"पुनर्नवा": अवतरणों में अंतर

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'''पुनर्नवा''' एक [[आयुर्वेद|आयुर्वेदिक औषधि]] है। इस विशेषणात्मक उक्ति की पृष्ठभूमि पूर्णतः वैज्ञानिक है । पुनर्नवा का पौधा जब सूख जाता है तो वर्षा ऋतु आने पर इन से शाखाएँ पुनः फूट पड़ती हैं और पौधा अपनी मृत जीर्ण-शीर्णावस्था से दुबारा नया जीवन प्राप्त कर लेता है । इस विलक्षणता के कारण ही इसे ऋषिगणों ने पुनर्नवा नाम दिया है ।<ref>'पुनः पुनर्नवा भवति' जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाए अथवा 'शरीरं पुनर्नवं करोति' जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे, उसे पुनर्नवा कहते हैं।</ref> इसे शोथहीन व गदहपूरना भी कहते हैं । पुनर्नवा के नामों के संबंध में भारी मतभेद रहा है। भारत के भिन्न-भिन्न भागों में तीन अलग-अलग प्रकार के पौधे पुनर्नवा नाम से जाने जाते हैं । ये हैं-बोअरहेविया डिफ्यूजा, इरेक्टा तथा रीपेण्डा । आय.सी.एम.आर. के वैज्ञानिकों ने वानस्पतिकी के क्षेत्र में शोधकर 'मेडीसिनल प्लाण्ट्स ऑफ इण्डिया' नामक ग्रंथ में इस विषय पर लिखकर काफी कुछ भ्रम को मिटाया है । उनके अनुसार बोअरहेविया डिफ्यूजा जिसके पुष्प श्वेत होते हैं ही औषधीय । बाजार में उपलब्ध पुनर्नवा में बहुधा एक अन्य मिलती-जुलती वनस्पति ट्रांएन्थीला पाँरचूली क्रास्ट्रम की मिलावट की जाती है । रक्त पुनर्नवा एक सामान्य पायी जाने वाली घास है जो सर्वत्र सड़कों के किनारे उगी फैली हुई मिलती है । श्वेत पुनर्नवा रक्त वाली प्रजाति से बहुत कम सुलभ है इसलिए श्वेत औषधीय प्रजाति में रक्त पुनर्नवा की अक्सर मिलावट कर दी जाती है ।
 
श्वेत पुनर्नवा का पौधा बहुवर्षायु प्रसरणशील होता है । क्षुप 2 से 3 मीटर लंबे होते हैं । ये प्रतिवर्ष वर्षा में नए निकलते हैं व ग्रीष्म में सूख जाते हैं । इस क्षुप के काण्ड प्रायः गोलाई लिए कड़े, पतले व गोल होते हैं । पर्व संधि पर ये मोटे हो जाते हैं । शाखाएं अनेक लंबी, पतली तथा लालवर्ण की होती हैं । पत्ते छोटे व बड़े दोनों प्रकार के होते हैं । लंबाई 25 से 27 मिली मीटर होती है । निचला तल श्वेताभ होता है व छूने पर चिकना प्रतीत होता है ।
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इस औषधि का मुख्य औषधीय घटक एक प्रकार का एल्केलायड है, जिसे पुनर्नवा कहा गया है । इसकी मात्रा जड़ में लगभग 0.04 प्रतिशत होती है । अन्य एल्केलायड्स की मात्रा लगभग 6.5 प्रतिशत होती है । पुनर्नवा के जल में न घुल पाने वाले भाग में स्टेरॉन पाए गए हैं, जिनमें बीटा-साइटोस्टीराल और एल्फा-टू साईटोस्टीराल प्रमुख है । इसके निष्कर्ष में एक ओषजन युक्त पदार्थ ऐसेण्टाइन भी मिला है । इसके अतिरिक्त कुछ महत्त्वपूर्ण् कार्बनिक अम्ल तथा लवण भी पाए जाते हैं । अम्लों में स्टायरिक तथा पामिटिक अम्ल एवं लवणों में पोटेशियम नाइट्रेट, सोडियम सल्फेट एवं क्लोराइड प्रमुख हैं । इन्हीं के कारण सूक्ष्म स्तर पर कार्य करने की सामर्थ्य बढ़ती है ।
 
== चित्र दीर्घा ==
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File:Boerhavia diffusa in AP W IMG 8087.jpg|
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== संदर्भ ==
<references />
{{commons|Category:Boerhavia diffusa|Boerhavia diffusa}}
* [http://www.rain-tree.com/ervatostao.htm उष्णकटिबन्धीय पौधे डाटाबेस]
* [http://www.ibiblio.org/pfaf/cgi-bin/arr_html?Boerhavia+diffusa बोह्राविया डिफ़्यूज़ा]
{{औषधीय पौधे}}