"पर्वत निर्माण": अवतरणों में अंतर

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'''पर्वतनिर्माण''' (Mountain formation) से आशय उन भूगर्भिक प्रक्रियाओं से है जो [[पर्वत|पर्वतों]] का निर्माण करती हैं।]]
 
== परिचय ==
विभिन्न प्रकार के [[पर्वत|पर्वतों]] का निर्माण विभिन्न प्रकार से होता है, जैसे [[ज्वालामुखी पर्वत|ज्वालामुखी पर्वतों]] का निर्माण [[ज्वालामुखी]] उद्गारों से तथा [[ब्लॉक पर्वत|ब्लाक पर्वतों]] का निर्माण भूपटल पर पड़ी दरारों से होता है। [[भ्रंश]] के समय आसपास का भाग टूटकर नीचे धंस जाता है तथा बीच का भाग पर्वत के रूप में ऊपर उठा रह जाता है। किंतु बड़े बड़े पर्वतों का निर्माण अधिकांशत: परतदार चट्टानों से हुआ है। विश्व की सर्वोच्च पर्वमालाएँ परतदार पर्वतों का ही उदाहरण हैं। इन परतों का निर्माण भू-अभिनति (Geosyncline) में मिट्टी के भरते रहने से हुआ है। भू-अभिनति में एकत्र किया गया पदार्थ एक नरम एवं कमजोर क्षेत्र बनाता है। पदार्थ के भार के कारण संतुलन को ठीक रखने के लिए भू-अभिनति की तली नीचे की ओर धँसती है। इस कमजोर क्षेत्र के दोनों ओर प्राचीन कठोर भूखंड होते हैं। इन भूखंडों से दवाब पड़ने के कारण भू-अभिनति में एकत्र पदार्थ में मोड़ पड़ जाते हैं, तत्पश्चात्‌ संकुचन से पर्वतों का निर्ताण होता है। पृथ्वी अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के द्वारा समानता और स्थायित्व लाती है। इसमें केवल ताप ही कभी कभी बाधक होता है। ताप के बढ़ जाने से पदार्थ अथवा चट्टानों में फैलाव तथा ताप के घट जाने से संकुचन तथा जमाव होता है।
 
== पर्वतनिर्माण की संकुचन परिकल्पना (Contraction Hypothesis) ==
[[पृथ्वी]] आदि काल में द्रव रूप में थी। अत: वर्तमान पृथ्वी का आकार इसके ठंडे होने से बना है। सर्वप्रथम पृथ्वी की ऊपरी परत ठंढी होने से ठोस हो गई, किंतु नीचे ठंडा होने की क्रिया जारी रही अत: नीचे की सतह सिकुड़ती गई, और ऊपरी परत से अलग हो गई। ऊपरी परत में गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण संकुचन उत्पन्न हुआ फलत: पर्वत निर्माणकारी पर्वतन (Orogenesis) का जन्म हुआ। इस परिकल्पना को समझने के लिए सूखे सेब का उदाहरण लिया जा सकता है। यह भी कहा जाता है कि जैसे जैसे पृथ्वी की ठंढे होने की क्रिया धीमी होती गई वैसे वैसे पर्वत निर्माणकारी क्रियाएँ भी मंद होती गई।
 
[[आर्थर होम्स]] की [[संवहन धारा की परिकल्पना]] के अनुसार पृथ्वी के गर्भ में ताप की धाराएँ ऊपर नीचे चला करती हैं। ये धाराएँ भूपटल की निम्न तह में मुड़ते समय संकुचन तथा फैलते समय फैलाव उत्पन्न कर देती हैं। अत: दो विभिन्न दिशाओं से आनेवाली संवहन धाराओं के मुड़ने के स्थान पर पर्वत निर्माणकारी शक्तियों का जन्म होता है।
 
== पर्वतनिर्माण के लिए आवश्यक तत्व ==
पर्वतनिर्माण के लिए निम्नलिखित दशाएँ आवश्यक हैं :
 
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आरगैड की परिकल्पना के अनुसार पर्वतनिर्माण में दो कठोर भूखंडों में से एक अग्रप्रदेश (fore land) तथा दूसरा पृष्ठप्रदेश (hinter land) होता है। इसके अनुसार पर्वत निर्माणकारी संकुचन एक ओर से ही होता है, तथा इसमें अग्रप्रदेश स्थिर रहता है एवं संकुचन पृष्ठप्रदेश से आता है। आरगैंड के अनुसार यूरोपीय पर्वतन में अफ्रीका का पृष्ठप्रदेश, यूरोप के अग्रप्रदेश की ओर खिसकने लगा जब कि यूरोप का अग्रप्रदेश स्थिर थी। अत: स्थल का लगभग 1,000 मील लंबा भाग सिकुड़ गया जिससे टीथिज भू-अभिनति में मोड़ तथा दरारेंपड़ीं और यूरोप में आल्प्स पर्वत का निर्माण हुआ।
 
== कोबर के अनुसार पर्वत-निर्माण ==
कोबर के अनुसार पर्वत-निर्माण-क्रिया में कोई अग्रप्रदेश या पृष्ठप्रदेश नहीं होता है बल्कि दोनों ही अग्रप्रदेश होते हैं। दोनों प्रदेश भू-अभिनति की ओर खिसकते हैं। इससे दोनों ओर मोड़ पड़ते हैं, जो मध्यपिंड के दोनों ओर एक दूसरे की विपरीत दिशा में होते हैं। इनके मध्य में मध्यपिंड (median mass) होता है।
 
=== कोबर के अनुसार हिमालय का निर्माण ===
इनके अनुसार टीथीज भू-अभिनति में भारतीय तथा एशियाई अग्रभागों से दबाव आया। अत: भू-अभिनति में दोनों ओर मोड़ पड़ गए जिससे दक्षिण तटीय हिमालय श्रेणियों तथा उत्तरी श्रेणियों का निर्माण हुआ। बीच के मध्य पिंड से [[तिब्बत का पठार|तिब्बत के पठार]] का निर्माण हुआ।
 
== पर्वतनिर्माण की अवस्थाएँ ==
पर्वत उत्पत्ति ओर विकास की निम्नलिखित अवस्थाएँ हैं :
 
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पर्वतनिर्माण की अंतिम अवस्था - पर्वतों का ऊपर उठना, अत्यधिक मोड़ के कारण दरारें पड़ना, पार्श्व से अत्यधिक दबाव के कारण टूटे पदार्थ का दूर जाकर गिरना।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[पर्वतन]] (ओरोजेनी)
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://science.gsfc.nasa.gov/698 NASA Goddard Planetary Geodynamics Laboratory: home page]
* [http://denali.gsfc.nasa.gov/research/volcanology.html NASA Goddard Planetary Geodynamics Laboratory: Volcanology Research]
* [http://www.seismo.unr.edu/ftp/pub/louie/class/100/plate-tectonics.html Plate tectonics pictures from UNR]
* [http://projects.crustal.ucsb.edu/understanding/globe/globe.html Rotating globe showing areas of earthquake activity]
 
[[श्रेणी:भूविज्ञान]]