"अपच": अवतरणों में अंतर

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'''डिस्पेप्शिया''' (ग्रीक "δυς '(Dys-) और" πέψη "(Pepse) से बना हुआ, जिसे पेट के गड़बड़ या अपच, अर्थ पाचन में कठिन, के रूप में जाना जाता है, वह एक चिकित्सा संबंधी स्थिति है जिसकी विशेषता उदर के उपरी हिस्से में बार-बार होने वाला दर्द, ऊपरी उदर संबंधी पूर्णता और भोजन करने के समय अपेक्षाकृत पहले से ही पूर्ण महसूस करना है. इसके साथ सूजन, उबकाई, मिचली, या हृद्‌दाह (अम्लशूल) होता है. अपच एक आम समस्या है, और यह प्राय: जठरग्रासनलीपरक प्रतिस्पंदन बीमारी (GERD) या जठरशोथ के कारण होता है, लेकिन एक छोटी संख्या में लोगों में यह पेप्टिक अल्सर (उदर या ग्रहणी का फोड़ा या घाव) बीमारी और कभी-कभी कैंसर का प्रथम रोग लक्षण हो सकता है. इसलिए, 55 वर्ष से अधिक की आयु वाले लोगों में अस्पष्ट नए आक्रमण वाला अपच या अन्य खतरे के संकेत वाले लक्षणों की उपस्थिति की और अधिक जांच-पड़ताल की आवश्यकता है.
 
== संकेत और लक्षण ==
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अपच के विशिष्ट लक्षण उदर के उपरी हिस्से में दर्द, सूजन, परिपूर्णता और संस्पर्शन के समय [[संवेदनशीलता]] हैं.{{fact|date=May 2008}} परिश्रम के द्वारा बदतर होता हुआ और [[मिचली]] तथा [[पसीने से जुड़ा]] हुआ दर्द [[कण्ठदाह]] को भी सूचित कर सकता है.{{fact|date=May 2008}}
 
कभी-कभी अपच संबंधी लक्षण औषधि के प्रयोग से उत्पन्न होते हैं, जैसे कि [[कैल्शियम प्रतिरोधी]] (हृद्शूल या [[उच्च रक्त चाप]] के लिए प्रयुक्त होने वाला), नाइट्रेट्स ([[हृद्शूल]] के लिए प्रयुक्त होने वाला), [[थियोफिलिन]] (चिरकारी फेंफड़े की बीमारी के लिए प्रयुक्त होने वाला), [[बिस्फॉस्फोनेट्स]], [[कॉर्टिकॉस्टेरॉयड्स]] और [[गैर-स्टेरॉइड युक्त प्रदाहनाशी औषधियां]] (दर्दनाशक औषधियों के रूप में प्रयुक्त होने वाली NSAIDs).<ref name="NICE" />
 
[[जठरांत्र रक्तस्राव]] (उल्टी में रक्त आना) की उपस्थिति, [[निगलने में कठिनाई]], [[भूख का अभाव]] (भूख में कमी), अनजाने में की गयी वजन की कमी, उदर संबंधी सूजन और लगातार [[उल्टी]] होना पेप्टिक अल्सर रोग या असाध्यता के सूचक हैं, और यह आवश्यक जांच-पड़तालों को आवश्यक बनाता है.<ref name="NICE" />
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बिना खतरे के संकेत के लक्षणों वाले 55 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों का उपचार जांच के बिना किया जा सकता है. हाल ही में अपच के आक्रमण से प्रभावित 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोग या खतरे के संकेत वाले लोगों की अविलंब जांच [[ऊपरी जठरांत्र के अंत:दर्शन (इंडोस्कोपी)]] के द्वारा की जानी चाहिए. यह पेप्टिक अल्सर रोग, औषधि से संबंधित व्रणोत्पत्ति (फोड़ा), असाध्यता और अन्य अधिक दुर्लभ कारणों को असंभव बनाएगा.<ref name="NICE" />
 
55 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति जिनमें खतरों के संकेत वाली कोई विशेषताएं नहीं होती हैं उनकी अंत:दर्शन (इंडोस्कोपी) द्वारा जांच करने की जरुरत नहीं होती है लेकिन उनके ''[[हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori)]]'' संक्रमण द्वारा उत्पन्न पेप्टिक अल्सर की [[जांच-पड़ताल]] करने के बारे में विचार किये जाते हैं. आम तौर पर ''''एच. पाइलोरी'' '' (H.pylori) संक्रमण के लिए जांच तभी की जाती है जब स्थानीय समुदाय में इस संक्रमण की सामान्य से लेकर उच्च व्याप्ति होती है या अपच से प्रभावित व्यक्ति में एच. पाइलोरी के लिए जोखिम संबंधी अन्य कारक, उदाहरण के लिए उच्च व्याप्ति वाले क्षेत्र से जातीयता या आप्रवास से संबंधित होते हैं. यदि संक्रमण की पुष्टि हो जाती है तो आम तौर पर औषधि द्वारा इसका नाश किया जा सकता है.
 
