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{{Taxobox
|name = प्राणी, जंतु, जानवर<br /><small>Animals</small>
|image = Animaldiversity.jpg
|domain = [[सुकेन्द्रिक]] (युकेरियोट)
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== शब्द की व्युत्पत्ति ==
शब्द 'एनीमल' [[लैटिन|लेटिन]] भाषा के शब्द ''अनिमाले'' , [[व्याकरण के अनुसार लिंग|नयूटर]] ऑफ़ ''अनिमालिस'' , से आया है, और ''अनिमा'' से व्युत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है जीवित श्वास या आत्मा.
 
आम बोल-चाल की भाषा में, इस शब्द का इस्तेमाल गैर-[[मानव|मानवीय]] जानवरों के लिए किया जाता है.{{Fact|date=May 2009}}इस शब्द की जैविक परिभाषा में मानव सहित किंगडम आनीमाल्या के सभी सदस्य शामिल हैं .<ref name="americanheritage_animal">{{cite encyclopedia |year=2006 |title=Animal |encyclopedia=The American Heritage Dictionary |publisher=Houghton Mifflin Company |edition=Forth }}</ref>
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=== संरचना ===
कुछ अपवादों के साथ, सबसे खासकर [[स्पंज]] (संघ [[पोरिफेरा]]) और [[प्लेकोजोआ]], जंतुओं के शरीर अलग अलग [[जैविक ऊतक|उतकों]] में विभेदित होते हैं. इन में [[मांसपेशी|मांसपेशियां]] शामिल हैं, जो संकुचन तथा गति के नियंत्रण में सक्षम होती हैं, और [[तंत्रिका तंत्र|तंत्रिका उतक]], जो संकेत भेजता है व उन पर प्रतिक्रिया करता है. साथ ही इनमें एक प्रारूपिक आंतरिक [[पाचन]] कक्ष होता है जो 1 या 2 छिद्रों से युक्त होता है. जिन जंतुओं में इस प्रकार का संगठन होता है, उन्हें मेटाजोअन कहा जाता है, या तब [[युमेटाजोअन|यूमेटाजोअन]] कहा जाता है जब, पूर्व का प्रयोग सामान्य रूप से जंतुओं के लिए किया जाता है.
 
सभी जंतुओं में [[यूकेरियोटिक|युकेरियोटिक]] कोशिकाएं होती हैं, जो [[कोलैजेन|कोलेजन]] और प्रत्यास्थ [[ग्लाइकोप्रोटीन]] से बने बहिर्कोशिकीय मेट्रिक्स से घिरी होती हैं.
 
यह [[जंतु का कवच|खोल]], [[हड्डी|अस्थि]], और [[कंटक]] जैसी संरंचनाओं के निर्माण के लिए केल्सीकृत हो सकती हैं. विकास के दौरान यह एक अपेक्षाकृत लचीला ढांचा बना लेती हैं जिस पर कोशिकाएं गति कर सकती हैं और संभव जटिल सरंचनाएं बनाते हुए पुनः संगठित हो सकती हैं. इसके विपरीत, अन्य बहुकोशिकीय जीव जैसे पौधे और कवक की कोशिकाएं कोशिका भित्ति से घिरी होती हैं, और इस प्रकार से प्रगतिशील वृद्धि द्वारा विकसित होती हैं.
 
इसके अलावा, जंतुओं की कोशिकाओं का एक अद्वितीय गुण है अंतर कोशिकीय संधियाँ: [[टाइट जंक्शन]], [[गैप जंक्शन]] और [[डेस्मोसोम]].
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कई जंतुओं में [[अलैंगिक प्रजनन]] की क्षमता भी होती है. यह [[अनिषेक जनन|अनिषेकजनन]] के द्वारा हो सकता है, जहां बिना निषेचन के अंडा भ्रूण में विकसित हो जाता है, कुछ मामलों में [[विखंडन (प्रजनन)|विखंडीकरण]] के द्वारा भी ऐसा संभव है.
 
