल नावों के आदिम स्वरूपों को देखकर उनके उद्भव और विकास की रूपरेखा का केवल काल्पनिक अनुमान ही लगाया जा सकता है।
 
पंक्ति 13:
चमड़े या बाँस की बनी हुई पनसुइया से शायद लोगों का लकड़ी के ढाँचे पर कोई आवरण चढ़ाकर नाव बनाने का विचार उत्पन्न हुआ। उनके सामने निर्माण की दो विधियाँ आई : (1) पहले बाहरी आवरण बनाकर उसके भीतर कड़ियाँ और ताने लगाकर मजबूत करना, और (2) पहले ढाँचा बनाकर उसके बाहर आवरण लगाना। रचना भी दो प्रकार की होने लगी - एक तो सपाट तख्ताबंदीवाली, जिससे तख्ते धार से धार मिलाकर एक दूसरे से जोड़े जाते हैं और दूसरी चढ़वा तख्ताबंदी वाली, जिसमें ऊपर का प्रत्येक तख्ता अपने नीचेवाले तख्ते के ऊपर थोड़ा चढ़ाकर लगाया जाता है, जिससे सतह पर धारियाँ, या लंबी लकीरें, दिखाई देती हैं। सपाट रचना का उद्भव भूमध्यसागर में, या शायद पूर्व की ओर, हुआ और चढ़वाँ रचना का आविष्कार कैडिनेविया में हुआ, जहाँ से वह यूरोप के उत्तरी देशों में फैला।
 
== वर्तमान नावें ==
प्राचीन नौनिर्माण विधियों के उत्कृष्ट नमूने और नौकानयन कला पूर्वी समुद्रों में, भारतीय महासागर और दक्षिणी प्रशांत महासागर में देखने को मिलती हैं, जहाँ नावें शायद सर्वप्रथम आई। नक्र नौका (ड्रैगन बोट) 73 फुट तक लंबी, 4 फुट तक चौड़ी और 21 इंच गहरी होती है। इसके चप्पे का फल 6।। इंच चौड़ा, फावड़े के आकार का होता है। स्याम और वर्मा दोनों देशों में नदीतटों पर बहुत घनी आबादी है। यहाँ की हंसक नौका (डक बोट) प्रसिद्ध है। पतवारी लटकाकर पोतवाहन की स्यामी विधि सबसे अधिक प्राचीन है। मलायावाले नौका-निर्माण-कला में दक्ष होते हैं, किंतु वहाँ की स्थानीय परिस्थितियँ अनुकूल नहीं हैं। वहाँ की नावों का विस्थापन बहुत थोड़ा होता है, काट ज् आकार की और चौड़ाई बहुत कम होती हैं। फलस्वरूप, इनमें स्थैर्य और वायु के प्रतिकूल चलने की क्षमता कम होती है। नाव बनाने की पुरानी विधि के अनुसार तना कोलकर यहाँ उसकी बगलें बाहर की ओर फैला दी जाती हैं और आवश्यकतानुसार उनमें और तख्ते लगाकर ऊँचाई बढ़ा दी जाती है।
 
पंक्ति 22:
यद्यपि सन् 1855 में लैंबोट नामक एक फ्रांसीसी ने प्रबलित कंक्रीट की छोटी नाव भी पेटेंट करा ली थी, तथापि नौका निर्माण के लिए लकड़ी का ही प्रयोग आदि काल से होता आया है, और इसका स्थान व्यापक रूप से कोई अन्य पदार्थ नहीं ले सका। पीपों में, जो तैरते हुए पुल आदि बनाने के काम आते हैं, इस्पात लगता है। आजकल नावों, जहाजों आदि में विरमाव्राइट की चादरें बहुत लगने लगी हैं। विरमाब्राइट ऐल्यमिनियम की मिश्रधातु है, जो अत्यंत हलकी, किंतु मजबूत, होती है और खाने पानी से भी प्रभावित नहीं होती।
 
