"प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Pratapgarh jn.jpg|250px|thumb|right|प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन ]]
'''प्रतापगढ़''' [[भारतीय]] राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक [[जिला]] है , इसे लोग बेल्हा भी कहते हैं, क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई नहीं के किनारे बना है। इस जिले को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जाता है। यहां के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. [[जवाहर लाल नेहरू]] ने पदयात्रा के माध्यम से अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था। इस धरती को [[रीतिकाल]] के श्रेष्ठ कवी [[भिखारीदास|आचार्य भिखारीदास]] और
== इतिहास ==
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भगवान श्रीराम के वनवास यात्रा मे उत्तर प्रदेश के जिन पाँच प्रभुख नदियो का जिक्र रामचरित्रमानस मे है,उनमे से एक प्रतापगढ़ की सई नदी है।जिसका जिक्र इस प्रकार है।
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ऐसी भी किवदंती है कि लालगंज तहसील स्थित घुइसरनाथ धाम मे भगवान राम ने पूजन पाठ कर दुर्लभ त्रेतायुगी करील वृक्ष की छाया मे विश्राम किए थे।जिसका उल्लेख [[रामायण]] मे कुछ इस तरह है,
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रामायण के चित्रण मे प्रतापगढ़ की [[बकुलाही नदी]] का संक्षिप्त उल्लेख "बाल्कुनी" नदी के नाम से हुआ।महर्षि वाल्मिकि द्वारा रचित [[रामायण|वाल्मिकि रामायण]] मे इसका वर्णन इन पंक्तियो से है।
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==== महाभारत ====
प्रतापगढ़ के रानीगंज अजगरा मे राजा [[युधिष्ठिर]] व [[यक्ष]] संवाद हुआ था और जिले के ही भयहरणनाथ धाम मे [[पांडव|पांडवो]] न [[बकासुर]] के आतंक से मुक्ति दिलाई थी।बाल्कुनी नदी के तट पर ही पूजा स्नान कर [[शिवलिंग]] की स्थापना महाबली [[भीमसेन]] ने की थी।महाभारत मे हंडौर राक्षस [[हिडिंब|हिडिम्ब]] का निवास क्षेत्र था और बांकाजलालपुर राक्षस [[बकासुर]] का क्षेत्र था।प्रतापगढ़ के
==== बौद्धकाल ====
प्रतापगढ़ की पावन भूमी [[महात्मा बुद्ध]] की तपोस्थली रह चुकी है।जिले के कोट मे [[भगवान बुद्ध]] तीन माह तक तपस्या किए थे।[[प्रतापगढ़]] के कई स्थानो मे बौद्धकालीन भग्नावशेष प्राप्त हुए है।
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भारतीय जनगणना २००१ के अनुसार प्रतापगढ़ जिले का जनसँख्या २,७२७,१५६ है।लगभग 22 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जातियों की है। मुसलमान जनसंख्या का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा हैं।
व्यक्ति
पुरुष
महिलाएँ
बच्चे (० से ४ वर्ष)
दशकीय वृद्धि (१९९१-२००१)
ग्रामीण
शहरी
लिंग अनुपात (प्रति 1000 महिलाएँ)
परिवार का आकार (प्रति परिवार)
अनु.जा. जनसंख्या
अनु.ज.जा. जनसंख्या
== साक्षरता ==
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जिले में साक्षरता वृद्धि दर के क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं। सरकार की ओर से जारी वर्ष २०११ के आंकड़ों के अनुसार जिले में पुरुष साक्षरता दर कम है। वर्ष २००१ में पुरुष साक्षरता दर ६४.२७ प्रतिशत थी, जो ५.८६ की वृद्धि दर से बढ़कर २०११ में ७०.१३ हो गई है। महिलाओं की साक्षरता दर वर्ष २००१ में ३१.७७ प्रतिशत थी जो १०.६३ की वृद्धि के साथ वर्ष २०११ में ४२.४० प्रतिशत तक पहुंच गई। इस प्रकार पुरुषों की साक्षरता वृद्धि दर जहां ५.८६ रही वहीं महिलाओं की साक्षरता वृद्धि दर १०.६३ रही, जो पुरुषों के मुकाबले ४.७७ प्रतिशत अधिक है।
== स्वतंत्रता संग्राम ==
==== क्रांति १८५७ ====