[[युग्मनज]] शुरू में [[ब्लासटुला]] नामक एक खोखले गोले में विकसित होता है, यह कोशिकाओं की पुनर्व्यवस्था तथा विभेदन की प्रक्रिया से होकर गुजरता है. स्पंज में, ब्लासटुला लार्वा तैर कर एक नए स्थान पर चला जाता है, और एक नए स्पंज में विकसित हो जाता है. अधिकांश अन्य समूहों में, ब्लासटुला में अधिक जटिल पुनर्व्यवस्था की प्रक्रिया होती है. यह पहले [[अंतर्वलन|अंतर वलयित]] होकर एक [[गेसट्रुला]] बनाता है, जिसमें एक पाचन कक्ष और दो अलग [[जनन स्तर]] होते हैं-एक बाहरी [[बाह्य त्वक स्तर|बाह्यत्वक स्तर]] और एक आंतरिक [[अन्तः त्वक स्तर]].
 
अधिकतम मामलों में, इन दोनों स्तरों के बीच एक [[मध्य त्वक स्तर]] का भी विकास होता है. ये जनन स्तर अब विभेदित होकर उतक और अंग बनाते हैं.
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एक दुसरे पर लगाये गए चयनित दबाव ने शिकार और शिकारी के बीच [[विकासवादी हथियारों की दौड़|विकासवादी दौड़]] को जन्म दिया है, जिसके परिणामस्वरूप कई [[शिकार विरोधी अनुकूलन|शिकारी विरोधी अनुकूलन]] विकसित हुए हैं.
 
ज्यादातर जंतु अप्रत्यक्ष रूप से [[सूर्य का प्रकाश|सूर्य के प्रकाश]] से ही उर्जा प्राप्त करते हैं. पौधे [[ऊर्जा|प्रकाश संश्लेषण]] नामक एक प्रक्रिया के द्वारा इस [[शर्कराएँ|उर्जा]] का प्रयोग करके सूर्य के प्रकाश को साधारण [[प्रकाश संश्लेषण|शर्करा]] के अणु में परिवर्तित कर देते हैं. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया [[कार्बन डाइऑक्साइड]] (CO<sub>2</sub>) और [[जल]] (H<sub>2</sub>O) के साथ शुरू होती है, इसमें सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल दिया जाता है, जो [[ग्लूकोज|ग्लूकोस]] (C<sub>6</sub>H<sub>12</sub>O<sub>6</sub>) के बंधों में संचित हो जाती है, इस प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन (O<sub>2</sub>) भी मुक्त होती है. अब इस शर्करा का उपयोग निर्माण इकाइयों के रूप में होता है, जिससे पौधे में वृद्धि होती है. जब पशु इन पौधों को खाते हैं (या अन्य पशुओं को खाते हैं जिन्होंने इन पौधों को खाया है), पौधों के द्बारा उत्पन्न की गयी शर्करा जंतुओं के द्वारा काम में ले ली जाती है. यह या तो जंतु के प्रत्यक्ष विकास में सहायक होती है या अपघटित हो जाती है, और संग्रहित सौर उर्जा छोरति है, और इस प्रकार से जंतु को गति के लिए आवश्यक ऊर्जा की प्राप्ति होती है.
 
यह प्रक्रिया [[ग्लाइकोलाइसिस]] के नाम से जानी जाती है
 
जंतु जो [[जल उष्मा निकास]] के करीब या समुद्री तल पर [[शीत रिसाव|ठंडे रिसाव]] के नजदीक रहते हैं, वे सूर्य की ऊर्जा पर निर्भर नहीं हैं.इसके बजाय, [[रसायन संश्लेषण|रसायन संश्लेषी]] [[आर्की|जीव]] और [[जीवाणु]] खाद्य श्रृंखला का आधार बनाते हैं.
 
== उत्पत्ति और जीवाश्म रिकॉर्ड ==
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]
[[चित्र:Vernanimalcula.jpg|thumb|वर्नानीमाल्कुला गुइज्होउएना एक जीवाश्म है, कुछ लोगों के अनुसार यह द्वि पर्श्वियों के प्रारंभिक ज्ञात सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है.]]
आम मान्यता है की जंतु एक [[विकास|कशाभिकी]] यूकेरियोट से [[कशाभिकी|विकसित]] हुए हैं. उनके निकटतम ज्ञात सजीव संबंधी हैं [[कोएनो कशाभिकी]], कोलर्ड कशाभिकी जिनकी आकारिकी विशिष्ट स्पंजों के कोएनो साइट्स के सामान है.
 
