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भगवान झूलेलाल के अवतरण दिवस को सिंधी समाज [[चेटीचंड]] के रूप में मनाता है। कुछ विद्वानों के अनुसार सिंध का शासक मिरखशाह अपनी प्रजा पर अत्याचार करने लगा था जिसके कारण सिंधी समाज ने 40 दिनों तक कठिन जप, तप और साधना की। तब सिंधु नदी में से एक बहुत बड़े नर मत्स्य पर बैठे हुए भगवान झूलेलाल प्रकट हुए और कहा मैं 40 दिन बाद जन्म लेकर मिरखशाह के अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाउंगा। चैत्र माह की द्वितीया को एक बालक ने जन्म लिया जिसका नाम उडेरोलाल रखा गया। अपने चमत्कारों के कारण बाद में उन्हें झूलेलाल, लालसांई, के नाम से सिंधी समाज और ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से मुसलमान भी पूजने लगे। चेटीचंड के दिन श्रद्धालु बहिराणा साहिब बनाते हैं। शोभा यात्रा में ‘छेज’ (जो कि गुजरात के डांडिया की तरह लोकनृत्य होता है) के साथ झूलेलाल की महिमा के गीत गाते हैं। ताहिरी (मीठे चावल), छोले (उबले नमकीन चने) और शरबत का प्रसाद बांटा जाता है। शाम को बहिराणा साहिब का विसर्जन कर दिया जाता है।
 
== भगवान झूलेलाल के प्रमुख संदेश ==
 
* ईश्वर अल्लाह हिक आहे।
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*: सारी सृष्टि एक है, हम सब एक परिवार हैं।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://hindi.webdunia.com/religion/religion/personality/1104/05/1110405016_1.htm मानव उत्थान के लिए जन्में थे झूलेलाल]
* [http://www.beta.livehindustan.com/news/deshlocal/dharamchatra/article1-story-0-69-164731.html चेटीचण्ड: सिन्धियों का सबसे बड़ा त्योहार]
* [http://www.thesindhuworld.com All About Sindhis]
* [http://www.jhulelal.com Jhule Lal]