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'''पद्मगुप्त''' 'नवसाहसांकचरित' नामक [[महाकाव्य]] के रचयिता। कीथ के अनुसार इनका समय १००५ ई. के लगभग होना चाहिए।
 
नवसाहसांकचरित ऐतिहासिक काव्य है। इसमें काल्पनिक राजकुमारी शशिप्रभा के प्रणय की कथा स्पष्ट रूप से वर्णित है परंतु यह [[मालवा]] के राजा सिंधुराज नवसाहसांक के चरित का भी वर्णन [[श्लेष]] के द्वारा उपस्थित करता है। जैसा प्राय: [[संस्कृत]] इतिहास काव्यों में देखा जाता है- उनमें प्रामाणिक इतिहास कम, चरितनायक के चरित का अतिरंजित वर्णन अधिक होता है- वैसा ही इस काव्य में भी हुआ है। कवि का उपनाम 'परिमल' था। [[उद्गाता छंद]] के उपयोग में इनकी विशेष कुशलता प्राप्त थी।