"निर्वात नली": अवतरणों में अंतर

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[[इलेक्ट्रॉनिकी]] में [[निर्वात नली]] एक ऐसी युक्ति है जिसका कार्य [[निर्वात]] में [[विद्युत धारा]] के प्रवाह पर आधारित है। इसे [[एलेक्ट्रॉन नलिका|एलेक्ट्रॉन नली]] (उत्तरी अमेरिका), तापायनिक वॉल्व (यूके में) या केवल 'ट्यूब' या 'वॉल्व' भी कहते हैं। इनमें एक तप्त फिलामेण्ट (कैथोड) से निकलने वाले एलेक्ट्रॉन निर्वात में गति करके एनोड पर पहुंचते हैं जो कैथोड की अपेक्षा अधिक वोल्टता पर रखा गया होता है। निर्वात नलियों के प्रादुर्भाव ने एलेक्ट्रॉनिकी के जन्म और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 
== इतिहास ==
==द्विध्रुवी (डायोड)==
{{मुख्य|निर्वात नली डायोड}}
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यदि पट्टिका को ऋणाग्र की अपेक्षा धन विभव पर रखा जाय तो, जैसा ऊपर लिखा जा चुका है, इलेक्ट्रान धारा प्रवाहित हो जाती है। परंतु यदि विभव को दूसरी दिशा में लगाया जाए, अर्थात्‌ यदि पट्टिका ऋणाग्र की अपेक्षा ऋण विभव पर हो, तो इलेक्ट्रान धारा एकदम नहीं प्रवाहित होगी, क्योंकि बिना पट्टिका को गरम किए पट्टिका से इलेक्ट्रान नहीं निकलेंगे। इस कारण नली में इलेक्ट्रान धारा केवल एक ही दिशा में प्रवाहित की जा सकती है। यदि प्रत्यावर्ती (ऑल्टरनेटिंग) धारा के स्रोत को एक द्विध्रुवी ओर विद्युतीय भार (इलेक्ट्रिकल लोड) के, जैसे किसी प्रतिरोधक (रेज़िस्टर) के, श्रेणीसंबंध (कंबिनेशन) के आर पार लगाया जाय तो धारा केवल एक ही दिश में बहेगी और प्रत्यावर्ती के आधे चक्र में कोई धारा नहीं प्रवाहित होगी। इन दिशाओं में नली प्रत्यावर्ती धारा के बदले विद्युत्‌ को भार में केवल एक दिशा में चलने देती हैं।
 
==== पट्टिक धारा तथा पट्टिक वोल्टता का संबंध ====
पहले पट्टिक धारा धीरे-धीरे बढ़ती है, फिर कुछ शीघ्रता से और अंत में स्थिर हो जाती है, जिसे संतृप्त धारा (सैचुरेटेड करेंट) कहते हैं। यह संतृप्ति अंतरण आवेश (स्पेस चार्ज) के कारण हो जाती है, जो भटके हुए इलेक्ट्रानों के कारण ऋणाग्र के निकट प्रकट हो जाता है।
 
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V = द्विध्रुवी की पट्टिक वोल्टता
 
==== द्विध्रुवी के उपयोग ====
जैसा ऊपर बताया जा चुका है, द्विध्रुवी में विद्युद्धारा केवल एक ही दिशा में प्रवाहित होती है। इस कारण इस नली का उपयोग प्रत्यावर्ती धारा के ऋजुकरण में किया जाता है। इसमें प्रत्यावर्ती धारा दिष्ट धारा (डाइरेक्ट करेंट) में परिवर्तित हो जाती है। इसको 'अर्ध तरंग ऋजुकरण' (हाफ़वेव रेक्टिफ़िकेशन) कहते हैं। उन द्विध्रुवियों को, जो उच्च विभवप्रत्यावर्ती धारा के ऋजुकरण में प्रयुक्त होते हैं, केनाट्रान कहते हैं।
 
गैसयुक्त द्विध्रुवी का उपयोग शक्तिशाली धारा के ऋजुकरण में किया जाता है, उदाहरणत: संचायक बैटरियों (ऐक्युम्युलेटर्स) को आवेष्टित (चार्ज) करने में ''टंगर'' ऋजुकारी एक गैसयुक्त ऋजुकारी है।
 