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में प्रतापगढ़ का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है।[[१८५७]] के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मे बेल्हा के वीर सपूतो ने [[भारत]] माता की रक्षा के लिए अपने प्राणो की आहूति देने से पीछे नही हटे।[[१८५७]] की महान क्रांति में देश के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करने वाले अमर शहीद बाबू गुलाब सिंह को इतिहास हमेशा याद रखेगा। तरौल के तालुकेदार बाबू गुलाब सिंह ने अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। जब [[इलाहाबाद]] से [[लखनऊ]] अंग्रेजी सैनिक क्रांतिकारियों के दमन के लिए जा रहे थे। तब उन्होंने अपनी निजी सेना के साथ मांधाता क्षेत्र के कटरा गुलाब सिंह के पास [[बकुलाही नदी]] पर घमासान युद्ध करके कई अंग्रेजों को मार डाला था। बकुलाही का पानी अंग्रेजों के खून से लाल हो गया था। मजबूर होकर अंग्रेजी सेना को वापस लौटना पड़ा था। हालांकि इस लड़ाई में किले पर फिरंगी सैनिकों ने उनके कई सिपाही व उनकी महारानी को गोलियों से भून डाला था। मुठभेड़ में बाबू गुलाब सिंह गंभीर रूप से घायल हुए थे। उचित इलाज के अभाव में तीसरे दिन वह अमर गति को प्राप्त हो गए। ऐसे महान क्रांतिकारी की न तो कहीं समाधि बन पाई और न ही उनकी यादगार में स्मारक ही।
सन् १८५७ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में प्रतापगढ़ के [[कालाकांकर|कालाकाँकर]] रियासत के राजा हनुमंत सिंह के पुत्र श्री लाल प्रताप सिंह चांदा के पास अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए और उनके चाचा अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए शहीद हुए।
यंहा के राजा राम पाल सिंह भारतीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक थे।[[महात्मा गाँधी]] का ऐतिहासिक भाषण कालाकाँकर में हुआ।महात्मा गाँधी की उपस्थिति में राजा अवधेश सिंह ने विदेशी वस्त्रों की [[होली]]
जनवरी [[१९२०]] को [[सुभाष चन्द्र बोस]] प्रतापगढ़ आये और सभी से अंग्रेजी सेना में न भर्ती होने की अपील की यंहा सुभाष जी का स्वागत ५०००० लोगों ने किया।
पश्चिम [[अवध]] प्रान्त के प्रतापगढ़ का यह क्षेत्र स्वतंत्र [[भारत]] की भावना लिए हमेशा ही जनांदोलन करते हुए कालाकाँकर वीरों की वीरगति से सजा हुआ स्वाधीनता संग्राम में सबसे आगे रहा।
पंडित वचनेश त्रिपाठी द्वारा रचित पाथेय कण (हिंदी पत्रिका) में प्रतापगढ़ में [[१८५७]] कि क्रांति कि एक और
==== भारतीय किसान आन्दोलन ====
होमरूल लीग के कार्यकताओं के प्रयास तथा गौरीशंकर मिश्र, इन्द्र नारायण द्विवेदी तथा [[मदन मोहन मालवीय]] के दिशा निर्देशन के परिणामस्वरूप फ़रवरी, [[१९१८]] ई. में उत्तर प्रदेश में 'किसान सभा' का गठन किया गया। [[१९१९]]
== मुख्य आकर्षण ==
==== बेल्हा देवी मंदिर ====
प्रतापगढ़ स्थित सई नदी के किनारे पर ऎतिहासिक बेल्हा माई का मंदिर है ।जिले के अधिकांश भू-भाग से होकर बहने वाली सई नदी के तट पर नगर की अधिष्ठात्री देवी मां बेल्हा देवी का यह मंदिर स्थित है। सई नदी के [[तट]] पर माँ बेल्हा देवी का भव्य मंदिर होने के कारण जिले को बेला अथवा बेल्हा के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर की स्थापना को लेकर पुराणों में कहा गया है कि राजा दक्ष द्वारा कराएजा रहे यज्ञ में सती बगैर बुलाए पहुंच गईं थीं। वहां शिव जी को न देखकरसती ने हवन कुंड में कूदकर जान दे दी। जब शिव जी सती का शव लेकर चले तोविष्णु जी ने चक्र चलाकर उसे खंडित कर दिया था। जहां-जहां सती के शरीर काजो अंग गिरा, वहां देवी मंदिरों की स्थापना कर दी गई। यहां [[सती]] का बेला का ([[कमर]]) भाग गिरा था। [[भगवान राम]] जब वनवास(निर्वासन) के लिए जा रहे थे तब सई नदी के किनारे पर उन्होंने मंदिर में माँ बेल्हा देवी जी
