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'''पेशी''' (Muscle) प्राणियों का आकुंचित होने वाला (contractile) [[ऊतक]] है। इनमें आंकुंचित होने वाले सूत्र होते हैं जो कोशिका का आकार बदल देते हैं। पेशी कोशिकाओं द्वारा निर्मित उस [[ऊतक]] को '''पेशी ऊतक''' कहा जाता है जो समस्त [[अंग|अंगों]] में गति उत्पन्न करता है।<ref>{{cite book |last=त्रिपाठी |first=नरेन्द्र नाथ |title= सरल जीवन विज्ञान, भाग-२|year=मार्च २००४ |publisher=शेखर प्रकाशन |location=कोलकाता |id= |page=८६-८७ |accessday= १७|accessmonth= सितंबर|accessyear= २००९}}</ref> इस ऊतक का निर्माण करने वाली [[कोशिका|कोशिकाएं]] विशेष प्रकार की आकृति और रचना वाली होती हैं। इनमें कुंचन करने की क्षमता होती है। पेशिया रेखित, अरेखित एवं हृदय तीन प्रकार की होती हैं। मनुष्य के शरीर में 40 प्रतिशत भाग पेशियों का होता है।
 
== वर्गीकरण ==
[[चित्र:Illu muscle tissues.jpg|right|thumb|300px|तीन प्रकार के पेशी ऊतक]]
शरीर में तीन प्रकार की पेशियाँ पाई जाती है :
: (1) रेखांकित (skeletal) (2) अरेखांकित (smooth) और (3) हार्दिकी (cardiac)
 
रेखांकित पेशियाँ ऐच्छिक, अर्थात्‌ इच्छा होने से संकुचित होनेवाली, होती हैं और अस्थियों पर लगी रहती हैं। शरीर की गति : चलना फिरना, दौड़ना, पकड़ना, खड़े होना - इन्हीं पेशियों के आकुंचन और प्रसार का फल है।
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हार्दिकी पेशियों की रचना यद्यपि ऐच्छिक पेशी के समान होती है, तथापि वे इच्छा के अधीन नहीं होतीं, स्वत: ही संकोच और प्रसार करती रहती है। वास्तव में यह सिद्ध हो चुका है कि हृदय की पेशी में स्वत: आकुंचन करने की शक्ति होती है, जो नाड़ी नियत्रण से बिलकुल स्वतंत्र है।
 
== रचना ==
प्रत्येक पेशी सूत्रों का समूह होती है। ये सूत्र पेशी को लंबाई की ओर चीरने से एक दूसरे से पृथक किए जा सकते हैं। ये सूत्र भी सूत्राणुओं (fibrils) के बने होते हैं। प्रत्येक सूत्र पर एक आवरण रहता है, जिसके भीतर कई केंद्रक होते हैं। प्रत्येक सूत्र पर एक आवरण रहता है, जिसके भीतर कई केंद्रक होते हैं और कोशिकासार भरा रहता है, जिसके भीतर कई केंद्रक होते हैं और कोशिकासार भरा रहता है। कंकन की दीर्घ पेशियों में 5 इंच तक लंबे और 0.01 से 0.1 मिलीमीटर व्यास तक के सूत्र पाए जाते हैं। छोटे आकार की पेशियों में सूत्र भी छोटे हैं और प्रारंभ से कंडरा तक विस्तृत होते हैं। बड़ी पेशियों में कई सूत्र अपने सिरों पर मिलकर पेशी की लंबाई को पूर्ण करते हैं। प्रत्येक सूत्र में नाड़ी का एक सूत्र जाता है। यहाँ वह शाखाओं में विभक्त हो जाता है जिनके अंतिम भागों के चारों ओर कोशिकासार में कुछ कण एकत्र रहते हैं। ये स्थान अंत:पट्ट (end plate) कहलाते हैं। इन्हीं में होकर उत्तेजनाएँ सूत्रों में जाती हैं, जिनसे पेशी आकुंचन करती है।
 