[[आण्विक|आणविक]] अध्ययन जंतुओं को एक परम समूह में रखता है, जिसे [[ओपिस्थोकोंट]] कहा जाता है, इसमें भी कोएनो कशाभिकी, [[कवक]], और कुछ छोटे परजीवी [[प्रोटिस्ट|प्रोटिस्टा]] के जंतु शामिल हैं.
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पहले जीवाश्म जो जंतुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, लगभग 610 मिलियन वर्ष पूर्व, [[पूर्व केम्ब्रियन|पूर्वकेम्ब्रियन]] काल के अंत में प्रकट हुए, और ये [[एडियाकरन बायोटा|एडियाकरन या वेन्दियन बायोटा]] कहलाते हैं.
 
लेकिन इन्हें बाद के जीवाश्म से संबंधित करना कठिन हैंकुछ आधुनिक संघों के पूर्ववर्तियों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, लेकिन वे अलग समूह हो सकते हैं, और यह भी सम्भव है कि वे वास्तव में जंतु न हों. उन्हें छोड़ कर, अधिकतम ज्ञात जंतु संघ, 542 मिलियन वर्ष पूर्व, [[कैंब्रियन|कैम्ब्रियन]] युग के दौरान, स्वतः ही प्रकट हुए.
यह अभी भी विवादित है, कि यह घटना जिसे [[कैंब्रियन विस्फोट|कैम्ब्रियन विस्फोट]] कहा जाता है, भिन्न समूहों के बीच तीव्र विचलन का प्रतिनिधित्व करती है या परिस्थितियों में उन परिवर्तनों का प्रतिनिधित्व करती है जिसने जीवाश्मीकरण को संभव बनाया. हालांकि कुछ पुरातत्वविज्ञानी और भूवैज्ञानिक बताते हैं कि जंतु पहले सोचे जाने वाले समय से काफी पहले प्रकट हुए, संभवतया 1 बिलियन वर्ष पूर्व.[[टोनियन|तोनियन]] युग में पाए गए जीवाश्म चिन्ह जैसे मार्ग और बिल, [[त्रिस्तरीय]] कृमियों जैसे [[मेताज़ोआन्|मेताज़ोआ]] की उपस्थिति को सूचित करते हैं, ये संभवतया [[केंचुऐ|केंचुए]] की तरह बड़े और जटिल रहे होंगे (लगभग 5 मिलीमीटर चौडे).<ref name="Seilacher1998">{{cite journal
| title=Animals More Than 1 Billion Years Ago: Trace Fossil Evidence from India
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| pmid=9756480}}</ref> इसके अलावा लगभग 1 बिलियन वर्ष पूर्व तोनियन युग की शुरुआत में (संभवतया यह वही समय था जिस समय इस लेख में जीवाश्म चिन्ह की चर्चा की गयी है), [[स्ट्रोमाटोलाईट|स्ट्रोमाटोलईट]] में कमी आयी.
 
विविधता जो इस समय स्ट्रोमाटोलईट के रूप में चरने वाले पशुओं के आगमन को सूचित करती है, ने ओर्डोविसियन और परमियन के अंत के कुछ ही समय बाद, विविधता में वृद्धि की, जिससे बड़ी संख्या में चरने वाले समुद्री जंतु लुप्त हो गए, उनकी जनसंख्या में पुनः प्राप्ति के कुछ ही समय बाद उनकी संख्या में कमी आ गयी.
 
वह खोज जो इन प्रारंभिक जीवाश्म चिन्हों के बहुत अधिक सामान है, उनकी उत्पत्ति आज के विशाल आकर के एक कोशिकीय प्रोटिस्टा के जीव ''[[ग्रोमिया स्फेरिका]]'' के द्वारा हुई है, इस पर प्रारंभिक जंतु के विकास के प्रमाण के रूप में उनकी व्याख्या पर संदेह है.<ref name="Matz2008">{{cite journal | last = Matz | first = Mikhail V. | authorlink = | coauthors = Tamara M. Frank, N. Justin Marshall, Edith A. Widder and Sonke Johnsen | title = Giant Deep-Sea Protist Produces Bilaterian-like Traces | journal = Current Biology | volume = 18| issue = 18 | pages = 1–6 | publisher = Elsevier Ltd | location = | date = 2008-12-09 | url = http://www.biology.duke.edu/johnsenlab/pdfs/pubs/sea%20grapes%202008.pdf | doi = 10.1016/j.cub.2008.10.028 | accessdate = 2008-12-05}}</ref><ref name="MSNBC200811">{{cite news | last = Reilly | first = Michael | title = Single-celled giant upends early evolution | publisher = MSNBC | date = 2008-11-20 | url = http://www.msnbc.msn.com/id/27827279/ | accessdate = 2008-12-05}}</ref>
 