==== भयहरणनाथ धाम ====
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लोकमान्यता है कि महाभारत काल मेंद्युत क्रीडा में पराजित होने के बाद पाण्डवों को जब १२ वर्षो के लिए वनवासमें जाना पड़ा था उसी दौरान उनके द्वारा इसी स्थल पर बकासुर नामक राक्षसका वध करके शिवलिंग की स्थापना की गयी थी।कहा जाता है कि पाण्डवों ने अपने आत्मविश्वास को पुनर्जागृत करने के लिए इस शिवलिंग को स्थापित किया थाइसी नाते इसे "भयहरणनाथ" कि संज्ञा से संबोधित किया गया। यह धाम आसपास के क्षेत्रों के लाखो लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र है।
==== घुइसरनाथ धाम (श्री घुश्मेश्वर नाथ जी मंदिर ) ====
[[धार्मिक]] और अध्यात्मिक और पौराणिक विशिष्टता के कारण यह शिव धाम करोड़ो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। [http://www.ghuisarnathdham.com भगवान घुश्मेश्वर जी] का यह धाम [http://www.ghuisarnathdham.com बाबा घुइसरनाथ धाम] नाम से मानव समाज के प्राण में बस गया है।यहाँ भगवान
==== भक्ति धाम ====
[[चित्र:Bhaktidham.jpg|250px|thumb|right|भक्ति धाम ]]
[[प्रतापगढ़ जिला|प्रतापगढ़ जिले]] के कुंडा [[तहसील]] मुख्यालय से २ किलोमीटर पर भगवान [[राधा कृष्ण|राधा-कृष्ण]] को समर्पित भक्तिधाम मंदिर है।इस मंदिर की नीवं जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने रखी है।भक्तिधाम में भगवान श्री कृष्णलीला दर्शन के लिए भक्तों का ताँता लगा रहता है।भक्ति धाममें हर ओर राधे-राधे की गूंज सुनाई पड़ती है। मंदिर की रमणीय बनावट और धाम की
==== शनिदेव मंदिर ====
[[चित्र:Shani dham pratapgarh.JPG|250px|thumb|right|शनिदेव धाम का प्रवेश द्वार]]
प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज बाजार से लगभग २ किलो मीटर दूर कुशफरा के [[जंगल]] में भगवान [[शनि]] का प्राचीन पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं। कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि जी की कृपा का पात्र बन जाता है।चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है।यह धाम बाल्कुनी नदी के किनारे स्थित है। जो की अब [[बकुलाही नदी|बकुलाही]] नाम से भी जानी जाती है।अवध क्षेत्र के एक मात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण प्रतापगढ़ (बेल्हा) के साथ-साथ कई जिलों के भक्त आते हैं।
==== चंदिकन देवी शक्तिपीठ ====
[[चित्र:Shri-Sandwa-Chandikan-Dham.JPG|250px|thumb|right|चंदिकन देवी धाम]]
सई नदी के [[उत्तर]] घने [[जंगल]] में स्थितसिद्ध पीठ मां चण्डिका देवी धामजिला मुख्यालय से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर माँ चंडिका देवी को समर्पित है, माता रानी के धाम को माँ चंदिकन धाम से जाना जाता है।सिद्ध पीठ मां चण्डिका देवी धाममें मां की मूर्तिवैष्णों माता से मिलती है। [[वैष्णो देवी|वैष्णों धाम]] के बाद तीन पिंडी मूर्ति चण्डिका मेंही है। यहां से किसी भी भक्त को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ा है। मां सबकी मन्नतें पूरी करती हैं। धाम में मूर्ति स्थापना केसही-सही समय का तो पता नहीं चलता, लेकिन इसकी प्राचीनता दो से ढ़ाई हजारवर्ष पूर्व होना बताई जाती है।प्रत्येक वर्ष चैत्र माह (फरवरी-मार्च) और अश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) माह मेंचन्द्रिका देवी मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में लोग इसमेले में सम्मिलित होते हैं।चंदिकन देवी मंदिर पर नवरात्र में सबसे अधिक भीड़ होती है। यहांश्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मां के दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओंका हुजूम देखने को मिलता है। वैसे आम दिनों में यहां [[मंगलवार]] को मेला लगताहै और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। भीड़ को नियंत्रितकरने के लिए मंदिर में बैरीकेटिंग की गई जिससे श्रद्धालुओं को दिक्कत न हो।
