"पोषण": अवतरणों में अंतर
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3. पोषक तत्वों की कमी से शरीर में विकृतिचिह्नों का दिखाई पड़ना।
== पोषण की कमी ==
पोषण की कमी के कारण मुख्यत: ये है :
* (1) खाद्य पदार्थ में [[पोषक तत्व|पोषक तत्वों]] की पूर्ण मात्रा में कमी,
* (2) भोजन के पाचन और अवशोषण के बाद पोषक तत्व रुधिर में प्रवाहित होते हों किंतु किसी विकार के कारण इनको शारीरिक तंतु अपने में ग्रहण न सकें।
अल्पाहार से पोषण का स्तर उपयुक्त नहीं रहता। इस अवस्था को "न्यून पोषण" (under-nutrition) कहते हैं। इस प्रकार के "[[कुपोषण]]" (malnutrition) की अवस्था में एक या अनेक पोषक तत्व प्रतिदिन भोजन में रहते ही नहीं। इसलिये शरीर में कुपोषण के चिह्न दिखाई पड़ते हैं। "न्यून पोषण" वाले व्यक्ति दुर्बल और कम वजनवाले होते हैं, किंतु उनके शरीर में कोई विकृति का चिह्न दिखाई पड़ता।
== पोषक तत्व ==
शरीर के पोषण के लिये दो तत्वों की नितांत आवश्यकता (essential) है। ईधन तत्व और दूसरा शारीरिक बनावट के पदार्थ उत्पादक, तंतुवर्धक और ह्रास पूरक तत्व। शरीर में शक्ति उत्पन्न करने के लिये ईंधन तत्व की आवश्यकता होती है। कार्बोहाइड्रेट, वसा ओर प्रोटीन के कुछ भाग ईंधन तत्व हैं। ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ ये सभी ईंधन ऊष्मा भी पैदा करते हैं। ऊष्मा और ऊर्जा पोषण के चिह्न हैं। जीवधारियों का शरीररूपी यंत्र के अवयव सामान्य यंत्रों की भाँति घिसते हैं, पर साथ-साथ इनकी मरम्मत भी होती रहती है, यदि मरम्मत करने की सामग्री खाद्य में विद्यमान हो। जिन तत्वों से शरीर के अवयव 18 से 20 वर्ष की आयु तक बनते हैं, उन्हीं तत्वों के शरीर के ह्रास की पूर्ति होती है और साथ-साथ शरीर की वृद्धि भी होती है। यह काम विशेषत: प्रोटीनों के द्वारा होता है।
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इनके अतिरिक्त विटामिन और खनिज तत्व पोषण के आवश्यक हैं।
== खनिज तत्त्व ==
'''नमक''' : सोडियम क्लोराइड (sodium chloride) भोजन में रुचि बढ़ाता है और शरीर के जल और लवण के संतुलन देता है। इसके अभाव में दुर्बलता और थकावट मालूम होती है। अधिक नमक से शोथ होता है। औसत प्रतिदिन 8-10 ग्राम खाया जाता है। यह नमक खाने, दूध और सब्जियों से प्राप्त होता है।
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'''आयोडीन''' (Iodine) : नाम मात्र से पोषण के लिये उपयुक्त है। यह थाईरायड के हॉरमोन (Thyroid hormone) के बहुत जरूरी है। इस हॉरमोन की कमी से बौनापन (cretinism) और मिक्सीडिमा (myxidoema, एक प्रकार का शोथ) है। यदि पीने के पानी में इसकी मात्रा कम हुई तब विकृत [[घेघा रोग|घेघे]] के रूप में प्रकट होता है।
== विटामिन ==
आहार में विटामिन का रहना पोषण के लिये आवश्यक है।
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'''क्रसं -- विटामिन -- रासायनिक नाम -- पूर्ण कमी से विकृति'''
1
2 --
3 --
4 -- बी -- पेलाग्रा-रक्षक (Pellagra preventing) -- पेलाग्रा होना (विशेष चर्म-रोग)
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गरम देशों में प्रोटीन की कमी से एक प्रकार की रक्तहीनता पाई जाती है। इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। विटामिनों को कमी हो और यदि इसकी पूर्ति आहार पदार्थो से न होती हो, तो कृत्रिम विटामिन के सेवन से इसे पूरा किया जा सकता है। गर्भवती स्त्रियों की 100 मिलीग्राम ऐसकौर्बिक अम्ल (विटामिन सी) की आवश्यकता है, जो एक गिलास नारंगी के रस से मिल सकता हे, या 100 मिलीग्राम ऐकौर्बिक अम्ल के खाने से प्राप्त हो सकता है। गर्भावस्था में सब विटामिनों की आवश्यकता विशेष मात्रा में होती है। और यह आहार या कृत्रिम विटामिनों से पूरी की जा सकती है। अवस्था का लिहाज करते हुए सर्वांग पूर्ण और संतुलित भोजन उन्हें प्रतिदिन मिलना चाहिए।
== इन्हें भी देखें ==
* [[आहार और आहारविद्या]]
== वाह्य सूत्र ==
* [http://www.prativad.com/articles/Foods-and-Malnutrition.htm
[[श्रेणी:प्राणि विज्ञान]]
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