"प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम": अवतरणों में अंतर

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भारत में इस समय कापीराइट (प्रतिलिप्यधिकार या कृतिस्वाम्य) की जो व्यवस्था है वह 1957 के '''प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम''' और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों द्वारा परिचालित होती है। इसके पूर्व भारत में 1914 में जो कापीराइट ऐक्ट बना था वह बहुत कुछ [[ब्रिटेन]] के 'इंपीरियल कापीराइट ऐक्ट (1911)' पर आधारित था। ब्रिटेन का यह कानून और उसके नियम, जो भारतीय स्वाधीनता अधिनियम के अनुच्छेद 18 (3) के अनुसार अनुकूलित कर लिए गए थे, 1957 तक चलते रहे। 1957 में नया कानून बनने पर पुराना कानून निरस्त हो गया।
 
== बर्न समझौता ==
प्रतिलिप्यधिकार के संबंध में यह अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से सबसे पहली महत्वपूर्ण संधि है, जिसे '''बर्न या इंटरनेशनल कॉनवेंशन''' कहते हैं, यह संधि सन 1886 में हुई। इसके बाद से बर्न कॉनवेंशन में तीन बार संशोधन हो चुकें हैं।
 
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बर्न समझौते में यूरोप, एशिया और अफ्रीका के कुल दो देश सम्मिलित हुए। मांटिविडियो करार के सिवाय शेष सभी करार अमरीकी देशों के बीच संपन्न आपसी समझौते थे। दूसरी ओर चीन, रूस तथा कई पश्चिम एशियाई देश थे, जो ऐसे किसी समझौते से बँधे नहीं थे।
 
== यूनेस्को समझौता ==
इतने समझौतों और करारों के कारण स्थिति इतनी पेचीदी हो गई थी कि कोई सर्वमान्य विश्वव्यापी समझौता आवश्यक हो गया था। फलत: राष्ट्रसंघ की संबद्ध संस्था यूनेस्को (शिक्षा-विज्ञान-संस्कृति-संघटन) ने मामले को अपने हाथ में लिया और 1949 में यह निश्चय किया गया कि संस्था इस प्रश्न का तत्काल समाधान निकाले। अंत में इसने विश्वव्यापी प्रतिलिप्यधिकार समझौता तैयार किया जो 6 सितंबर, 1952 से चार मास तक सदस्य देशों द्वारा समझौते के लिये खुला रहा। इस अवधि में 40 देशों ने इसपर हस्ताक्षर किए। यह भी व्यवस्था रखी गई कि इस अवधि के बाद भी इसका सदस्य होने में किसी प्रकार की बाधा नहीं है। हस्ताक्षरकर्ता 40 देश ये हैं :
 
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इस समझौते के अनुसार एक अंतरशासनीय समिति की व्यवस्था की गई है जो समय समय पर इस प्रश्न पर विचार किया करे।
 
== भारतीय कृतिस्वाम्य अधिनियम ==
हमारे देश में इस समय जो प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम 1957 से लागू है उसके अनुसार यह व्यवस्था है कि अधिनियम के अमल में आने के बाद से एक प्रतिलिप्यधिकार कार्यालय स्थापित किया गया है जो इसी कार्य के लिये नियुक्त एक रजिस्ट्रार के अधीन है। इस रजिस्ट्रार को केंद्रीय सरकार के नियंत्रण और निर्देशन में काम करना पड़ता है तथा उसके कई सहायक हैं। इस कार्यालय का मुख्य काम यह है कि वह एक रजिस्टर रखे जिसमें लेखक या रचनाकार के अनुरोध पर रचना का नाम, रचनाकार या रचनाकारों के नाम, पते और कापीराइट जिसे हो उसके नाम, पते दर्ज किए जाएँ।
 
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रचनाकार को प्रतिलिप्यधिकार उसके जीवन भर तथा उसकी मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी को 50 वर्ष तक प्राप्त रहेगा।
 
== विशेष ==
विशेष कार्यों के लिये अलग अलग किस्म के प्रतिलिप्यधिकार प्रदान किए गए हैं।