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वनगमन के समयराजा बेलनृपति के शासनकाल में भगवान [[श्रीराम]] द्वारा स्थापित बाबा बेलखरनाथधाम आज भी अपनी पौराणिक मान्यता के साथ ही ऐतिहासिक धरोहर को समेटे हुए है।मान्यता है कि राजा बेल के नाम से प्रसिद्ध इस [[शिवलिंग]] के समक्ष सच्चे मनसे मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है। दीवानगंज बाजार से लगभग तीन किमीदक्षिण की तरफ एक विशाल टीले पर यह पवित्र शिवधाम स्थापित है।
== अन्य दर्शनीय स्थल ==
'''श्रीमंधारस्वामी मंदिर'''
श्रीमंधारस्वामी मंदिर यशकीर्ति भटारक सीमा पर स्थित है। इस मंदिर में र्तीथकर श्रीमंधारस्वामी की विशाल प्रतिमा स्थित है। इस प्रतिमा में श्रीमंधारस्वामी पदमासन की मुद्रा में है।
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जिले मे डेरवा बाजार मे स्थित कचनार बीर बाबा मंदिर,देउम का बूढ़ेश्वरनाथ धाम,स्वरूपपुर (गौरा) का सूर्य मंदिर,धरमपुर का गायत्री धाम,हैंसी का खंडेश्वरनाथ धाम,शक्तीधाम,नायर देवी धाम,शाह बाबा मजार इत्यादि प्रतापगढ़ जनपद के अन्य दर्शनीय स्थलो मे प्रमुख है।
== साहित्य,कला,संस्कृति ==
==== साहित्य ====
[[चित्र:Bhikharidas keertistambh pratapgarh.jpg|250px|thumb|right|प्रतापगढ़ के टेउंगा ग्राम में स्थित आचार्य भिखारीदास जी का कीर्तिस्तंभ]]
साहित्यिक दृष्टि से बेल्हा अत्यंत समृद्ध रहा है। [[रीतिकाल]] में इसी जनपद में सर्वाग विवेचक कवि [[भिखारीदास]] पैदा हुए जो अपने कवित्व शक्ति की बदौलत प्रसिद्धि हासिल की। उनकी कविताएं आज भी क्षेत्र में गूंजती हैं। इन्होंने कई ग्रंथों की रचना की जिसको प्रमाणिक ढंग से प्रकाशित किया गया है।
इन पर शोध भी किये जा चुके हैं। [[भिखारीदास|आचार्य भिखारीदास]] ने अपने सभी ग्रंथों को राजा हिन्दूपति सिंह को समर्पित किया था। भिखारीदास का जन्म [[प्रतापगढ़ जिला|प्रतापगढ़ जनपद]] के टेऊंगा गांव में लगभग १६९८ ई. में हुआ था। यह स्थान उस समय नगर के रूप में था, जो आज भी राजा प्रतापगढ़ किले से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित है। उनके द्वारा रचित ग्रंथों में छंदार्णव, काव्य निर्णय, श्रृंगार निर्णय, रस सारांस, विष्णुपुराण, अमरकोश शतरंज शतिका थी। हिन्दी के ख्यातिलब्ध राष्ट्रकवी
[[चित्र:Sumitranandan pant residence.jpg|250px|thumb|right|कालाकांकर में स्थित कवी [[सुमित्रानंदन पंत|सुमित्रानंदन पन्त]] जी कि कुटी]]
प्रतापगढ़ का हिंदी साहित्य से एक घनिष्ट संबन्ध रहा है।जिले के [[कालाकांकर]] रियासत मे प्रसिद्ध छायावादी कवी [[सुमित्रानंदन पंत]] जी ने दस वर्ष रहकर कई साहित्य पुस्तको की रचना की।पंत जी की निवासस्थान "नक्षत्र" व (पंत जी की कुटी) आज भी जिले मे मौजूद है।वर्तमान मे यहाँ कई लेखक,कवी,पत्रकार व छोटे मोटे शायर साहित्य क्षेत्र मे सक्रिय है।
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प्रतापगढ़ मुख्य रूप से एक [[कृषि|कृषिप्रधान]] व एक मैदानी इलाका है। जो मुख्यता [[आँवला|आँवले]] के उत्पाद के लिये विख्यात है। आँवले से सम्बंधित हर उत्पाद आपको यहाँ पर मिल जायेगा। यहाँ से आँवले की सप्लाई डाबर व पतांजलि जैसी बड़ी-बड़ी कम्पनियों में की जाती है।पूरे हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा आंवला प्रतापगढ़ में पैदा होता है। क्षेत्र में कोई भी आधारभूत उद्योग नहीं है,ट्रैक्टर और आंवले की फैक्ट्री होने के बावजूद इस शहर के लोग रोजगार के लिए तरस रहे हैं। दोनों ही फैक्ट्रियां राजनीति की शिकार होने से बंद हो चुकी हैं । जिसके कारण यह क्षेत्र पूर्ण रूप से पिछड़ा क्षेत्र है, जिसके कारण यहां के स्थानीय लोगों में बेरोजगारी बढ़ रही है और लोगों को रोजगार के लिये अन्य क्षेत्रों में पलायन करना पड़ रहा है।
