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'''जॉय मुखर्जी''' ({{lang-bn|জয় মুখার্জী}}) एक [[भारत|भारतीय]] फिल्म अभिनेता हैं.
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== जीवनी ==
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''मुख्य लेख'' : ''मुखर्जी-समर्थ परिवार''
 
जॉय मुखर्जी सशधर मुखर्जी और सती देवी के पुत्र हैं. इनके पिता एक सफल निर्माता और फिल्मिस्तान स्टूडियो के सह-संस्थापक थे. इनके चाचा सुबोध मुखर्जी निर्देशक हैं, जबकि मामा अशोक कुमार और [[किशोर कुमार|किशोर कुमार]] थे. इनके भाई देब मुखर्जी और शोमू मुखर्जी हैं जिसकी शादी अभिनेत्री तनुजासे हुई थी. इनकी बेटियां [[काजोल देवगन|काजोल]] और तनीषा अभिनेत्रियां हैं. [[रानी मुखर्जी|रानी मुखर्जी]] इनकी भतीजी है, और उसका चचेरा भाई, अयन मुखर्जी जो इनका भतीजा है, निदेशक है.
 
=== जीवन-वृत्ति (कैरियर) ===
आर.के. नय्यर द्वारा निर्देशित फिल्म ''लव इन शिमला (1960)'' में जॉय के साथ [[साधना|साधना]] की जोड़ी थी. जैसाकि मेरे पिता, आग़ाजानी कश्मीरी (उर्फ आग़ाजानी और कश्मीरी) ने एक कहानी सुनाई जिन्होंने लव इन शिमला के लिए पटकथा और संवाद लिखे और जॉय को इस भूमिका के लिए चुना. सशोधर, (सशधर भी कहलाते थे), उसके पिता, आगा जानी के एक करीबी दोस्त और नियोक्ता थे. एक शाम, जब दोनों स्कॉच व्हिस्की का दौर चलाते हुए लव इन शिमला में मुख्य भूमिका कौन निभाएगा इसपर चर्चा कर रहे थे, (सशोधर शम्मी कपूर को लेने को उत्सुक थे), आगा जानी की निगाहें जॉय पर थीं जो बंबई विश्वविद्यालय से अपनी पढाई कर घर आया था. उन्होंने लंबे और सुन्दर दिखने वाले युवक की ओर इशारा किया और कहा, "लो, यह रहा तुम्हारा हीरो." सशोधर को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जॉय यह कर लेगा और उन्होंने आगा जानी से पूछा कि क्या वह जॉय को अभिनय की शिक्षा देने और उसकी भाषा एवं भाषण-शैली सिखाने का दायित्व ग्रहण करेंगे. आगा जानी इसपर सहमत हो गए. और बॉलीवुड को एक नया हीरो पेश किया गया. लव इन शिमला के बाद, इन्होने [[आशा पारेख|आशा पारेख]] के साथ ''फिर वही दिल लाया हूं'' और ''जिद्दी'' जैसी कई हिट फिल्मों में एक साथ काम किया. 60 वें दशक के अंतिम चरण में [[धर्मेन्द्र|धर्मेंद्र]] जितेंद्र, और [[राजेश खन्ना|राजेश खन्ना]] जैसे सितारों की लोकप्रियता में वृद्धि के साथ [http://www.rediff.com/movies/2003/may/24dinesh.htm ] जॉय को भूमिकाएं मिलनी कम हो गईं.
 
जॉय ने तब ''हमसाया'' निर्मित और निर्देशित की लेकिन यह फिल्म अच्छी तरह नहीं चली और निर्माता या निर्देशक के रूप में इनकी बाद में आने वाली फिल्मों ने भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. अपने भाई देब मुखर्जी और शाली तनुजा के साथ घरेलू प्रोडकशन ''एक बार मुस्कुरा दो (1972)'' की सफलता के बावजूद जॉय फिल्म के दृश्य-पट से धूमिल होते चले गए. इनके निर्देशन में बनी [[ज़ीनत अमान|जीनत अमान]] और [[राजेश खन्ना|खन्ना राजेश]] अभिनीत एक फिल्म ''छैल्ला बाबू'' के साथ इन्हें अंतिम सफलता मिली.
 
2009 में इन्होने टेलीविजन धारावाहिक "ऐ दिल-ए-नादान" में अभिनय किया.
 
== फ़िल्मों की सूची ==
* ''हैवान'' (1977)
* ''एक बार मुस्कुरा दो'' (1972)
* ''कहीं आर कहीं पार'' (1971)
* ''आग और दाग'' (1970)
* ''एहसान'' (1970)
* ''इन्स्पेक्टर'' (1970) ... इन्स्पेक्टर राजेश/एजेंट 707
* ''मुजरिम'' (1970) ... गोपाल
* ''पुरस्कार'' (1970) ... राकेश
* [[दुपट्टा|''दुपट्टा'' ]] (1969)
* ''दिल और मोहब्बत'' (1968) ... रमेश चौधरी
* ''एक कली मुस्काई '' (1968)
* ''हमसाया'' (1968)
* ''शागिर्द'' (1967) ... राजेश
* ''लव इन टोक्यो'' (1966) ... अशोक
* ''ये जिंदगी कितनी हसीन हैं'' (1966) ... संजय मल्होत्रा
* ''साज़ और आवाज़'' (1966)
* ''बहू बेटी'' (1965) ... शेखर
* ''आओ प्यार करें'' (1964)
* ''दूर की आवाज़'' (1964)
* ''इशारा'' (1964)
* ''जी चाहता हैं'' (1964)
* ''जिद्दी'' (1964) ... अशोक
* ''फिर वही दिल लाया हूं'' (1963) ... मोहन
* ''एक मुसाफिर एक हसीना'' (1962)
* ''उम्मीद'' (1962)
* ''हम हिंदुस्तानी'' (1960) ... सत्येन्द्र नाथ
* ''लव इन शिमला'' (1960) .. देव कुमार मेहरा
 
== बाहरी लिंक्स ==
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[[Categoryश्रेणी:जीवित लोग]]
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[[bg:Джой Мукерджи]]