"सुशील कुमार (पहलवान)": अवतरणों में अंतर

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[[Fileचित्र:Sushil Kumar03.png|thumb|right|300px|पहलवान सुशील कुमार]][[सुशील कुमार]] (जन्म [[१९८३]]) एक [[कुश्ती]] [[पहलवान]] हैं जिन्होंने २००८ में [[बीजिंग]] में खेले जा रहे ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीत कर [[१९५२]] के इतिहास को एक बार फिर से दोहराया। १९५२ में यह पदक [[महाराष्ट्र]] के [[खशाबा जाधव]] ने जीता था। सुशील कुमार ने 66 किग्रा फ्रीस्टाइल में कजा‍खिस्तान के लियोनिड स्प्रिडोनोव को हराया। सुशील ने इस जीत पर खुशी प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें इस जीत की उम्मीद थी। उनकी जीत के बाद पूरी दिल्ली में जश्न का माहौल देखा गया। सुशील, [[सतपाल पहलवान]] के शिष्य हैं। सुशील कुमार के लिए दिल्ली सरकार ने ५० लाख के इनाम की घोषणा की जबकि रेलवे ने ५५ लाख और हरियाणा सरकार ने २५ लाख के इनाम की घोषणा की है।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/sport/story/2008/08/080820_olympic_goodday.shtml|title=ओलंपिक में भारत का ऐतिहासिक दिन |accessmonthday=[[२१ अगस्त]]|accessyear=[[2008]]|format= एसएचटीएमएल|publisher= बीबीसी|language=}}</ref>
 
== व्यक्तिगत जीवन ==
दिल्ली के नजफगढ़ इलाके एक गाँव बापरोला में [[१९८२]] में जन्मे सुशील के पिता का नाम दीवानसिंह और माता का कमला है। सुशील तीन भाईयों के परिवार में सबसे बड़े हैं। वह बचपन से कुश्ती के दीवाने थे और शुरू से ही उनका लक्ष्य ओलिम्पिक में पदक जीतना था। उन्होंने [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] से स्नातक की उपाधि हासिल की लेकिन वह बचपन से ही महाबली सतपाल से जुड़ गए थे, जिन्होंने उनके कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे [[भारतीय रेल]] में कार्यरत हैं।
 
== कुश्ती के क्षेत्र में ==
सुशील ने [[२००६]] में [[दोहा]] [[एशियाई खेल |एशियाई खेलों]] में काँस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का पहला परिचय दिया था। [[दिल्ली]] के [[छत्रसाल स्टेडियम]] में प्रतिदिन सुबह पाँच बजे से कुश्ती के दाँवपेच सीखने वाले [[अर्जुन पुरस्कार]] विजेता सुशील ने अगले ही साल मई [[२००७]] में [[सीनियर एशियाई चैम्पियनशिप]] में रजत पदक जीता और फिर [[कनाडा]] में आयोजित [[राष्ट्रमंडल कुश्ती प्रतियोगिता]] में स्वर्ण पदक हासिल किया। [[अजरबेजान]] में हुई [[विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप]] में वे हालाँकि आठवें स्थान पर पिछड़ गए थे लेकिन उसने यहीं से बीजिंग ओलिम्पिक खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया था।
ओलिम्पिक खेलों के लिए [[पटियाला]] के [[राष्ट्रीय क्रीडा संस्थान]] में विदेशी कोच से ट्रेनिंग लेने वाले सुशील ने इस साल [[कोरिया]] में आयोजित [[सीनियर एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप]] में काँस्य पदक जीता था।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/sports/olympic/olynews/0808/20/1080820133_1.htm
|title=सुशील 'नजफगढ़ के नए सुल्तान' बने|accessmonthday=[[२१ अगस्त]]|accessyear=[[2008]]|format= एचटीएम|publisher= वेबदुनिया|language=}}</ref> ओलंपिक में भाग लेने के लिए भारतीय कुश्ती महासंघ ने सुशील कुमार की बेलारूस के प्रशिक्षक हाल्देमीर की देखरेख में बेलारूस में तीन हफ्तों तक कड़ी मेहनत करवाई है। गत ओलिम्पिक में उन्होंने ६० किग्रा वर्ग में भाग लिया था लेकिन वे कोई भी पदक प्राप्त करने में असफल रहे थे।
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|title=बीजिंग में ताल ठोंकने को तैयार भारतीय पहलवान|accessmonthday=[[२१ अगस्त]]|accessyear=[[2008]]|format= एचटीएमएल|publisher= याहू जागरण|language=}}</ref>
 
