"नैनोप्रौद्योगिकी": अवतरणों में अंतर
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आधुनिक उपयोग में नैनोतकनीक के उदाहरण आणुविक ढांचे पर आधारित पोलिमर, और सतह विज्ञान पर आधारित कम्प्यूटर चिप का निर्माण है। नैनोतकनीक के अनेक आशाजनक क्षेत्रों, जैसे [[क्वांटम डोट्स|<span title="Quantum Dots">क्वांटम डोट्स</span>]] और [[नैनोंट्यूब|<span title="Nanotubes">नैनोंट्यूब्स</span>]], के बावज़ूद, वास्तविक वाणिज्यिक उपयोग अम्बार स्तर पर नैनोंकणों का उपयोग में सीमित है, जैसे [[धूप मलहम|<span title="Sun screen">धूप मलहम</span>]], [[प्रसाधन सामग्री|<span title="Cosmetic Products">प्रसाधन सामग्री</span>]], [[रक्षात्मक लेप|<span title="Protective Coatings">रक्षात्मक लेप</span>]], [[दवा सुपुर्दगी|<span title="Drug Delivery">दवा सुपुर्दगी</span>]]<ref>{{cite journal |author=अब्डेलवाहेद डब्लू, डेगोबर्ट जी, स्टैनमेस्सि एस, फेस्सि एच, |title= Freeze-drying of nanoparticles: Formulation, process and storage considerations|journal=[http://www.aapspharmaceutica.com/search/view.asp?ID=81310 Advanced Drug Delivery Reviews]. |volume=58 |issue=15 |pages=1688-1713 |year=2006}}</ref>,
== उद्गम ==
नैनोतकनीकी के सिद्धान्तों का पहला प्रयोग (मगर इस नाम के गढने से पूर्व) [[केल्टेक|<span title="Caltech">केल्टेक</span>]] में दिसम्बर २९ [[1959|१९५९]], [[अमेरिकन फिसिकल असोसिएशन|<span title="American Physical Association">अमेरिकन फिसिकल असोसिएशन</span>]] के बैठक के दोरान [[रिचर्ड फिलिप्स फाइनमेन|रिच्हर्ड फेइन्मन]] के व्याख्यान, [[दैरस् प्लेंटी ओफ् रूम् एट् द बोटम|<span title="There's Plenty of Room at the Bottom">"दैरस् प्लेंटी ओफ् रूम् एट् द बोटम" (आधार में काफी जगह है)</span>]], में हुआ। फेमन ने एक विधि का उल्लेख किया जिसमें एकल अणुओं और अणुकणिकाओं के प्रकलन हेतु सूक्ष्म यन्त्रों को बनाने का सुझाव है। उन्होंने इस दोरान [[गुरुत्वाकर्षण|<span title="Gravitation">गुरुत्वाकर्षण</span>]] के घटते प्रभाव, और [[पृष्ठ तनाव|<span title="surface tension">पृष्ठ तनाव</span>]] और [[वॉन् डर वाल्|<span title="Van der Waals force">वॉन् डर वाल्</span>]] आकर्षण के बढते प्रमुखता का उल्लेख किया। नैनोतकनीक शब्द को गढने का श्रेय [[टोक्यो]] विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नोरिओ तानिगुच्हि ने किया।
[[चित्र:Kohlenstoffnanoroehre Animation.gif|thumb|350px|कार्बन नैनोंट्यूब्स का सजीवन]]
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जैसे जैसे हम एक भौतिक वयवस्था को छोटा करते जाते हैं, हमें नये भौतिक प्रतिभासों का पता चलता है। इनमें शामिल हैं [[सांख्यिकीय यांत्रिकी|<span title="Statistical Mechanics">सांख्यिकीय यांत्रिकी</span>]] और [[प्रमात्रा यांत्रिकी|<span title="Quantum Mechanics">प्रमात्रा यांत्रिकी</span>]]। मैक्रो, या १०<sup>−६</sup> , आयामों में भी इन प्रतिभासों का पता नही चलता। नैनो स्केल में तल-क्षेत्रफल से घनफल के अनुपात के बढ जाने के कारण यांत्रिक, उष्ण, प्रकाशिक तथा उत्प्रेरक जैसे भौतिक गुणधर्मों का प्रभाव बदल जात है। नवीन "यांत्रिक" गुणधर्मों में अनुसंधान [[नैनोमेकैनिक्स्|<span title="Nanomechanics">नैनोमेकैनिक्स्</span>]] के तहत हो रहा है।
नैनो-पदार्थों के उत्प्रेरक बरताव का [[जैव-पदार्थ|<span title="Biomaterials">जैव-पदार्थों</span>]] के साथ अंतःक्रिया के जोखिम का अध्ययन एक महत्वपूर्ण विषय है।