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हार्दिक पेशीसूत्र इन दोनों के बीच में हैं। प्रत्येक सूत्र एक कोशिका है, जिससे अनुदैर्ध्य और अनुप्रस्थ दोनों प्रकार का रेखांकन दिखाई देता है। किंतु ये सूत्र इच्छा के अधीन नहीं है। कोशिकाओं में विशेषता यह है कि उनसे शाखाएँ निकलती हैं, जो दूसरी कोशिकाओं की शाखाओं में मिल जाती है।
 
== पेशी के गुण ==
पेशी का विशेष गुण आकुंचन करना है, जिससे उसकी लंबाई कम और चौड़ाई अधिक हो जाती है, अर्थात्‌ वह छोटी और मोटी हो जाती है। आकुंचन के समय जिस स्थान से उसका उद्गम (origin) होता है वह भाग खिंचकर प्रथम के पास पहुँच जाता है। सी से शरीर के अंगों की गति होती है। आकुचन के पश्चात्‌ पेशी फिर प्रसरित होकर अपनी पूर्व अवस्था में आ जाती है। ऐच्छिक पेशियों में आकुंचन उन उत्तेजनाओं के परिणाम होते हैं जो मस्तिक या सुषुम्ना के केंद्रों से नाड़ियों द्वारा पेशियों में आती है। मनुष्य की पेशी एक सेकेड में 10 या 12 बार से अधिक संकोच नहीं कर सकती। मक्खी की पेशी 400 बार संकोच कर सकती है। यदि पेशी में जानेवाली नाड़ी को उत्तेजित किया जाय, तो उत्तेजित स्थल पर विद्युद्विभव (potential) उत्पन्न हो जाता है और यहाँ से दोनों ओर को विद्युत्प्रवाह होने लगता है। इसकी विद्युन्मापी से नापा जा सकता है।
 
प्रत्येक आकुंचन में ऊर्जा की उत्पत्ति होती है। पेशी में जारण या ऑक्सीकरण की क्रिया से वहाँ के ग्लूकोज़ का जल और कार्बन डाइऑक्साइड में विभंजन हो जाता है। इससे 0.0030 सें. ताप भी बढ़ जाता है। वहाँ उपस्थित ऑक्सीजन व्यय हो जाता है और लैक्टिक अम्ल उत्पन्न होता है, जो शरीर में रक्त द्वारा पेशी में हटा दिया जाता है। शरीर से पृथक्‌ करके पेशी को कुछ समय तक उत्तेजित करने से वह इस अम्ल के एकत्र होने से श्रमित हो जाती है। यह अन्वेषण से पूर्णतया सिद्ध हो चुका है कि ऑक्सीजन की अनुपस्थिति इस अम्ल के बनने का कारण है। ग्लाइकोजन (glycogen) इसका पूर्वरूप है।
 
== पेशी और व्यायाम ==
[[व्यायाम]] के समय पेशियों में कुछ समय तक बार बार संकोच होते हैं, जिससे पेशियों में ऊपर बताए हुए सब प्रकार के परिवर्तन होते हैं और गति करने की ऊर्जा उत्पन्न होती है। ऊर्जा की उत्पत्ति ऑक्सीजन के व्यय और कार्बन डाइऑक्साइड की उत्पत्ति से मालूम की जाती है। श्वास द्वारा बाहर निकली हुई वायु को एकत्र करके, उसके विश्लेषण से ये दोनों मात्राएँ मालूम की जा सकती हैं। इससे व्यय हुई ऑक्सीजन का पता लग जाता है। यह निर्धारित हो चुका है कि 1 लिटर ऑक्सीजन के व्यय से 5.14 कैलोरी ऊष्मा उत्पन्न होती है, जो 15.560 फुट पाउंड के समान है।
 
== संदर्भ ग्रंथ ==
* स्टालिंग : फिज़ियॉलोजी;
* बेलिस : प्रिंसिपल्स ऑव जेनरल फिज़ियॉलोजी ;
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{{टिप्पणीसूची}}
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[पेशीतंत्र]]
* [[मानव शरीर की पेशियों की सूची]]
 
[[श्रेणी:ऊतक]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पेशी" से प्राप्त