"नेपाली भाषाएँ एवं साहित्य": अवतरणों में अंतर

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== नेवारी ==
नेवारी '''आग्नेयदेशीय तिब्बत-वर्मी परिवार''' की भाषा मानी जाती है - '''एक स्वरीय''' शब्दों के अनुशासन के कारण। किंतु इस भाषा पर [[संस्कृत व्याकरण]] और शब्दगौरव का इतना प्रशस्त प्रभाव है कि नेवारी भाषा के प्रथम [[शब्दकोश]] और व्याकरण "[[पंचतंत्र]]" के नेवारी अनुवाद के आधार पर ही रचे जा सके थे। संस्कृत के ही समान नेवारी में भी [[विभक्ति|विभक्तियों]] के निश्चित प्रत्यय हैं जैसे चतुर्थी के लिए "यात", षष्ठी के लिए "यागु", सप्तमी के लिए "या" प्रत्यय इत्यादि। संस्कृत शब्दों के नेवारी [[तद्भव]] बना लेने की इस भाषा में अप्रतिम क्षमता है। कभी कभी एक ही मूल शब्द के कई भिन्न रूप बन जाते हैं जैसे "बिहार" शब्द के तीन तद्भव नेवारी में मिलते हैं -
* "भल" (सं. गोविशारउ, ने. गाभल),
* "भर" (सं. उच्च विहारउ, ने. चौभर) और
* "बहाल" (सं. ओअम् विहारउ, ने. मूबहल)।
 
"बुद्ध" शब्द के अरबी "बौद", फारसी "बुत" आदि तद्भवों के समान "महान बुद्ध" मंदिर का काठमांडो में नेवार द्वारा "माबुत्त" संबोधन होता है। नेवारी भाषा में एक बड़ी विशेषता यह है कि वहाँ कई कोटि के संख्यावाचक शब्द है। चिपटी वस्तुओं (पुस्तक, टिन की चद्दरें आदि) के लिए एक प्रकार के संख्यावाचक शब्द हैं, गोल वस्तुओं (फल आदि) के लिए दूसरे प्रकार के हैं, और मनुष्यों, पशुओं (जीवितों) के लिए तीसरी कोटि के संख्यावाचक शब्द है। वनारस-उत्तर कोसल में जनसाधारण की बोली में अनेक नेवारी शब्द घुल मिल गए हैं जिनकी व्युत्पत्ति बिना नेवारी भाषा जाने ज्ञात नहीं हो सकती जैसे "बिजे" ("विजे भइल", भोजन तैयार है के अर्थ में), झांसा (झांसा देना), आला (चीनी का लड्डू), "दिसा" (दिसा जाना), "व्यालू" (शाम का भोजन) "चिल्ला" (चिल्ला जाड़ा दिन चालीस बाला) आदि। निम्नांकित दो नेवारी वाक्यों से इस भाषा की गठन का कुछ आभास मिल सकेगा-
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नेपाली साहित्य की आधुनिकतम काव्यधारा सशक्त है। इस समय के प्रसिद्ध तरुण कवियों में भीमदर्शन रोका, एम.बी.वि. शाह, श्यामदास वैष्णव, धर्मराज थापा, पोषण प्रसाद पांडेय, वासुशशी, जनार्दनसम, जगतबहादुर बुढाथोकी, नीरविक्रमप्यासी, भूपीशेरचन, तुलसीदिवस, कालीप्रसाद रिसाल, प्रेमा शाह आदि का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
 
पिछले दशक में नेपाली डायास्पोरिक साहित्यका वजह से सोच और 'आपसी परिवर्तन' के नए तरीके विकसित किया है। कुछ लेखकों और उपन्यासों, जैसे होमनाथ सुवेदी की 'यमपुरीको यात्रा', पंचम अधिकारी की '[[पथिक प्रवासन]]', पहचान के नए मॉडल के रोशन दृष्टि प्रदान करता है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==