== जानवरों के समूह ==
=== पोरिफेरा ===
[[चित्र:Elephant-ear-sponge.jpg|thumb|left|ओरेंज एलिफेंट इयर स्पंज, एजिलास क्लेथरोड्स, अग्रभूमि मेंपृष्ठभूमि में दो मूंगे: एक समुद्री पंखा, इकीलीजोर्जिया श्रामी और एक समुद्री रोड, प्लेक्सयुरेला न्यूटेंस.]]
लंबे अरसे पहले से स्पंज ([[पोरिफेरा]]) को अन्य प्रारंभिक जंतुओं से भिन्न माना जाता था. जैसा कि ऊपर बताया गया है, अन्य अधिकांश संघों में पाया जाने वाला जटिल संगठन इनमें नहीं पाया जाता है, उनकी कोशिकाएं विभेदित हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में अलग अलग ऊतकों में संगठित नहीं हैं. स्पंज [[सेसीलिटी (प्राणी शास्त्र)|तने रहित]] होते हैं और आम तौर पर इनके छिद्रों के माध्यम से जल खिंच कर भोजन प्राप्त करते हैं. [[आर्कियोसायथा|आरकियोकाइथा]], जिसमें संगलित कंकाल होता है, वह स्पंज का या एक अलग संघ का प्रतिनिधित्व कर सकता है. हालांकि, 2008 में 21 वन्शों में 150 जीनों का एक फैलो जीनोमिक अध्ययन <ref name="class">[25] ^ दन्न ''एट अल.'' 2008."व्यापक संघीय जीनोमिक नमूने जीवन के जंतु वृक्ष में सुधार करते है." नेचर 06614.</ref> बताता है कि यह [[टिनोफोरा]] या कोम्ब जेली है जो कम से कम उन 21 संघों में जन्तुओ का आधार बनाती है.
 
लेखक विश्वास रखते हैं कि सपंज या कम से कम वे स्पंज जो उन्होंने खोजे हैं- इतने आदिम नहीं हैं , लेकिन इसके बजाय द्वितीयक रूप से सरलीकृत किये जा सकते हैं.
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इनमें केवल दो मुख्य जनन स्तर होते हैं, बाह्य त्वक स्तर और अन्तः त्वक स्तर, जिनके बीच में केवल कोशिकाएं बिखरी होती हैं. इसी लिए इन जंतुओं को कभी कभी [[डिप्लोब्लास्टिक|डिप्लोब्लासटिक]] कहा जाता है. छोटे [[प्लेकोजोआ|प्लेकोज़ोआ]] समान हैं, लेकिन उन में एक स्थायी पाचन कक्ष नहीं होता है.
 
शेष जंतु [[एकसंघी|एक संघीय]] समूह बनाते हैं जो [[द्वीपार्श्वी|बाईलेट्रिया]] कहलाता है. अधिकतम भाग के लिए, वे द्विपार्श्व सममित होते हैं, और अक्सर एक विशिष्टीकृत सिर होता है जो खाद्य अंगों और संवेदी अंगों से युक्त होता है. शरीर [[ट्रिप्लोब्लास्टिक|ट्रिपलोब्लास्टिक]] होता है, अर्थात, तीनों जनन परतें पूर्ण विकसित होती हैं, और उतक विभेदित अंग बनाते हैं. पाचन कक्ष में दो छिद्र होते हैं, एक मुख और एक गुदा, साथ ही एक आंतरिक देह गुहा भी होती है जो [[देहगुहा|सीलोम]] या आभासी देह गुहा भी कहलाती है. इन में प्रत्येक लक्षण के अपवाद हैं, हालाँकि- व्यस्क [[इकाईनोडर्म|एकाईनोडर्मेट]] त्रिज्यात सममित होता है, और विशिष्ट परजीवी जन्तुओं में बहुत ही सरलीकृत शारीरिक सरंचना होती है.
 
