"पर्यावरणीय नीति": अवतरणों में अंतर

छो r2.6.2) (Robot: Adding hy:Էկոլոգիական էթիկա
छो Bot: अंगराग परिवर्तन
पंक्ति 1:
{{npov|date=September 2009}}
{{otheruses|Environmental Ethics (journal)}}
'''पर्यावरणीय नीति''' पर्यावरणीय दर्शन का वह खंड है जो नीतीशास्स्त्र की पारंपरिक सीमाओं को मनुष्यों के दायरे से बढ़ा कर अन्य जीव जंतुओं को भी शामिल करता है. इसका प्रभाव अन्य विषयों जैसे [[पर्यावरण भूगोल|भूगोल]] और [[पारिस्थितिकी|पारिस्थितिकी,]] अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र, समाजशास्त्र कानून, इत्यादि विषयों पर भी पड़ता है.
 
हम लोग पर्यावरण से सम्बंधित कई नैतिक निर्णय लेते हैं. उदाहरण के लिए:
* क्या हमें मानव उपभोग के लिए जंगलों को काटते रहना चाहिए?
* क्या हमें प्रचार करना जारी रखना चाहिए?
* क्या हमें [[अंतर्दहन इंजन| पैट्रोल से चलने वाले वाहन ]] बनाते रहना चाहिए?
* भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमें कौन से पर्यावरणीय दायित्व निभाने की जरूरत है?<ref>[http://www.christian-aid.org.uk/indepth/605caweek/index.htm क्रिशचियन एड के अनुसार, निकट भविष्य में जलवायु परिवर्तन से पीड़ितों की संख्या लाखों में आंकी गयी है.]</ref><ref>[http://www.wired.com/science/discoveries/news/2003/12/61562 150000 लोगों की मृत्यु जलवायु परिवर्तन के कारण अब तक हो चुकी है.]</ref>
* क्या यह इंसानों के लिए सही है की वे मानवता की सुविधा के लिए एक प्रजाति के विलुप्त होने का जानबूझकर कारण बन जाए?
 
पर्यावरणीय मूल्यों के सैद्धान्तिक क्षेत्र की शुरुआत [[रेचल कार्सन|रेचल कार्सन]] जैसे वैज्ञानिकों के कार्य की प्रतिक्रया स्वरुप हुईऔर 1970 में प्रथम [[पृथ्वी दिवस|पृथ्वी दिवस]] बनाने जैसी घटनाओं के परिणाम स्वरुप हुई.इन मौकों पर वैज्ञानिकों ने दार्शनिकों से आग्रह किया की वे पर्यावरणीय समस्याओं के दार्शनिक पहलुओं पर भी विचार करें. दो वैज्ञानिक लेखों,लिन व्हाइट का,"दा हिस्टॉरिकल रूट्स ऑफ़ ऑवर इकोलौजीकल क्राइसिस" (मार्च 1967)<ref>{{cite journal|journal=Science| title=[http://www.gnn.tv/headlines/9038/The_Historical_Roots_of_Our_Ecologic_Crisis The Historical Roots of our Ecologic Crisis]| first=Lynn| last=White| month=March| year=1967}}</ref> और गैर्रेट हार्डिन का "दा ट्रैजडी ऑफ़ कामन्ज़"(दिसम्बर 1968) ने बड़ा महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला.<ref>{{cite journal
|journal=Science
|title=The Tragedy of the Commons
पंक्ति 21:
|pages=1243
|pmid=5699198
|issue=859}}</ref> इसके अतिरिक्त गैर्रेट हार्डिन का बाद में प्रकाशित लेख "एक्सप्लोरिंग न्यू एथिक्स फॉर सर्वाइवल",और अल्डो लिओपोल्ड की एक किताब ''अ सैंड कंट्री ऑल्मनैक'' के एक निबंध "दा लैंड एथिक" ने बड़ा प्रभाव डाला.इस निबंध में लिओपोल्ड ने स्पष्टतया यह दावा पेश किया है की पारिस्थितिकीय संकट की जड़ें दार्शनिक थी (1949).<ref>{{cite book|title=A Sand County Almanac| first=Aldo| last=Leopold| year=1949| chapter=The Land Ethic}}</ref>
 
इस क्षेत्र की पहली शैक्षिक पत्रिका 1970 के उत्तरार्ध में उत्तरी अमेरिका से और 1980 के प्रारम्भ में-1979 में अमेरिका से निकलने वाली पत्रिका ''पर्यावरणीय नैतिकता'' और कनाडा से 1983 में निकलने वाली पत्रिका थी.''[[The Trumpeter: Journal of Ecosophy]]'' इस प्रकार की पहली ब्रिटिश पत्रिका,''इन्वाइरन्मेन्टल वैल्यूज़'' ,1992 में लौंच की गयी.
 