नैनो-पदार्थों के इन गुणधर्मों के कई अनोखे अनुप्रयोग हैं। उदाहरण के लिये, गैर पारदर्शी पदार्थ का पारदर्शी होना ([[तांबा]]), अचर पदार्थों का उत्प्रेरक बनना ([[प्लाटिनम]], [[सोना]]), गैर दहनशील का दहनशील पदार्थ बनना ([[एलुमिनियम]]), ठोस पदार्थ का सामान्य तापमान में तरल होना (सोना), या कुचालक पदार्थ का चालक होना ([[सिलिकॉन]])।
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=== सरल से जटिल: एक आणुविक परिप्रेक्ष्य ===
आधूनिक [[संश्लेषिक रासायनशास्त्र|<span title="Synthetic Chemistry">संश्लेषिक रासायनशास्त्र</span>]] आज वहाँ तक पहुँच चुका है कि चोटे [[अणु|अणुओं]] से बडे ढाँचें की संरचना की जा सकती है। आज इन पद्यतियां से अनेकों प्रकार के उपयोगी रसायन बनाये जा रहे हैं, जैसे की [[दवा|<span title="pharmaceuticals">दवायें</span>]] और वाणिज्यिक उपयोगी [[बहुलक|<span title="polymers">बहुलक</span>]]। [[विशाल अणुकणिका रासायन शास्त]] या/और [[आणुविक स्वय-संयोजन]] इसे एक कदम आगे ले जाता है - एक-एक कर अणुओं को पुनर्निधारित आकारों में सहेज कर
अधिकांश लाभदायक ढांचों के निर्माण नही हो पा रहा है क्योंकि इसके लिये ज़रूरत पडती है जटिल और [[उष्मागतिकी|<span title="Thermodynamics">उष्मागतिकी</span>]] के सिधांतों के परे अणुओं के असम्भव संरचनाओं की। इसके बावज़ूद प्रकृति में कई ऐसे उदाहरण हैं, जैसे कि [[जेम्स डी. वाटसन|जेम्स वॉट्स्न]] और [[फ्रैन्सिस क्रिक]] द्वारा व्याख्यित [[बेस पैर|<span title="Watson-Crick basepair">बेस पैर</span>]] और [[किण्वक|<span title="Enzyme">किण्वक</span>]]-[[विकृत्य (जीव रसायन)|<span title="Substrate">विकृत्य</span>]] अन्योन्यक्रियें। नैनोतकनीक कि चुनौती है प्रकृति के इन सिधांतों का प्रयोग करने की।
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आणविक नैनोतकनीकी में, जिसे आणविक निर्माण भी कहते हैं, नैनो स्केल की मशीनों का उपयोग करके आणुविक पैमाने पर नैनो पधार्थों को बनाया जाता है। यह तकनीक सामान्य निर्माण तकनीकों से भिन्न है, जिनका प्रयोग कार्बन नैनोट्यूब्स या नैनोकणों के उत्पादन में होत है। इस तकनीक का आधार प्रकृति के अनन्त उदाहरणों में मिलता है। ड्रेक्स्लर और अन्य वैज्ञानिकों <ref>http://www.crnano.org/developing.htm Developing Molecular Manufacturing, क्रिस फीनिक्स</ref> का विश्र्वास है कि, पहले जीव अनुकरण से, और फिर यांत्रिक अभियांत्रिकी के सिद्धांतों के उपयोग से उत्पादन तकनीकों को विकसित करके प्रोग्रामयोग्य युक्ति बनेंगे। वहीं कार्लोस मोन्टेमागमो<ref>http://www.cnsi.ucla.edu/institution/personnel?personnel%5fid=105488 कार्लोस मोन्टेमागमो</ref> का मनना है कि [[सिलिकॉन]] और जैविक आणुविक मशीनों के तकनीकों को साथ लाने से बनेंगी नैनो सिस्टम्। एक और विचारधारा रिच्ह्रड स्माली की, जिनके अनुसार इनमे से किसी भी तकनीक के सफल होने की कोइ भी सम्भावना नही।
डॉ एलेक्स ज़ेटल और उनके साथियों
== नैनोप्रौद्योगिकी का उपयोग ==
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* [http://euphoria-neha.blogspot.com/2008/04/blog-post.html नैनोटेक्नोलॉजी: भविष्य के छोटे उस्ताद]
* [http://nanovigyan.wordpress.com/feed/ नैनोविज्ञान तथा नैनोटेकनोलॉजी के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ...]
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[[श्रेणी:तकनीकी और अभियान्त्रिकी]]
[[श्रेणी:भौतिकी]]
[[श्रेणी:नैनोतकनीकी]]
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[[an:Nanotecnolochía]]
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