आनुवंशिक अध्ययन नें बाईलेट्रिया के भीतर सम्बन्ध को लेकर हमारे ज्ञान को काफी हद तक बदल दिया है. अधिकांश दो मुख्य वंशावलियों से सम्बन्ध रखते हैं: [[ड्यूटरोस्टोम]] और [[प्रोटोस्टोम]], जिनमें शामिल हैं [[एकडाईसोजोआ]], [[प्लेटोजोआ|प्लेटिजोआ]], और [[लोफोट्रोकोजोआ]].
 
इस के अतिरिक्त, द्विपार्श्वसममित जीवों के कुछ छोटे समूह हैं जो इन मुख्य समूहों के समक्ष विसरित होते हुए प्रतीत होते हैं.
 
इन में शामिल हैं [[असिलोमोर्फा|एसोलमोर्फा]], [[रोम्बोजोआ]], और [[ओर्थोनेकटीडा]]. ऐसा माना जाता है कि [[मिक्सोजोआ]], एक कोशिकीय परजीवी जिन्हें मूल रूप से प्रोटोजोअन माना जाता था, बाईलेट्रिया से ही विकसित हुए हैं.
 
=== ड्यूटरोसोम ===
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[[ड्यूटरोस्टोम]] अन्य बाईलेट्रिया, [[प्रोटोस्टोम]] से कई प्रकार से भिन्न हैं.
 
दोनों ही मामलों में एक पूरा पाचन पथ पाया जाता है. हालांकि, प्रोटोस्टोम ([[आर्केनट्रोन|आर्कियोतेरोन]])में प्रारम्भिक छिद्र मुह में विकसित होता है और गुदा अलग से विकसित होती है.ड्यूटरोस्टोम में यह उलट है.अधिकांश प्रोटोस्टोम में, कोशिकाएं साधारण रूप से गेसट्रुला के आंतरिक भाग में भर जाती हैं और मध्य जनन स्तर बनाती हैं, यह शाईजोसिलस विकास कहलाता है, लेकिन ड्यूटरोस्टोम में यह अंतर जनन स्तर के [[अंतर्वलन|अन्तर्वलन]] से बनता है, जिसे एंट्रोसिलिक पाउचिन्ग कहा जाता है.
 
ड्यूटरोस्टोम में अधर के बजाय पृष्ठीय तंत्रिका रज्जू होता है, और उनके भ्रूण में भिन्न प्रकार का विदलन होता है.
पंक्ति 180:
=== एकडाईसोजोआ ===
[[चित्र:Sympetrum flaveolum - side (aka).jpg|thumb|पीले पंख वाला डार्टर, सिमपेटरम फ्लेवोलम]]
[[एकडाईसोजोआ]] प्रोटोस्टोम हैं, जिनका यह नाम [[एकडाईसिस|परित्वकभवन]] या निर्मोचन के द्वारा वृद्धि के विशेष लक्षण के आधार पर दिया गया है. सबसे बड़ा जंतु संघ, [[आथ्रोपोडा|आर्थ्रोपोड़ा]] इनसे सम्बन्ध रखता है, जिसमें [[कीट|कृमि]], [[मकड़ी|मकडियां]], [[केकड़ा|केकड़े]], और उनके निकट संबंधी शामिल हैं. इन सभी में शरीर खंडों में विभाजित होता है, और प्रारूपिक तौर पर इनमें युग्मित उपांग पाए जाते हैं. दो छोटे संघ [[ओनिकोफोरा]] और [[टार्दीग्रेडा|टारडिग्रेडा]], आर्थ्रोपोड़ा के निकट सम्बन्धी हैं और इनमें भी उनके समान लक्षण पाए जाते हैं.
 
एकडाईसोजोआ में [[निमेटोडा]] या गोल कृमि आते हैं, यह दूसरा सबसे बड़ा जंतु संघ है.
पंक्ति 188:
.इन समूहों का लघुकृत देहगुहा होती है, जो आभासी देह गुहा कहलाती है.
 