== पर्यावरण नैतिकता की मार्शल द्वारा प्रतिपादित श्रेणियां ==
कई विद्वानों ने पर्यावरण को सम्मानित करने वाले विविध तरीको को वर्गीकृत करने की कोशिश की है. पीटर वार्डी की पजल ऑफ एथिक्स के अनुसार एलन मार्शल और माइकल स्मिथ इसके हाल ही के दो उदाहरण हैं.<ref>{{cite book|title=The Puzzle of Ethics| first=Peter| last=Vardy}}</ref> मार्शल के अनुसार, तीन सामान्य नैतिक दृष्टिकोण पिछले 40 वर्षों में उभरे है. मार्शल उनका वर्णन करने के लिए निम्नलिखित शब्दों का उपयोग करते है मुक्तिवादी एक्सटेंशन, पारिस्थितिकी एक्सटेंशन और संरक्षण नैतिकता.
 
(मार्शल के पर्यावरण नैतिकता पर अधिक जानकारी के लिए ये भी देखें:ए मार्शल, 2002, प्रकृति की एकता, इम्पीरियल कॉलेज प्रेस: लंदन).
पंक्ति 40:
 
=== पारिस्थितिक विस्तार ===
एलन मार्शल के मुक्तिवादी विस्तार की श्रेणी ना सिर्फ मानव अधिकारों पर बल देती है बल्की बल्कि सभी जैविक (और कुछ अजैविक) संस्थाओं और उनके आवश्यक विविधता के बुनियादी अन्योन्याश्रय की मान्यता पर बल देती है. जहां हम मुक्तिवादी विस्तार को प्राकृतिक संसार के राजनीतिक प्रतिबिंब का हिस्सा मान सकते हैं वहीं पारिस्थितिक विस्तार को हम प्राकृतिक दुनिया के एक वैज्ञानिक प्रतिबिंब के रूप में मान सकते हैं. पारिस्थितिक विस्तार मोटे रूप से स्मिथ के ईको-होलिस्म के समान ही है,और इसका तर्क यह है की यह पारिस्थितिक तंत्र अथवा वैश्विक पर्यावरण में अन्तर्निहित मूल्य के लिए वे महत्वपूर्ण हैं. अन्य विद्वानों की तरह,होम्स रोल्सटोन ,ने भी इस दृष्टिकोण को अपनाया है.
 
इस श्रेणी में जेम्स लवलौक की गाइआ परिकल्पना भी शामिल है जिसके अनुसार पृथ्वी समय समय पर अपनी शारीरिक संरचना बदलती रहती है ताकि जैविक और अजैविक पदार्थों में संतुलन बना रहे. पृथ्वी को एकीकृत,संपूर्ण संस्थान माना गया है जिस पर लम्बे समय में मनुष्य जाती का कोई महत्व नहीं होगा.
पंक्ति 52:
सिंगर ने "विश्व विरासत स्थलों" के संरक्षण की भी बात कही, ये संसार के वे हिस्से हैं जो अभी तक खराब नहीं हुए हैं और जो "कम होने के कारण बहुमूल्यवान" होते जाते हैं क्यूँकी समय के साथ धीरे धीरे वे भी खराब हो जायेंगे. ये संरक्षित हिस्से भविष्य में आने वाली पीढीयों के लिए हमारी तरफ से वसीयत है,ठीक उस तरह से जिस तरह से हमे वह अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है.अब यह इन आने वाली पीढ़ियों को तय करना होगा की वे इन स्वच्छ एवं अप्रदूषित ग्रामीण क्षेत्रों का आनंद लेना चाहते हैं या सिर्फ शहरी परिदृश्य तक स्वयं को सीमित करना चाहते हैं. विश्व विरासत स्थल का एक अच्छा उदाहरण उष्णकटिबंधीय प्रचुर वर्षा वन हैं,यह एक बहुत ही विशेष पारिस्थितिकी तंत्र या जलवायु चरमोत्कर्ष वनस्पति क्षेत्र है जिसके विकास में कई शताब्दियों का समय लगा है. मिट्टी की स्थिति के कारण खेती के लिए प्रचुर वर्षा वन का काटना अक्सर विफल रहता है, और एक बार छेड़ने के बाद, इसे पुनर्जीवित करने में हजारों साल लग जाते हैं.
 