== आधुनिक प्रवृत्ति ==
[[चित्र:Queen Mary 2 05 KMJ.jpg|right|thumb|300px|जर्मनी की क्वीन मैरी]]
19वीं सदी के मध्य में नावों में इंजन लगने लगे। नौकाविहार के लिए भापनौका का खूब प्रचलन हुआ, किंतु नौपरिवहन तथा पत्तनों में इसका प्रयोग बहुत धीरे धीरे बढ़ा। 20वीं शती के आरंभ में भी यहीं प्रवृत्ति रही, किंतु [[प्रथम विश्वयुद्ध]] के बाद, जब वाष्पयंत्र विश्वसनीय समझ लिया गया, इनका प्रयोग सभी क्षेत्रों में बडी तेजी से बढ़ा। इनका मानकीकरण होने से संसार के अधिक सभ्य कहे जानेवाले देशों में चित्रविचित्र और दर्शनीय नावों के स्थानीय नमूने बड़ी तेजी से गायब होने लगे। यूरोपीय तटों में सभी जगह, जहाँ अत्यंत विभिन्नतापूर्ण परिस्थितियाँ थीं, एक ही गति हुई, अर्थात् पालपतवार की जगह भाप ने ले ली। किंतु हिंद महासागर, दक्षिणी प्रशांत महासागर, दक्षिणी अमरीका की नदियों और अफ्रीका की झीलों में अभी इनका व्यापक प्रयोग नहीं हो पाया है।
पंक्ति 30:
[[ग्रेट ब्रिटेन]] में 19वीं शती में नौ-निर्माण-उद्योग में बड़ी उन्नति हुई। मछली उद्योग के विस्तार और प्रतिस्पर्धा के कारण इस उद्योग में बराबर सुधार होते रहे। जैसे जैसे नाप बढ़ती गई, भाप का प्रयोग भी बढ़ता गया। अमरीकी नार्वे निपटे पेंदेवाली, चौड़े सिरेवाली, आधी पाटनवाली, खुली खेनेवाली या पालवाली, एक मस्तूलवाली आदि अनेक प्रकार की होती हैं।
 
== रक्षा नार्वे ==
प्राचीन काल में भी जहाजों के साथ नार्वे रहा करती थीं। वे या तो उनपर लदी रहती थीं, या उनसे बँधी रहती थीं। यूनानी और रोमन युद्धपोतों के साथ भी रहती थीं, किंतु वे शताब्दियों तक रक्षाकार्य संपादन में अक्षम थीं। इंग्लैंड़ में 19वीं शती में एक कानून बनाकर जहाज में नावों का प्रतिमान निर्धारित कर दिया गया, किंतु यह प्रतिमान जहाज के टन भार के आधार पर था, यात्रियों की संख्या कें आधार पर नहीं। सन् 1912 की भीषण पोतदुर्घटना के फलस्वरूप नया प्रतिमान निर्धारित हुआ, जिसके अनुसार यात्रीपोतों में सब यात्रियों के लिए और भारवाही पोतों में दोनों ओर के समस्त कर्मीदल के लिए पर्याप्त नावों की व्यवस्था होती है।
 
इंग्लैंड के पूर्वीतट की रक्षानौकाएँ उत्कृष्ट कोटि की, सुंदर, लंबी और कम विस्थापनवाली नार्वे हैं, जो खराब मौसम में और चंड सागर में साहसपूर्ण काम के लिए प्रसिद्ध हैं।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.sailingtheweb.net Sailboats database: sailboat data sheets all over the world]
* University of Washington Libraries Digital Collections -- [http://content.lib.washington.edu/cgi-bin/queryresults.exe?CISOOP=adv&CISORESTMP=%2Fsite-templates%2Fsearch_results-sub.html&CISOVIEWTMP=%2Fsite-templates%2Fitem_viewer.html&CISOMODE=thumb&CISOGRID=thumbnail%2CA%2C1%3Btitle%2CA%2C1%3Bsubjec%2CA%2C0%3Bdescri%2C200%2C0%3B0%2CA%2C0%3B10&CISOBIB=title%2CA%2C1%2CN%3Bsubjec%2CA%2C0%2CN%3Bdescri%2CK%2C0%2CN%3B0%2CA%2C0%2CN%3B0%2CA%2C0%2CN%3B10&CISOTHUMB=3%2C5&CISOTITLE=10&CISOPARM=%2Ffishimages%3Asubjec%3Avessels&x=51&y=5 Freshwater and Marine Image Bank -- Vessels] - images of boats and vessels
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/नाव" से प्राप्त