प्रोटोस्टोम के शेष दो समूह कभी कभी [[स्पिरालिया|स्पाइरिला]] के साथ रखे जाते हैं, क्योंकि दोनों में भ्रूण का विकास सर्पिल विदलन से होता है.
 
=== प्लेटिजोआ ===
पंक्ति 197:
 
प्लेटिजोआ के अन्य संघ ज्यादातर सूक्ष्म दर्शीय और [[देह गुहा # सूडोसिलोमेट|आभासी देहगुहा से युक्त]] होते हैं. सबसे प्रमुख हैं [[रोटिफेरा]] या रोटीफर्स, जो जलीय वातावरण में सामान्य हैं. इनमें [[एकेंथोसिफेला]] या शल्की-शीर्ष वाले कृमि शामिल हैं, [[गनथोस्टोमुलिडा|ग्नेथोस्टोमुलिडा]], [[माइक्रोग्नेथोज़ोआ|माइक्रोग्नेथोजोआ]], और संभवतया [[साइक्लियोफोरा|सिक्लियोफोरा]].<ref name="IntroCyclio">{{cite journal |last=Kristensen |first= Reinhardt Møbjerg |year=2002 |month=July |title=An Introduction to Loricifera, Cycliophora, and Micrognathozoa |journal=Integrative and Comparative Biology |volume=42 |issue=3 |pages=641–651 |doi =10.1093/icb/42.3.641 |url=http://icb.oxfordjournals.org/cgi/content/full/42/3/641 |accessdate= 2008-01-26 |publisher = Oxford Journals }}</ref> इन समूहों में जटिल जबड़े होते हैं, जिनकी वजह से ये [[ग्नेथीफेरा|ग्नेथिफेरा]] कहलाते हैं.
 
=== लोफोट्रोकोजोआ ===
पंक्ति 207:
इसे आम तौर पर [[संमिलित विकास|संसृत विकास]] माना जाता है, क्योंकि दोनों संघों के बीच कई आकारिकी और आनुवंशिक भेद हैं.<ref>{{cite journal| coauthors=Kim, Chang Bae; Moon, Seung Yeo; Gelder, Stuart R.; Kim, Won | title=Phylogenetic Relationships of Annelids, Molluscs, and Arthropods Evidenced from Molecules and Morphology | journal=Journal of Molecular Evolution | volume=43 | issue=3 | pages = 207–215 | publisher = Springer | location = [[New York]] | month = September | year = 1996 | url = http://www.springerlink.com/content/xptr6ga3ettxnmb9/ | doi = 10.1007/PL00006079 | accessdate = 2007-11-19 | author=Eernisse, Douglas J.| format={{dead link|date=January 2009}}–<sup>[http://scholar.google.co.uk/scholar?hl=en&lr=&q=intitle%3APhylogenetic+Relationships+of+Annelids%2C+Molluscs%2C+and+Arthropods+Evidenced+from+Molecules+and+Morphology&as_publication=Journal+of+Molecular+Evolution&as_ylo=1996&as_yhi=1996&btnG=Search Scholar search]</sup> }}</ref>
 