== मानवकेंद्रवाद ==
{{main|Anthropocentrism}}
 
मानवकेंद्रवाद ब्रह्मांड के केन्द्र में केवल मनुष्यों को स्थान देता है,इस विचार के अनुसार, मानव जाति को हमेशा अपने विषय में ही सोचना चाहिए. जब भी किसी स्थिती के पर्यावरणीय मूल्यों के विषय में सोचना होता है तब मनुष्य की प्रजाती के विषय में ही सोचना पश्चिमी परंपरा में प्रथागत हो गया है. इसलिए जिस भी वस्तु का अस्तित्व है उसका मूल्यांकन मनुष्य जाति के उपयोग के सन्दर्भ में ही किया जाना चाहिए,और ऐसा कर के हम नस्लवाद को बढ़ावा देते हैं. सभी पर्यावरण अध्ययनों को गैर मनुष्य जाति के आंतरिक मूल्यों का आकलन करना चाहिए. <ref>सिंगर, पीटर. ''"पर्यावरणीय मूल्य'' दा ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ़ ट्रैवल स्टोरीस. एड. इयान मार्श. मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया:लोंग्मैन चेसाइर,1991. 12-16.</ref>वास्तव में,इस धारणा पर आधारित,हाल ही में,एक दार्शनिक लेख ने मनुष्य के सहर्ष रूप से अन्य जीवों के लिए विलुप्त होने की संभावना का पता लगाने का प्रयत्न किया है. <ref>[http://www.borderlands.net.au/vol7no3_2008/kochiordan_argument.pdf तारिक कोच्चि और नोम ओर्दन, "मानवता की ग्लोबल आत्महत्या के लिए एक तर्क."][http://www.borderlands.net.au/vol7no3_2008/kochiordan_argument.pdf सीमा, 2008, Vol. 3, 1-21].</ref>लेखकों ने इस विचार को मनन प्रयोग की संज्ञा दी है और यह भी कहा है की इसका आशय यह नहीं है की इस विचार पर कार्य किया जाए.
 
मानवकेंद्रवाद सिद्धांत इस बात की अनुमति नहीं देते हैं की इंसान के नजरिए से तैयार नैतिकता गलत भी हो सकती है,यह मानना आवश्यक नहीं है की मनुष्य जाति इस संसार की सबसे बड़ी सच्चाई है. दार्शनिक बारूक स्पिनोज़ा का तर्क है कि हम चीजों को गलत तरीके से उनकी हमारे लिए उपयोगिता के संदर्भ में मूल्यांकन करते हैं.{{Fact|date=February 2007}} स्पिनोज़ा ने समझाया कि अगर हम वस्तुओं को तटस्थ भाव से देखें तो हम पायेंगे की ब्रह्माण्ड में हर वस्तु का अपना एक अनूठा मूल्य है. इसी तरह, यह संभव है कि एक मानव केन्द्रित या अन्थ्रोपोसेंट्रिक /एंड्रोसेंट्रिक नैतिकता वास्तविकता में सच्चाई का सटीक चित्रण नहीं हो,और एक बड़ी तस्वीर भी संभव है जिसे हम एक मानव दृष्टिकोण से समझने में सक्षम नहीं है.
 
पीटर वार्डी ने दो तरह के मानवकेंद्रवाद के भेद को प्रतिष्ठित किया.<ref>[21] ^पीटर वार्डी और पॉल ग्रोस्च (1994, 1999), p.२३१ एथिक्स की पहेली.</ref> एक सशक्त अन्थ्रोपोसेंट्रिक नैतिक थीसिस का तर्क है कि इंसान वास्तविकता के केंद्र में रहे हैं और यह उनके लिए सही भी है. कमजोर मानवकेंद्रवाद ,हालांकि,यह तर्क देता है कि वास्तविकता को केवल मानव की नज़र से ही देखा जाना चाहिए,मनुष्य जिस प्रकार से वास्तविकता को देखते हैं उन्हें उसके केंद्र में होना ही चाहिए.
 
