"नियंत्रण रेखा": अवतरणों में अंतर

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[[३ जुलाई]], [[१९७२]] में [[शिमला समझौता|शिमला समझौते]] के परिणामस्वरूप शांतिवार्ता के बाद नियंत्रण रेखा को बहाळ किया गया। पारस्परिक समझौते में आपसी वार्ता से मामले के सुलझ जाने तक यथास्थिति बहाल रखे जाने की बात मानी गयी। यह प्रक्रिया कई माह तक चली और फील्ड कमाण्डरों अगले पांच माहों में लगभग बीस मानचित्र एक दूईसरे को दिये और अंततः कुछ समझौते हुए। फिर भी दोनों देशों के बीच समय समय पर छिटपुट युद्ध होते रहते हैं। साथ ही एक बड़ा युद्ध [[कार्गिल युद्ध]] भी हो चुका है।
इस रेखा के भारतीय ओर ''इंडियन कश्मीर बैरियर'' है जो {{convert|550|km|mi|abbr=on}} लंबा पृथक्करण अवरोध है और {{convert|740|km|mi|abbr=on}} लंबी विवादित १९७२ ''लाइन ऑफ कंट्रोल'' (या सीज़फायर लाइन) पर बना है। यहां भारत द्वारा रेखा के काफी अंदर भारतीय नियंत्रण की ओर दोहरी बाड़ लगायी गई है। इसका उद्देश्य हथियारों की तस्करी और पाकिस्तानी आतंकवादियों व अलगाववादियों द्वारा घुसपैठ रोकना है। <ref>[http://news.indiainfo.com/2004/12/16/1612locmukherjee.html "क्रॉस बॉर्डर इन्फिल्टरेशन एण्ड टैररिज़्म"]</ref>
 
यह अवरोध दोहरी बाड़ और कन्सर्टीना तारों के ८-१२ फीट (२.४-३.७&nbsp;मी.) ऊंचाई तक बना है और विद्युतीकृत है। इसमें गति-सेंसर, ताप-चित्र (थर्मल इमेजिंग) व अलार्म सायरनों का जाल है, जहां जहां विद्युत आपूर्ति उपलब्ध है। एक छोटा भाग ऐसा भि है, जिसमें दोनों बाड़ों के बीच खंदक भी खुदी हुई है। इस अवरोध का निर्माण १९९० के दशक में आरंभ हुआ था, जो २००० में पाक घुसपैठ के चलते कुछ धीमा पड़ गया था, किन्तु नवंबर, २००३ के बाद घोषित रुद्ध विराम के उपरांत फिर आरंभ हुआ और २००४ के अंत तक पूर्ण हुआ। कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र में बाड़ ३० सितंबर, २००४ को पूर्ण हुई थी।<ref>[http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/960859.cms कश्मीर की बाड़]। टाइम्स ऑफ इण्डिया</ref> [[भारतीय सेना]] स्रोतों व आंकड़ों के अनुसार इस अवरोध से पाक घुसपैठ में ८०% की कमी आयी है। यहीं से पहले पाक घुसपैठिये व आतंकवादी आकर भारतीय क्षेत्र में सैनिकों पर हमले किया करते थे।<ref>{{cite web