"प्रत्यास्थता": अवतरणों में अंतर
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[[यांत्रिकी]] में '''प्रत्यास्थता''' (elasticity) पदार्थों के उस गुण को कहते हैं
यदि वाह्यबल के परिमाण को धीरे-धीरे बढ़ाया जाय तो विकृति समान रूप से बढ़ती जाती है, साथ ही साथ आंतरिक प्रतिरोध भी बढ़ता जाता है। किन्तु किसी पदार्थ पर एक सीमा से अधिक बल लगाया जाय तो उस वाह्य बल को हटा लेने के बाद भी पदार्थ पूर्णत: अपनी मूल अवस्था में नहीं लौट पाता; बल्कि उसमें एक स्थायी विकृति शेष रह जाती है। पदार्थ की इसी सीमा को '''प्रत्यास्थता सीमा''' (Limit of elasticity या Elastic limit) कहते हैं। आंकिक रूप से
प्रत्यास्थता सीमा के भीतर, विकृति वस्तु में कार्य करनेवाले प्रतिबल की समानुपाती होती है। यह एक प्रायोगिक तथ्य है एवं [[हुक का नियम|हुक के नियम]] (Hooke's law of elasticity) के नाम से विख्यात है।
== प्रतिबल, विकृति एवं यंग प्रत्यास्थता गुणांक ==
किसी वस्तु पर लगाया गया बल, किसी बिंदु विशेष पर कार्य न कर, उसके किसी तल पर कार्य करता है। फलस्वरूप इसकी आंतरिक प्रतिक्रिया होती है। अत: इस आंतरिक प्रतिक्रिया की माप ईकाई क्षेत्र पर कार्यरत बल से की जाती है, जिसे '''प्रतिबल''' (Stress) कहते हैं।
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किसी पदार्थ पर बाह्य तनाव (tension) के कारण तनाव की दिशा में कार्यरत प्रतिबल एवं उसी रेखा में उत्पन्न विकृति से '''रैखिक प्रत्यास्थता''' का ज्ञान होता है। किसी पदार्थ के लिये प्रतिबल एवं विकृति का अनुपात (प्रतिबल/विकृति) एक स्थिरांक होता है जिसे '''यंग प्रत्यास्थता गुणांक''' (Young's Modulus Of Elasticity) कहते हैं।
गणितीय
:<math> E \equiv \frac{\mbox {tensile stress}}{\mbox {tensile strain}} = \frac{\sigma}{\varepsilon}= \frac{F/A_0}{\Delta L/L_0} = \frac{F L_0} {A_0 \Delta L} </math>
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:<var>L<sub>0</sub></var> वस्तु की मूल लम्बाई।
== पॉसों अनुपात ==
इस रैखिक प्रतिबल के कारण रैखिक विकृति के साथ-साथ अनुप्रस्थ दिशा में भी विकृति उत्पन्न हो जाती है। जैसे - किसी तार के एक सिरे को बाँध कर दूसरे सिरे पर भार लटकाया जाय, तो तार की लंबाई में वृद्धि होगी ही, पर साथ ही साथ इसके व्यास में भी कमी आ जाएगी।
प्रति इकाई प्रतिबल से उत्पन्न अनुप्रस्थ विकृति पदार्थ के लिये पॉसों अनुपात (या पॉयजन अनुपात-Poisson's Ratio) कहलाती है।
== आयतन प्रत्यास्थता गुणांक ==
जब पदार्थ को सभी दिशाओं से दबाया जाय, या दबाव डाला जाय, तब वस्तु के आयतन में विकृति होती है। इस अवस्था में ईकाई आयतन में विकृति लानेवाले प्रतिबल को आयतन प्रत्यास्थता गुणांक (Bulk Modulus Of Elasticity) कहते हैं। यंग गुणांक, प्वासॉन अनुपात एवं आयतन प्रत्यास्थता गुणांक के बीच सरलता के साथ संबंध निकाला जा सकता है।
== प्रत्यास्थता का महत्व एवं उपयोग ==
भौतिक जगत् में प्रत्यास्थता गुण का अपना विशेष महत्व है। यांत्रिक (mechanical) एवं सिविल (civil) इंजीनियरिंग में इस ज्ञान का व्यापक उपयोग है।
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अपरूपण की अवस्था स्थिर स्थितियों में द्रव एवं गैस में नहीं देखी जा सकती, परंतु जब द्रव बहता होता है तब द्रव की एक सतह दूसरी सतह पर से फिसलना चाहती है। द्रव की सतहें अपरूपित हो जाती हैं। और तलों के बीच की सापेक्ष गति का विरोण करती हैं, परंतु यह स्थिति क्षणिक होती है। इस अपरूपण को द्रव एवं गैस की श्यानता (Viscosity) कहते हैं।
== इन्हें भी देखें ==
[[हुक का नियम]]
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