इस मुद्दे पर एक और नज़रिया ब्रायन नॉरटन का है,इन्होने पर्यावरणीय यथार्थवाद, का प्रतिपादन किया.यह पर्यावरणीय यथार्थवाद अब इस क्षेत्र में एक मुख्य विचारधारा बन गया है. पर्यावरणीय यथार्थवाद ने अन्थ्रोपोसेंट्रिस्ट नैतिकता और नॉन अन्थ्रोपोसेंट्रिस्ट नैतिकता के समर्थकों के बीच के विवाद पर अपना दृष्टिकोण बनाने से मना कर दिया. इसके बजाय, नॉरटन ''सशक्त मानवकेंद्रवाद '' और ''कमजोर या विस्तारित मानवकेंद्रवाद '' के बीच भेद करना पसंद करते हैं और उन्होंने यह विचार प्रतिपादित किया की सिर्फ कमजोर या विस्तारित मानवकेंद्रवाद ही प्राकृत वस्तुओं से उनका मूल्य निकालने में मनुष्य की जो क्षमता है,उसे कम आंक सकता है.<ref>[http://sapiens.revues.org/index88.html अफ़िस्सा, एच एस (][http://sapiens.revues.org/index88.html 2008) "पारिस्थितिक व्यावहारिकता का परिवर्तनकारी मूल्य. ][http://sapiens.revues.org/index88.html ब्रायन जी नोर्टन के कार्य का "एक परिचय. ][http://sapiens.revues.org/index88.html ''S.A.P.I.E.N.S.'' '''1''' (1) ]</ref>
 
== क्षेत्र की स्थिति ==
पंक्ति 68:
केवल 1990 के बाद इस तरह के कार्यक्रमों को संस्थागत मान्यता कुछ जगहों पर मिली जैसे कोलोराडो राज्य,मॉनटाना विश्वविद्यालय,बॉलिंग ग्रीन राज्य,और उत्तरी टेक्सास विश्वविद्यालय. 1991 में, डार्टइंगटन के शूमाकर कॉलेज, इंग्लैंड की स्थापना हुई,और अब वह समग्र विज्ञान में एमएससी प्रदान करता है.
 
इन कार्यक्रमों ने दर्शन/पर्यावरण में विशेषता के साथ मास्टर्स डिग्री देनी प्रारम्भ की. 2005 में उत्तर टेक्सास विश्वविद्यालय के दर्शन और धर्म अध्ययन विभाग ने पर्यावरण नैतिकता/दर्शन पर बल देते हुए पीएचडी कार्यक्रम की पेशकश की.
 
== संदर्भ ==
पंक्ति 77:
{{col-begin}}
{{col-2}}
* बायोसेंट्रिक व्यक्तिवाद
* बायोसेनट्रिस्म
* बायोएथिक्स
* जलवायु नैतिकता
* संरक्षण नैतिकता
* संरक्षण आंदोलन
* गहन पारिस्थितिकी
* पृथ्वी अर्थशास्त्र (पौलिसी थिंक टैंक)
* ईकोक्वेस्ट (दो शैक्षिक खेलों की एक श्रृंखला)
* इकोसेंट्रिस्म
* इकोफेमिनिस्म
*इकोसेंट्रिस्म
* पारिस्थितिकी अर्थशास्त्र
*इकोफेमिनिस्म
*पारिस्थितिकी अर्थशास्त्र
{{col-2}}
{{wikiversity|Topic:Climate change}}
* पर्यावरिक आंदोलन
* पर्यावरणवाद
* पर्यावरण संबंधी संदेह
* मानव पारिस्थितिकी
* पर्यावरण संबंधी दार्शनिकों की सूची
* जनसँख्या नियंत्रण
* सोलसटल्जिया
* निरंतरता
* टेर्राफॉर्मिंग
* ट्रेल एथिक्स
* वैन रेनसेलर पॉटर
* संसाधनों की कमी
* क्रॉप आर्ट
{{col-end}}
 
पंक्ति 110:
* [http://www.drze.de/BELIT/thesaurus?la=en- थीसौरस एथिक्स इन डा लाइफ साईंसेस]
* [http://www.envirolink.org/newsearch.html?searchfor=ethics&amp;x=0&amp;y=0 एनवाइरोलिंक लाइब्रेरी: एनवाइरनमेंटल एथिक्स ] - पर्यावरणीय नैतिकता के लिए ऑनलाइन जानकारी संसाधन
* [http://www.envirolink.org/forum एनवाइरोलिंक फोरम - पर्यावरणीय नीतिशास्त्र पर चर्चा / बहस]
* [http://secure.pdcnet.org/pdc/bvdb.nsf/journal?openform&amp;journal=pdc_enviroethics ''पर्यावरणीय नीतिशास्त्र'' ऑनलाइन (जर्नल 1979-present)]
* [http://www.ethicalarchitecture.co.uk/ स्थायी और नीतिशास्त्रीय वास्तुकला वास्तुकला फर्म]
* [http://plato.stanford.edu/entries/ethics-environmental/ दर्शन शास्त्र का स्टैनफोर्ड विश्वकोश]
पंक्ति 124:
{{Sustainability}}
 
[[Categoryश्रेणी:पर्यावरणीय नैतिकता]]
[[Categoryश्रेणी:संबंधपरक नैतिकता]]
 
[[cs:Environmentální etika]]