औषधि से संबंधित अपच आम तौर पर [[गैर-स्टेरॉइड युक्त प्रदाहनाशी औषधियां]] (NSAIDs) से संबंधित होता है और यह रक्तस्राव या आमाशय की दीवार में छेद के साथ व्रनोत्पत्ति के द्वारा जटिल बन सकता है.
 
== उपचार ==
कार्यात्मक और अविभेदित अपच के उपचार समान होते हैं. औषधि चिकित्सा के उपयोग के संबंध में निर्णय कठिन होते हैं क्योंकि परीक्षणों में हृद्‌दाह (अम्लशूल) को अपच की परिभाषा के रूप में शामिल किया गया. इससे [[प्रोटॉन पंप निरोधक]] (PPIs) का समर्थन करने वाले परिणाम उत्पन्न हुए, जो हृद्‌दाह (अम्लशूल) के उपचार के लिए प्रभावकारी होते हैं. इस रोग निदान के लिए प्रयुक्त होने वाली परंपरागत चिकित्साओं में जीवन शैली में परिवर्तन, अम्लनाशक, [[H2-अभिग्राहक प्रतिरोधी (H2-RAs)]], जठरांत्रिय स्वत: [[गतिशीलता वाले अभिकारक]], और [[उदारावायु रोधी औषधियां]] शामिल हैं. यह ध्यान दिया गया है कि कार्यात्मक अपच का उपचार करने के सर्वाधिक निराशायुक्त कारणों में से एक यह है कि इन परंपरागत एजेंटों को थोड़ी या प्रभावकारिता के बिना दिखाया गया है.<ref name="Monkemuller">{{cite journal |author=Mönkemüller K, Malfertheiner P |title=Drug treatment of functional dyspepsia |journal=World J. Gastroenterol. |volume=12 |issue=17 |pages=2694–700 |year=2006 |pmid=16718755 |doi= |url=http://www.wjgnet.com/1007-9327/12/2694.asp}}</ref>
 