लोफोट्रोकोजोआ में [[निमेर्टिया]] या रिब्बन कृमि, [[सिपुनकुला|सिपुन्कुला]] भी शामिल हैं, और कई संघ जिनमें मुख के चारों ओर पक्ष्माभिका का एक पंखा होता है, [[लोफोफोर]] कहलाते हैं.<ref>{{citation | url = http://www.ucmp.berkeley.edu/glossary/gloss7/lophophore.html | title= The Lophophore| author =Collins, Allen G. | author-link = http://www.paleobio.org/agc/ | year = 1995 | publisher = University of California Museum of Paleontology}}</ref> इन्हें पारंपरिक रूप से लोफो फोरेट्स के साथ समूहित किया जाता था.<ref>{{cite journal| coauthors=Adoutte, André; Balavoine, Guillaume; Lartillot, Nicolas; Lespinet, Olivier; Prud'homme, Benjamin; de Rosa, Renaud | title=The new animal phylogeny: Reliability and implications | journal=Proceedings of the National Academy of Sciences | volume=97 | issue=9 | pages = 4453–4456 | date = April, 25 2000 | url = http://www.pnas.org/cgi/content/full/97/9/4453 | pmid=10781043 | accessdate = 2007-11-19 | doi=10.1073/pnas.97.9.4453 | author=Adoutte, A. }}</ref> लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है की वे [[पेराफाईलेटिक]] हैं,<ref>{{Citation | first = Yale J. | last = Passamaneck | contribution = Woods Hole Oceanographic Institution | title = Molecular Phylogenetics of the Metazoan Clade Lophotrochozoa | year = 2003 | pages = 124 | url = http://handle.dtic.mil/100.2/ADA417356 | format = PDF }}</ref> कुछ निमेर्टिया के नजदीकी हैं ओर कुछ मोलस्का व एनेलिडा के नजदीकी हैं.<ref>{{cite journal| coauthors=Sundberg, Per; Turbevilleb, J. M.; Lindha, Susanne | title=Phylogenetic relationships among higher nemertean (Nemertea) taxa inferred from 18S rDNA sequences | journal=Molecular Phylogenetics and Evolution | volume=20 | issue=3 | pages = 327–334 | month = September | year = 2001 | doi = 10.1006/mpev.2001.0982 | accessdate = 2007-11-19 | author=Adoutte, A. }}</ref><ref>{{cite journal| coauthors=Boore, Jeffrey L.; Staton, Joseph L | title=The mitochondrial genome of the Sipunculid Phascolopsis gouldii supports its association with Annelida rather than Mollusca | journal=Molecular Biology and Evolution | volume=19 | issue=2 | pages = 127–137 | month = February | year = 2002 | issn = 0022-2844 | url = http://mbe.oxfordjournals.org/cgi/reprint/19/2/127.pdf | format=PDF | pmid=11801741 | accessdate = 2007-11-19 }}</ref> इनमें [[ब्रेकियोपोडा]] या लेम्प शेल शामिल हैं, जो जीवाश्म रिकोर्ड में मुख्य हैं, ये हैं [[एन्टोंप्रोकटा]], [[फोरोनिडा]], ओर संभवतया [[ब्रयोजोया|ब्रायोजोआ]] या मोस जंतु.<ref>{{cite journal | last = Nielsen | first = Claus | year = 2001 | month = April | title = Bryozoa (Ectoprocta: ‘Moss’ Animals) | journal = Encyclopedia of Life Sciences | publisher = John Wiley & Sons, Ltd | doi = 10.1038/npg.els.0001613 | url = http://mrw.interscience.wiley.com/emrw/9780470015902/els/article/a0001613/current/abstract | accessdate = 2008-01-19 }}</ref>
 
== मॉडल जीव ==
{{Mainarticle|Model organism|Animal testing}}
जंतु में पायी जाने वाली भारी विविधता के कारण, वैज्ञानिकों के लिए चयनित प्रजातियों की एक छोटी संख्या को अध्ययन करना अधिक किफायती होता है, ताकि इस विषय पर उनके कार्यों ओर निष्कर्षों से सम्बन्ध स्थापित किया जा सके कि जंतु सामान्य रूप से किस प्रकार से कार्य करते हैं.
 
क्योंकि उन्हें रखना ओर उनमें संकरण कराना आसान है, फल मक्खी ''[[ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर]]'' , ओर निमेटोड ''[[सीनोंरहेबडीटिस एलिगेंस|केनोरहेबडीटिस एलिगेंस]]'' लम्बे समय से व्यापक अध्ययन किये जाने वाले [[मॉडल जीव|नमूने के जीव]] रहें हैं, और पहले जीवन रूपों में से थे जिन्हें आनुवंशिक रूप से अनुक्रमित किया गया.
 