=== त्रिध्रुवी (ट्रायोड) ===
{{मुख्य|ट्रायोड}}
 
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प्रकार की वक्र रेखा से विशेष सूचना प्राप्त की जा सकती है, तो भी इसको प्रदर्शित करने में बहुत असुविधा है। इस कारण इसको तीन प्रकार की वक्र रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जिन्हें स्थिर लाक्षणिक (स्टैटिककैरेक्टरिस्टिक्स) कहते हैं। क) हैं।
 
==== त्रिध्रुवी के उपयोग ====
जैसा बताया जा चुका है, त्रिध्रुवी का मुख्य उपयोग प्रवर्धकों में होता है। इसका प्रयोग दोलक, ऋजुकारी, परिचायक तथा मूर्छक (माडयुलेटर) के रूपों में भी किया जाता है।
 
=== चतुर्ध्रुवी (टेट्रोड) ===
{{मुख्य|टेट्रोड}}
 
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चतुर्ध्रुवी में त्रिधुवी के समान ही नियंत्रण ग्रिड (कंट्रोल ग्रिड) और ऋणाग्र स्थापित होते हैं। इसलिए दोनों ही नलियों में ग्रिड-पट्टिक चालकता प्राय: समान होती हैं परंतु चतुर्ध्रुवी में पट्टिक प्रतिरोध र्त्रिध्रुवी की अपेक्षा पर्याप्त अधिक होता है। इसका कारण, जैसा ऊपर लिखा जा चुका है, पट्टिक वोल्टता पर पट्टिक धारा का न्यूनतम प्रभाव है।
 
=== पंचध्रुवी (पेंटोड) ===
{{मुख्य|पेन्टोड}}
 
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पंचध्रुवी तथा चतुर्ध्रुवी में कभी-कभी नियंत्रक ग्रिड को एक विशेष अभिप्राय से एक समान नहीं बनाते। दोनों सिरों पर ग्रिड तारों के अंतराल को कम कर देते हैं। इस प्रकार की नली बहुत सी नलियों के समांतर समूह के रूप में कार्य करती है और इन नलियों के भिन्न भिन्न प्रवर्धन-गुणनखंड होते हैं। जैसे ही ग्रिड वोल्टता को ऋणात्मक कर देते हैं, वैसे ही ग्रिड के उच्च प्रवर्धनगुणन-खंड के भाग कट जाते हैं और उनमें इलेक्ट्रान धारा नहीं वाहित होती, किंतु अन्य भागों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यदि ग्रिड ऋणात्मक है तो इस भाग से भी इलेकट्रान धारा बह सकती है। इसलिए इलेक्ट्रान धारा प्राय: स्थिर रहती है और प्रवर्धन गुणन खंड में परिवर्तन होता रहता है। इस प्रकार की नली को चर-प्र-नली (वेरियेबुल म्यू ट्यूब) कहते हैं। इसका उपयोग अधिकतर स्वत: चालित उद्घोषतानियंत्रक (आटोमैटिक वॉल्यूम कंट्रोल) के परिपथों में होता है।
 
=== पुजंशक्ति नली ===
चतुर्ध्रुवी तथा पंचध्रुवी बनाने के उपरांत यह बोध हुआ कि आवरण ग्रिड तथा पट्टिक के बीच के अंतरण आवेश (स्पेस चार्ज) का उपयोग गौण उत्सर्जन के बाधक के रूप में किया जा सकता है। पुजंशक्ति नली में अंतरण आवेश का उपयोग इसीलिए करते हैं।
 
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पुंजशक्ति नली का पट्टिक लाक्षणिक में यह विशेषता है कि वह अधिक तीक्ष्णता से मुड़ती है। इस कारण पुंजशक्ति नली एक पंचध्रुवी से उत्तम है। वक्ररेखा का मोड़ बहुत ही तीक्ष्ण हैं और इसके पश्चात्‌ वह प्राय: सीधी है। वक्ररेखा का क्षैतिज भाग पट्टिक वोल्टता के परिवर्तन के यथेष्ट भाग के साथ है। इस कारण इस नली का उपयोग करने से अधिक शक्ति मिलती है। तारों को इस विशेष प्रकार से लगाने के कारण पुंजशक्ति नलियों में पंचध्रुवी की अपेक्षा आवरण-ग्रिड-धारा पट्टिक धारा से कम होती है।
 
