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'''प्राजक्ता''' एक [[पुष्प]] देने वाला वृक्ष है। इसे परिजात, हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है। <ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/jadibuti/0903/18/1090318108_1.htm |title=हरसिंगार के गुण भी सुंदर|accessmonthday=[[२१ मई]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=वेबदुनिया|language=}}</ref>
इसका [[वानस्पतिक नाम]] 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और [[छाल]] का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह सारे [[भारत]] में पैदा होता है। यह [[पश्चिम बंगाल]] का राजकीय पुष्प है।
 
== परिचय ==
यह 10 से 15 फीट ऊँचा और कहीं 25-30 फीट ऊँचा एक वृक्ष होता है और पूरे भारत में विशेषतः बाग-बगीचों में लगा हुआ मिलता है। विशेषकर मध्यभारत और हिमालय की नीची तराइयों में ज्यादातर पैदा होता है। इसके फूल बहुत सुगंधित, सफेद और सुन्दर होते हैं जो रात को खिलते हैं और सुबह मुरझा कर गिर जाते हैं।
 
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[[उर्दू]]- गुलजाफरी। [[इंग्लिश]]- नाइट जेस्मिन।
 
== गुण ==
यह हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है। सायटिका रोग को दूर करने का इसमें विशेष गुण है।
 
'''रासायनिक संघटन''' : इसके फूलों में सुगंधित तेल होता है। रंगीन पुष्प नलिका में निक्टैन्थीन नामक रंग द्रव्य ग्लूकोसाइड के रूप में 0.1% होता है जो केसर में स्थित ए-क्रोसेटिन के सदृश्य होता है। बीज मज्जा से 12-16% पीले भूरे रंग का स्थिर तेल निकलता है। पत्तों में टैनिक एसिड, मेथिलसेलिसिलेट, एक ग्लाइकोसाइड (1%), मैनिटाल (1.3%), एक राल (1.2%), कुछ उड़नशील तेल, विटामिन सी और ए पाया जाता है। छाल में एक ग्लाइकोसाइड और दो क्षाराभ होते हैं।
 
== उपयोग ==
[[चित्र:Leaves of the Parijat plant (Nyctanthes arbor-tristis), Kolkata, India - 20070130.jpg|right|thumb|300px|परिजात की पत्तियाँ]]
इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग [[गृध्रसी]] (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है।
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ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है। इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।
 
== सन्दर्भ ==
<references/>
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://shabd-braham.com/ShabdB/archive/v1i2/sbd-V1-i2-sn4.pdf कालिदास के काव्य में वर्णित पौराणिक देववृक्ष पारिजात : प्रकरण और कथा] (शब्द-ब्रह्म पत्रिका)
 
[[bn:শিউলি ফুল]]