"पाञ्चजन्य (पत्र)": अवतरणों में अंतर
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'''पांञ्चजन्य''' भारतीय राष्ट्रवादी विचारधारा का प्रणयन करने वाला
== परिचय एवं इतिहास ==
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद १४ जनवरी, १९४८ को [[मकर संक्राति]] के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री [[अटल बिहारी वाजपेयी]] के संपादकत्व में ‘पाचजन्य‘ साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदर्शों एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
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स्वाधीन भारत के साथ-साथ ‘पाचजन्य‘ न केवल उसका सहयात्री है, बल्कि इस यात्रा में भावना और कर्म से पूरी तरह जुड़ा है। राष्ट्र के स्वर्ण जयंती वर्ष में ही ‘पाचजन्य‘ की भी स्वर्ण जयंती है। एक प्रकार से ये दोनों उपनिषद की भाषा में ‘सयुजा सखाया‘ है और गीता के शब्दों में ‘परस्पर भावयन्तु‘ ही दोनों की नियति है। इसी कामना के साथ ‘पाचजन्य‘ सभी देशवासियों के स्नेह और सहयोग की याचना करता है, ताकि वह राष्ट्र रक्षा और राष्ट्रीय पुनर्रचना के यज्ञ में आहुति देता रहे।
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.panchjanya.com '''पाञ्चजन्य''' का जालघर]
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