=== अन्य बहुध्रुवी इलेक्ट्रान-नलियाँ ===
द्विध्रुवी, त्रिध्रुवी, चतुर्ध्रुवी तथा पंचध्रुवी के विभिन्न मेल जब एकही कक्ष में बनाए जाते हैं तो उन्हें बहु-इकाई-नली कहते हैं। इस प्रकार की बहुध्रुवी अथवा बहुइकाई-नलियों के लाक्षणिक उन लाक्षणिकों से बहुत भिन्न नहीं हैं जिनका अध्ययन अभी किया गया है। तथापि ऐसी भी बहुध्रुवी नलियाँ हैं जिनमें केवल एक ही ऋणाग्र तथा केवल एक ही धनाग्र रहता है, परंतु ग्रिड तीन से अधिक रहते हैं। ऐसी नलियों में दो नियंत्रक ग्रिड होते हैं और पट्टिक धारा का नियंत्रण दोनों ही वोल्टता के मेल से होता है। दूसरे ग्रिडों का कार्य या तो आवरण का होता है या पट्टिक से गौण उत्सर्जन को दबाने का होता है, जैसा चतुर्ध्रुवी तथा पंचध्रुवी में होता है। कभी कभी एक ग्रिड का कार्य, जो धन विभव पर रहता है, सहायक पट्टिक के रूप में होता है। इस पट्टिक की धारा किसी एक नियंत्रक ग्रिड की वोल्टता पर निर्भर रहती है।
 
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इसके अतिरिक्त बहुध्रुवी नलियों का उपयोग विशेषतया स्वत: चालित उद्घोषतानियंत्रण तथा उद्दघोषताप्रसारक (वॉल्यूम एक्सपैंडर) में किया जा रहा है जिसमें एक नियंत्रक ग्रिड में लगाई वोल्टता का नियंत्रण दूसरे नियंत्रक ग्रिड में लगाई गई वोल्टता के द्वारा होता है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[गैस नली]]
* [[तापायनिक उत्सर्जन]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* http://www.pentalabs.com/tubeworks.html – The history of vacuum tubes
* http://www.cfp-radio.com/realisations/rea03/rea03.html – (FR) How to build a vacuum tube tester.
* [http://books.google.co.za/books?id=KSkDAAAAMBAJ&pg=PA132&lpg=PA132&dq=van+der+Bijl+Thermionic+valve&source=bl&ots=JnsAins0-i&sig=MgS3Rl7nR-MHLqpYd7nydirOCpY&hl=en&ei=Q_KJTem-F5D34gb7qbjvDQ&sa=X&oi=book_result&ct=result&resnum=2&ved=0CB8Q6AEwAQ#v=onepage&q=van%20der%20Bijl%20Thermionic%20valve&f=false The Thermionic Detector – HJ van der Bijl (October 1919)]
* [http://www.john-a-harper.com/tubes201/ How vacuum tubes really work] – Thermionic emission and vacuum tube theory, using introductory college-level mathematics.
* [http://www.ken-gilbert.com/techstuff/vtf.html The Vacuum Tube FAQ] – FAQ from rec.audio
* [http://www.marconicalling.com/museum/html/events/events-i=39-s=0.html The invention of the thermionic valve]. Fleming discovers the thermionic (or oscillation) valve, or 'diode'.
* [http://www.milbert.com/tstxt.htm Tubes Vs. Transistors] : Is There An Audible Difference? – 1972 AES paper on audible differences in sound quality between vacuum tubes and transistors.
पंक्ति 95:
* [http://www.atatan.com/~s-ito/vacuum/vacuum.html Vacuum tubes for beginners] – [http://www.atatan.com/~s-ito/vacuum/vacuum-j.html Japanese Version]
* [http://www.nj7p.org/Tube.php NJ7P Tube Database] – Data manual for tubes used in North America.
* [http://tdsl.duncanamps.com/ Vacuum tube data sheet locator]
* [http://www.classiccmp.org/rtellason/tubes.html Characteristics and datasheets]
* [http://blog.makezine.com/archive/2008/01/make_your_own_vaccum_tube.html Video of amateur radio operator making his own vacuum tube triodes]
* [http://everything2.com/title/tuning%2520eye%2520tubes Tuning eye tubes.]
* [http://www.techtubevalves.com/about_us/film_reels.php Archive film of Mullard factory Blackburn]
 
[[श्रेणी:निर्वात नली]]
[[श्रेणी:निर्वात|*]]
 
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[[af:Vakuumbuis]]