एक साहित्यिक रचना की समीक्षा में अम्लनाशकों और [[सुक्रलफेट]] को कूटभेषज (रोगी की संतुष्टि के लिये दी जाने वाली निष्क्रिय औषधि)से बेहतर नहीं पाया गया.<ref name="ACG Guidelines">{{cite journal |author=Talley NJ, Vakil N |title=Guidelines for the management of dyspepsia |journal=Am. J. Gastroenterol. |volume=100 |issue=10 |pages=2324–37 |year=2005 |pmid=16181387 |doi=10.1111/j.1572-0241.2005.00225.x |url=}}</ref> बुरी गुणवत्ता वाले परीक्षणों (जोखिम में 30% की सापेक्ष कमी<ref name="ACG Guidelines" />) में H2-RAs को उल्लेखनीय लाभ, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाले परीक्षणों में इसे केवल एक नाममात्र लाभ के रूप में दिखाया गया है.<ref name="Monkemuller" /> जठरांत्रिय स्वत:गतिशीलता वाले अभिकारक अनुभव सिद्ध ढंग से अच्छी तरह से कार्य करते हुए माने जाएंगे क्योंकि [[विलंबित जठरीय रिक्तीकरण]] को कार्यात्मक अपच में एक प्रमुख विकारी-शरीरक्रिया संबंधी प्रक्रिया माना जाता है.<ref name="Monkemuller" /> सापेक्ष जोखिम में 50% तक कमी उत्पन्न करने के लिए उन्हें एक जनसांख्यिकीय विश्लेषण तकनीक के रूप में दर्शाया गया है, लेकिन इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए मूल्यांकन किये गए अध्ययनों ने [[सिसाप्राइड]] नामक औषधि का प्रयोग किया जिसे तब से बाजार से हटा दिया गया है (गंभीर प्रतिकूल घटनाओं जैसे कि कतरनों के कारण यह केवल एक जांच संबंधी कारक के रूप में उपलब्ध है,<ref>जन्सीन सिसाप्राइड द्वारा इन्फौर्मेशन रिगार्डिंग विथड्रोल ऑफ़ प्रोपुल्सिड (सीसाप्राइड).[http://www.fda.gov/medwatch/safety/2000/safety00.htm#propul FDA से]</ref> और प्रकाशन संबंधी पूर्वाग्रह को ऐसे उच्च लाभ के लिए एक उच्च क्षमता वाले आंशिक विवरण के रूप में उद्धृत किया गया है.<ref name="ACG Guidelines" /> आधुनिक जठरांत्रिय स्वत: गतिशीलता वाले अभिकारक जैसे कि मेटोक्लोप्रैमाइड, एरिथ्रोमाइसिन और टिगैसेरॉड की बहुत कम या कोई भी स्थापित प्रभावकारिता नहीं है और अक्सर उनके पर्याप्त पक्षीय प्रभाव होते हैं.<ref name="ACG Guidelines" /> सिमेथिकॉन का कुछ महत्त्व होना पाया गया है, क्योंकि एक परीक्षण कूटभेषज की तुलना में इसके संभावित लाभ की सुझाव देता है और अन्य सिसाप्राइड के साथ तुल्यता दर्शाता है.<ref name="ACG Guidelines" /> तो, हाल के कुछ प्रोटॉन पंप निरोधक (PPIs) औषधियों के वर्ग के आगमन के साथ, यह प्रश्न उठा है कि क्या ये नए एजेंट परंपरागत चिकित्सा से बेहतर है.
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हर्बल उत्पादों की 2002 की एक प्रणालीगत समीक्षा में यह पाया गया कि [[पुदीना]] और [[काला जीरा]] सहित विभिन्न जड़ी-बूटियों के गैर-अल्सर अपच पर अपच-रोधी प्रभाव होते हैं जिसके साथ "प्रोत्साहक सुरक्षा संबंधी रूपरेखाएं" होती हैं.<ref>{{cite journal |author=Thompson Coon J, Ernst E |title=Systematic review: herbal medicinal products for non-ulcer dyspepsia |journal=Aliment. Pharmacol. Ther. |volume=16 |issue=10 |pages=1689–99 |year=2002 |month=October |pmid=12269960 |doi= |url=}}</ref> 2004 के एक जनसांखिकीय-विश्लेषण,जिसमें तीन डबल-ब्लाइंड [[कूटभेषज-नियंत्रित अध्ययनों]] से आंकड़े संग्रह किये गए, ने यह पाया कि विविध अपच संबंधी निदानों को लक्ष्य करते हुए [[कार्यात्मक अपच]] से प्रभावित मरीजों का उपचार करने के समय विविध जड़ी-बूटी सार आइबेरोगास्ट कूटभेषज की अपेक्षा महत्वपूर्ण रूप से अधिक प्रभावकारी (p मान =.001) होता है.<ref name="Melzer2004">{{cite journal |author=Melzer J, Rösch W, Reichling J, Brignoli R, Saller R |title=Meta-analysis: phytotherapy of functional dyspepsia with the herbal drug preparation STW 5 (Iberogast) |journal=Aliment. Pharmacol. Ther. |volume=20 |issue=11-12 |pages=1279–87 |year=2004 |pmid=15606389 |doi=10.1111/j.1365-2036.2004.02275.x |url=}}</ref> जर्मन निर्मित इस पादप उत्पत्ति वाली औषधि को सिसाप्राइड के तुल्य पाया गया और चार सप्ताह की अवधि में कार्यात्मक अपच के लक्षणों को कम करने में यह मेटोक्लोप्रैमाइड से महत्वपूर्ण रूप से अधिक बेहतर था.<ref name="Rosch2002">{{cite journal |author=Rösch W, Vinson B, Sassin I |title=A randomised clinical trial comparing the efficacy of a herbal preparation STW 5 with the prokinetic drug cisapride in patients with dysmotility type of functional dyspepsia |journal=Z Gastroenterol |volume=40 |issue=6 |pages=401–8 |year=2002 |pmid=12055663 |doi=10.1055/s-2002-32130 |url=}}</ref><ref name="Hanisch2005">{{cite journal|journal=Med Klinik|title=The efficacy and safety of STW 5 versus Metochlopramide oral for functional dyspepsia under practice conditions (in German)|author=Hanisch J, Bock P, Vinson B|year=2005|volume=100}}</ref> 40,961 12 बच्चों (12 वर्ष या उससे कम) की पूर्वव्यापी निगरानी में कोई पक्षीय प्रभाव नहीं पाया गया.<ref name="Leichtle1999">{{cite journal|journal=Forschungsbericht Steigerwald Arzneimittelwerk|title=Experience reports on the use of Iberogast in children (in German)|author=Liechtle K|year=1999|volume=GmbH}}</ref>
 