इसे उनके [[जीनोम]] की बहुत अधिक अपचयित अवस्था के द्वारा सहज बनाया गया, लेकिन यहाँ दो धार की तलवार कई [[जीन|जीनो]], [[इनट्रोन|इंट्रोन्स]], और [[आनुवंशिक लिंकेज|लिंकेज]] लोस्ट के साथ है, ये एकडाईसोजोआ के जीव सामान्य रूप से जंतुओं की उत्पत्ति के बारे में हमें थोडा बहुत सिखा सकते हैं.
पंक्ति 232:
|pmid=17615350}}</ref>
 
होमोस्क्लेरोमोर्फ स्पंज ''ओस्कारेला कर्मेला'' का विश्लेषण बताता है कि स्पंज के अंतिम सामान्य पूर्वज और एउमेताज़ोआ के जंतु पूर्व कल्पना से अधिक जटिल थे.<ref>{{cite journal | coauthors = Wang, Xiujuan; Lavrov Dennis V. | date = 2006-10-27 | month = 27
| title = Mitochondrial Genome of the Homoscleromorph Oscarella carmela (Porifera, Demospongiae) Reveals Unexpected Complexity in the Common Ancestor of Sponges and Other Animals | journal = Molecular Biology and Evolution | volume = 24 | issue = 2 | pages = 363–373 | publisher = Oxford Journals | doi = 10.1093/molbev/msl167 | url = http://mbe.oxfordjournals.org/cgi/content/abstract/24/2/363 | accessdate = 2008-01-19
| author = Wang, X.
| pmid = 17090697 }}</ref>
 
जंतु जगत से सम्बन्ध रखने वाले अन्य मोडल जीवों में शामिल हैं चूहा (''[[मस मस्कुलस]]'' ) और जेबराफिश (''[[दनियो रेरियो|देनियो रेरियो]]'' ).
 
[[चित्र:Carolus Linnaeus (cleaned up version).jpg|thumb|कैरोलास लिनिअस जो आधुनिक वर्गीकरण के जनक के रूप में जाने जाते हैं.]]
पंक्ति 250:
[[केरोलस लिनिअस|लिनियस]] की मूल योजना में, जंतु तीन जगतों में से एक थे, इन्हें [[वर्मीज]], [[कीट|इनसेक्टा]], [[मछली|पिसीज]], [[उभयचर|एम्फिबिया]], [[पक्षी|एवीज]], और [[स्तनपायी|मेमेलिया]] वर्गों में विभाजित किया गया था.
 
तब से आखिरी के चार वर्गों को एक ही संघ [[कशेरुकी|कोर्डेटा]] में रखा जाता है, जबकि कई अन्य रूपों को अलग कर दिया गया है.
 
उपरोक्त सूची समूह के बारे में हमारे वर्तमान ज्ञान या समझ का प्रतिनिधित्व करती है, हालांकि अलग अलग स्रोतों में कुछ विविधता होती है.
 
== यह भी देखें ==
पंक्ति 273:
=== ग्रन्थसूची ===
 
* क्लाउस नील्सन . एनीमल एवोल्यूशन: इंटर रिलेशनशिप ऑफ़ दी लिविंग फ़ाइला (दूसरा संस्करण).[[ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस|ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस]], 2001.
* नुट श्मिड्ट-नील्सन. ''एनीमल फिलोसोफी: अडेपटेशन एंड एनवायरनमेंट'' . (5 वां संस्करण).[[कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय प्रेस.|कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस]], 1997.
 
== बाहरी संबंध ==
{{sisterlinks|Animalia}}
* [http://tolweb.org/ ट्री ऑफ़ लाइफ परियोजना]
* [http://animaldiversity.ummz.umich.edu/site/index.html पशु विविधता वेब] -- [[मिशिगन विश्वविद्यालय]] का जंतुओं का डेटाबेस, जो वर्गों के अनुसार वर्गीकरण, छवियों और अन्य जानकारी को दर्शाता है.
* [http://www.arkive.org ARKive] -विश्व की विलुप्तप्रायः / संरक्षित प्रजातियों का मल्टीमीडिया डेटाबेस और यू. के. की आम प्रजातियां.
* [http://www.sciam.com/article.cfm?chanID=sa006&amp;articleID=000DC8B8-EA15-137C-AA1583414B7F0000 अमेरिकी वैज्ञानिक पत्रिका (दिसम्बर 2005 का अंक) - गेटिंग अ लेग अप ओन लैण्ड], मछलियों से चार पाद वाले जंतुओं तक का विकास.
* [http://siteslist.vkhoria.co.in/search/label/Animals जंतुओं पर साइटों की सूची.]