"भवानी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
पूर्णविराम से पहले स्पेस हटाया। |
छो Bot: अंगराग परिवर्तन |
||
पंक्ति 1:
{{wikify}}
गायत्री का एक नाम भवानी
धर्म का एक पक्ष सेवा, साधना, करुणा,सहायता, उदारता के रूप में प्रयुक्त होता है। यह विधायक-सृजनात्मक पक्ष है। दूसरा पक्ष अनीति का प्रतिरोध है, इसके बिना धमर् न तो पूर्ण होता है, न सुरक्षित रहता है। सज्जनता की रक्षा के लिए दुष्टता का प्रतिरोध भी अभीष्ट है। इस प्रतिरोधक शक्ति को ही भवानी कहते हैं। दुर्गा एवं चण्डी के रूप में उसी की लीलाओं का वणर्न किया जाता है। 'देवी भागवत' में विशिष्ट रूप से और अन्यान्य पुराणों, उपपुराणों में सामान्य रूप से इसी महाशक्ति की चर्चा हुई है और उसे असुर विदारिणी, संकट निवारिणी के रूप में चित्रित किया गया है। अवतारों के दो उद्देश्य हैं- एक धर्म की स्थापना, दूसरा अधर्म का विनाश। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
|