== बीजिंग ओलंपिक में ==
[[२० अगस्त]] को बीजिंग में हुए मुकाबले में सुशील ने मुकाबले में अच्छी शुरूआत करते हुए कजाखस्तानी पहलवान को ज्यादा मौका नहीं दिया। पहले राउंड में सुशील २-१ से आगे रहे। दूसरे राउंड में स्पिरिदोनोव ने वापसी की और इस दौर को १-० से जीत लिया। तीसरे राउंड में कोई भी पहलवान स्कोर नहीं कर सका और इस दौर के बाद मुकाबला २-२ से बराबरी पर था। नतीजा निकालने के लिये टॉस किया गया जिसके आधार पर लियोनिद को पहला दांव खेलने का मौका दिया गया मगर सुशील ने उन्हें अपने दांव में उलझाकर बाजी मार ली। अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी भारतीय पहलवान ने टाईब्रेक में टॉस हारने के बावजूद जीत हासिल की। बुधवार की सुबह यूक्रेन के आंद्री स्तादनिक के हाथों प्री-र्क्वाटरफाइनल मुकाबले में हार के साथ ही सुशील का सफर खत्म लग रहा था मगर पहले राउंड में बाई मिलने के कारण रेपचेज पाने की वजह से भारत के लिये उम्मीद की किरण बरकरार थी। सुशील ने कांस्य पदक जीतकर इस मद्धिम किरण को रोशनी बिखेरती लौ में तब्दील कर दिया। स्पर्द्धा के पहले दौर में हार के बाद सुशील ने जोरदार वापसी करते हुए [[अमरीका]] के डॉफ श्वाब, [[बेलारूस]]के अलबर्ट बतीरोव और अंतत: [[कजाकिस्तान]] के लियोनिद को हराया था।<ref>{{cite web |url= http://www.pratahkal.com/index.php?option=com_content&task=view&id=33054
|title=खेल इतिहास का स्वर्णिम दिन |accessmonthday=[[२१ अगस्त]]|accessyear=[[2008]]|format=पीएचपी|publisher= प्रातःकाल|language=}}</ref>
 
== लंदन ओलिंपिक में ==
फाइनल मुकाबले में रजत पदक जीतकर लगातार दो ओलंपिक मुकाबलों में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं।<ref>[http://www.bbc.co.uk/hindi/sport/2012/08/120812_sushil_kumar_olympic_final_adg.shtml रजत जीतकर भी इतिहास रचा सुशील ने]</ref><ref>[http://sports.ndtv.com/olympics-2012/news/item/195087-sushil-kumar-settles-for-a-silver-in-olympic-wrestling Sushil Kumar: Olympic Silver for the Indian wrestler]</ref> सुशील कुमार द्वारा खेले गये मुकाबलों के परिणाम<ref>[http://zeenews.india.com/sports/london-olympics-2012/india-at-olympics/london-olympics-2012-wrestling-66kg-final-sushil-kumar-loses-final-bout-secures-silver_747395.html London Olympics 2012 wrestling 66kg Final: Sushil Kumar loses final bout, secures silver]</ref> इस प्रकार रहे-
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* फाइनल बाउट- सुशील : 0-1=1 ; तासुहीरो : 1-3=4
 
== उपलब्धियां ==
* 2012 रजत, लंदन ओलिंपिक
* 2010 स्वर्ण, कॉमनवेल्थ गेम्स
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* 2003 कांस्य, एशियन कुश्ती चैंपियनशिप
 
== सन्दर्भ ==
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