"न्यायवाद (चीनी दर्शनशास्त्र)": अवतरणों में अंतर
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'''न्यायवाद''' (<small>[[चीनी भाषा]]: 法家, फ़जिया; [[अंग्रेज़ी]]: Legalism, लीगलिज़म</small>) प्राचीन [[चीन का इतिहास|चीनी इतिहास]] के [[झोऊ राजवंश]] के [[झगड़ते राज्यों के काल]] के [[सौ विचारधाराओं]] नामक दौर में प्रचलित एक विचारधारा थी। यह सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्था पर केन्द्रित थी और जीवन के लक्ष्य और धार्मिक मामलों के साथ इसका ज़्यादा सरोकार नहीं था। शुरू में इस विचारधारा को उल्लेखित [[चिन राज्य (प्राचीन चीन)|चिन राज्य]] के राजनेता शांग यांग (<small>商鞅, Shang Yang</small>, ३९०-३३८ ईसापूर्व) ने किया। इसे आगे सब से अधिक विकसित हान फ़ेईज़ी (मृत्यु २३३ ईपू) और ली सी (मृत्यु २०८ ईपू) ने किया। इनके अनुसार इंसान की मूल प्रकृति स्वार्थी है और इसे कभी बदला नहीं जा सकता। इसलिए समाज को सुव्यवस्थित रखने के लिए कड़े क़ानूनों की आवश्यकता है जिन्हें सख़्ती से लागू किया जाए। न्यायवादियों के लिए राष्ट्र और राज्य का हित नागरिकों के हित से बढ़कर है। इसलिए ज़रूरी है कि राज्य सम्पन्न और शक्तिशाली हो भले नागरिकों को कितना ही मुश्किल जीवन ही क्यों न जीना पड़े।<ref name="ref78guhim">[http://books.google.com/books?id=zIFXyPMI51AC New dimensions of Confucian and Neo-Confucian philosophy], Zhongying Cheng, SUNY Press, 1991, ISBN
== राजाओं के लिए सलाह ==
हान फ़ेईज़ी के अनुसार किसी भी शासक को तीन तत्वों का प्रयोग करना चाहिए:<ref name="ref96ligal">[http://books.google.com/books?id=wH6jUFojxlUC History of Chinese philosophy], Bo Mou, Taylor & Francis US, 2008, ISBN
* '''फ़ा''' (法, कानून या सिद्धांत): क़ानूनों को स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए और सभी नागरिकों पर बराबरी से लागू होना चाहिए। जो क़ानून का पालन करे उसे सुरक्षा और इज़्ज़त मिलनी चाहिए और जो उसे तोड़े उसे सज़ा मिलनी चाहिए। क़ानून में मनमानी की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। सब को क़ानून का ज्ञान होना चाहिए। राज्य क़ानून के अनुसार चलना चाहिए, न की राज्य को अपनी मन-मर्ज़ी के क़ानून बनाने चाहिए। अगर इस सिद्धांत का पालन हो तो कमज़ोर राजा भी प्रभावशाली हो सकता है।
* '''शु''' (術, विधि और तरीक़ा): शासक को कुछ विशेष और गुप्त तरीक़ों से यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए की कोई अन्य सत्ता न छीन ले। इसलिए किसी को भी शासक के इरादों का ठीक पता नहीं होना चाहिए। नागरिकों को साधारण जीवन जीने के लिए केवल 'फ़ा' (क़ानून) के पालन की ज़रुरत है। उस से अधिक सत्ता में आने के लिए या राजनैतिक रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए क्या करना चाहिए, इन बातों पर पर्दा डला रहना चाहिए।
* '''शी''' (勢, शक्ति और प्रतिभा): शासक को हमेशा याद रखना चाहिए की शक्ति सिंहासन से जुड़ी होती है न की किसी व्यक्ति-विशेष से। इसलिए शासक को सदैव हालात पर, घटना चक्रों पर और बनते हुए माहौल पर नज़र रखनी चाहिए।
== इन्हें भी देखें ==
* [[सौ विचारधाराएँ]]
* [[झगड़ते राज्यों का काल]]
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>
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