वर्तमान में, PPIs विशिष्ट औषधि पर निर्भर कर रहे हैं, FDA ने क्षयकारी [[ग्रासनलीशोथ]], जठरग्रासनलीपरक प्रतिस्पंदन रोग (GERD), [[ज़ोलिन्गर-एलिसन संलक्षण]] (सिंड्रोम), एच. पाइलोरी का नाश, ग्रहणी और जठरीय अल्सर, और NSAID-प्रेरित अल्सर की रोगमुक्ति और रोकथाम, न की कार्यात्मक अपच की और संकेत किया. हालांकि, साक्ष्य-आधारित दिशानिर्देश और साहित्य हैं जो इस संकेत के लिए PPIs के उपयोग का मूल्यांकन करते हैं. प्रमुख परीक्षणों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करने वाला एक सहायक चार्ट 2006 में वर्ल्ड जर्नल ऑफ़ गैस्ट्रोइन्टेरोलोजी में प्रकाशित कार्यात्मक अपच के दिशानिर्देशों में उपलब्ध hain.<ref name="Monkemuller" />
कैडेट (CADET) अध्ययन ने सर्वप्रथम एक PPI (प्रतिदिन 20 मिलीग्राम ओमेप्रैजोल) की तुलना एक H2-RA (रैनीटिडाइन 150 मिलीग्राम BID) और एक जठरांत्रिय स्वत: गतिशीलता वाले अभिकारक (सिसाप्राइड 20 मिलीग्राम BID) दोनों के साथ-साथ कूटभेषज के साथ की.<ref>{{cite journal |author=Veldhuyzen van Zanten SJ, Chiba N, Armstrong D, ''et al.'' |title=A randomized trial comparing omeprazole, ranitidine, cisapride, or placebo in helicobacter pylori negative, primary care patients with dyspepsia: the CADET-HN Study |journal=Am. J. Gastroenterol. |volume=100 |issue=7 |pages=1477–88 |year=2005 |pmid=15984968 |doi=10.1111/j.1572-0241.2005.40280.x |url=}}</ref> इस अध्ययन ने 4 सप्ताहों और 6 महीनों में मरीजों में इन एजेंटों का मूल्यांकन किया और यह ध्यान दिया कि सिसाप्राइड (13%), या कूटभेषज (14%) (p=.001) की तुलना में ओमेप्रैजोल को महत्वपूर्ण रूप से बेहतर प्रतिक्रया मिली जबकि रैनिटिडाइन (21%) (p=.053) की तुलना में जनसांखिकीय दृष्टि से महत्वपूर्ण रूप से बेहतर होने के कारण यह निर्धारित सीमा से ठीक अधिक था. ओमेप्रैजोल ने अन्य एजेंटों और कूटभेषज की तुलना में माप किये सिवाय एक वर्ग को छोड़कर जीवन की गुणवत्ता अंकों में महत्वपूर्ण रूप से वृद्धि भी दर्शायी (p = .01 to .05).
 
एनकोर (ENCORE) अध्ययन, जो ओपेरा (OPERA) अध्ययन से मरीजों की आगे की कार्यवाही थी, ने यह दर्शाया कि ओमेप्रैजोल चिकित्सा के प्रतिक्रियादाताओं ने तीन महीने की अवधि (p < .001) में गैर-प्रतिक्रियादाताओं की अपेक्षा क्लीनिकों का कम दौरा किया.<ref>{{cite journal |author=Talley NJ, Meineche-Schmidt V, Paré P, ''et al.'' |title=Efficacy of omeprazole in functional dyspepsia: double-blind, randomized, placebo-controlled trials (the Bond and Opera studies) |journal=Aliment. Pharmacol. Ther. |volume=12 |issue=11 |pages=1055–65 |year=1998 |pmid=9845395 |doi= 10.1046/j.1365-2036.1998.00410.x|url=http://www.blackwell-synergy.com/openurl?genre=article&sid=nlm:pubmed&issn=0269-2813&date=1998&volume=12&issue=11&spage=1055}}</ref><ref>{{cite journal |author=Meineche-Schmidt V, Talley NJ, Pap A, ''et al.'' |title=Impact of functional dyspepsia on quality of life and health care consumption after cessation of antisecretory treatment. A multicentre 3-month follow-up study |journal=Scand. J. Gastroenterol. |volume=34 |issue=6 |pages=566–74 |year=1999 |pmid=10440605 |doi= 10.1080/003655299750026010|url=}}</ref>
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अपच" से प्राप्त