== राजनीति ==
[[प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश|प्रतापगढ़]] के [[विधानसभा]] क्षेत्रों के नाम हैं रानीगंज, कुंडा, विश्वनाथगंज, पट्टी, वीरापुर, गढ़वारा, सदर, बाबागंज, विहार, प्रतापगढ़ और रामपुर खास है। प्रतापगढ़ की राजनीति में यहाँ के तीन मुख्य राजघरानों का नाम हमेशा रहा।इनमे से पहला नाम है विश्वसेन राजपूत राय बजरंग बहादुर सिंह का परिवार है जिनके वंशज रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) हैं, राय बजरंग बहादुर सिंह हिमांचल प्रदेश के गवर्नर थे तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। दूसरा परिवार सोमवंशी राजपूत राजा प्रताप बहादुर सिंह का है और तीसरा परिवार राजा दिनेश सिंह का है जो पूर्व में भारत के वाणिज्य मंत्री और विदेश मंत्री जैसे पदों पर सुशोभित रहे। इनकी रियासत कालाकांकर क्षेत्र है। दिनेश सिंह की पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह भी राजनीति में हैं तथा प्रतापगढ़ की सांसद
== पुरातात्वित स्थल ==
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जगदगुरू संत कृपालू महाराज (अध्यात्मिक गुरू)
श्वेता
अनुपम श्याम ओझा (अभिनेता)
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== परिवहन ==
[[चित्र:Pratapgarh Bus stand.jpg|250px|thumb|left|बस स्थानक,प्रतापगढ़]]
प्रतापगढ़ जिले में मुख्य रूप से रिक्शा, टैम्पो, साईकिल, मोटरसाईकिल, बस, ट्रक इत्यादि प्रमुख वाहन हैं।स्थानीय लोगों को एक जगह से दूसरे जगह तक जाने के लिये मानव चलित रिक्शा व टैम्पो,टाटा मैजिक हर चौराहे, नुक्कड़ और गली-मुहल्ले में मिल जाते हैं।गाँव-गाँव में पक्की सड़कों का निर्माण हो चुका है जिससे वाहन की व्यवस्था और आने-जाने की सुगमता, पहले से काफी बेहतर हो चुकी है।छोटा-मोटा सामान ढोने के लिये महिंद्रा पिकअप व छोटा हाथी के साथ ट्रेक्टर ट्राली,मिनीट्रक
प्रतापगढ़ से आपको निम्न जगह जाने के लिये सुगमता से वाहन उपलब्ध हो सकता है जैसे- [[इलाहाबाद]], [[सुल्तानपुर]], [[वाराणसी]], [[रायबरेली]], [[लखनऊ]], [[फैजाबाद]], [[चित्रकूट]], [[कौशाम्बी जिला|कौशाम्बी]], [[भदोही]], [[गोण्डा]], [[मिर्जापुर]], [[बस्ती]] इत्यादि।
== शैक्षणिक संस्थान ==
एम.डी .पी.जी. कॉलेज इलाहाबाद रोड प्रतापगढ़
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कृषि विज्ञान केन्द्र, अवधेश्पुरम, लाला बाजार, कालाकांकर
अब्दुल
तिलक इंटर कॉलेज
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== कैसे
वायु मार्ग: यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा [[वाराणसी]],[[प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश|प्रतापगढ़]],[[इलाहाबाद]] एयरपोर्ट है।
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सड़क मार्ग: भारत के कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा [[प्रतापगढ़ जिला|प्रतापगढ़]] आसानी से पहुंचा जा सकता है।
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.pratapgarh.nic.in प्रतापगढ़ की आधिकारिक वेबसाइट]
* [http://www.ghuisarnathdham.com/ घुइसरनाथ धाम की आधिकारिक वेबसाइट]
* [http://www.bhayaharannathdham.blogspot.com/ भयहरणनाथ धाम की आधिकारिक वेबसाइट]
{{प्रतापगढ़ जिला }}▼
{{उत्तर प्रदेश के जिले }}▼
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के जिले]]
▲{{प्रतापगढ़ जिला }}
▲{{उत्तर प्रदेश के जिले }}
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