"रेशम मार्ग": अवतरणों में अंतर
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'''रेशम मार्ग''' प्राचीनकाल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक मार्गों
रेशम मार्ग का चीन, भारत, [[मिस्र]], ईरान, अरब और [[प्राचीन रोम]] की महान सभ्यताओं के विकास पर गहरा असर पड़ा। इसके द्वारा व्यापार के आलावा, ज्ञान, धर्म, संस्कृति, भाषाएँ, विचारधाराएँ और बीमारियाँ भी फैलीं। व्यापारिक नज़रिए से चीन रेशम, [[चाय]] और चीनी मिटटी के बर्तन भेजता था, भारत मसाले, हाथीदांत, कपड़े, काली मिर्च और कीमती पत्थर भेजता था, और रोम से [[सोना]], [[चांदी]], शीशे की वस्तुएँ, [[शराब]], क़ालीन और गहने आते थे। हालांकि 'रेशम मार्ग' के नाम से लगता है कि यह एक ही रास्ता था वास्तव में बहुत कम लोग इसके पूरे विस्तार पर यात्रा करते थे। अधिकतर व्यापारी इसके हिस्सों में एक शहर से दुसरे शहर सामान पहुँचाकर अन्य व्यापारियों को बेच देते थे और इस तरह सामान हाथ बदल-बदलकर हज़ारों मील दूर तक चला जाता था। शुरू में रेशम मार्ग पर व्यापारी ज़्यादातर भारतीय और [[बैक्ट्रिया|बैक्ट्रियाई]] थे, फिर [[सोग़दा|सोग़दाई]] हुए और मध्यकाल में ईरानी और अरब ज़्यादा थे। रेशम मार्ग से समुदायों के मिश्रण भी पैदा हुए, मसलन [[तारिम द्रोणी]] में बैक्ट्रियाई, भारतीय और सोग़दाई लोगों के मिश्रण के सुराग़ मिले हैं।<ref name="ref54qiqod">[http://books.google.com/books?id=9AUxnUNRekgC The Silk Road: Trade, Travel, War and Faith], Susan Whitfield, British Library, pp. 21, Serindia Publications, 2004, ISBN
== इन्हें भी देखें ==
* [[उत्तरी रेशम मार्ग]]
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>
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