"लाख (लाह)": अवतरणों में अंतर

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'''लाख''', या '''लाह''' [[संस्कृत]] के ' लाक्षा ' शब्द से व्युत्पन्न समझा जाता है। संभवत: लाखों कीड़ों से उत्पन्न होने के कारण इसका नाम लाक्षा पड़ा था। प्रागैतिहासिक समय से भारत के लोगों को लाख का ज्ञान है।
 
== उपयोग ==
लाख के वे ही उपयोग हैं जो चपड़े के हैं। लाख के शोधन से, और एक विशेष रीति से [[चपड़ा]] तैयार होता है। चपड़ा बनाने से पहले लाख से लाख रंजक निकाल लिए जाते हैं। लाख ग्रामोफोन रेकार्ड बनाने में, विद्युत् यंत्रों में, पृथक्कारी के रूप में, वार्निश और पॉलिश बनाने में, विशेष प्रकार की सीमेंट और स्याही के बनाने में, शानचक्रों में चूर्ण के बाँधने के काम में, ठप्पा देने की लाख बनाने इत्यादि, अनेक कामों में प्रयुक्त होता है। भारत सरकार ने [[राँची]] के निकट नामकुम में लैक रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना की है, जिसमें लाख से संबंधित अनेक विषयों पर अनुसंधान कार्य हो रहे हैं। इस संस्था का उद्देश्य है उन्नत लाख उत्पन्न करना, लाख की पैदावर को बढ़ाना और लाख की खपत अधिक हो और निर्यात के लिए विदेशों की माँग पर निर्भर रहना न पड़े।
 
आज की लाख का उपयोग ठप्पा देने का चपड़ा बनाने, चूड़ियों और पालिशों के निर्माण, काठ के खिलौनों के रँगने और सोने चाँदी के आभूषणों में रिक्त स्थानों को भरने में होता है। लाख की उपयोगिता का कारण उसका ऐल्कोहॉल में घुलना, गरम करने पर सरलता से पिघलना, सतहों पर दृढ़ता से चिपकना, ठंडा होने पर कड़ा हो जाना और विद्युत् की अचालकता है। अधिकांश कार्बनिक विलयकों का यह प्रतिरोधक होता है और अमोनिया तथा सुहागा सदृश दुर्बल क्षारों के विलयन में इसमें बंधन गुण आ जाता है।
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19वीं शताब्दी तक लाख का महत्व लाख रंजकों के कारण था, पर सस्ते संश्लिष्ट रंजकों के निर्माण से लाख रंजक का महत्व कम हो गया। मनोरम आभा, विशेषकर रेशम के वस्त्रों में, उत्पन्न करने की दृष्टि से लाख रंजक आज भी सर्वोत्कृष्ट समझा जाता है, पर महँगा होने के कारण न अब बनता है और न बिकता है। आज लाख का महत्व उसमें उपस्थित रेज़िन के कारण है, किंतु अब सैकड़ों सस्ते रेज़िनों का संश्लेषण हो गया है और ये बड़े पैमाने पर बिकते हैं। किसी एक संश्लिष्ट रेज़िन में वे सब गुण नहीं हैं जो लाख रेज़िन में हैं। इससे लाख रेज़िन की अब भी माँग है, पर कब तक यह माँग बनी रहेगी, यह कहना कठिन है। कुछ लोगों का विचार है कि इसका भविष्य तब तक उज्वल नहीं है जब तक इसका उत्पादनखर्च पर्याप्त कम न हो जाए। लाख में एक प्रकार का मोम भी रहता है, जिसे लाख मोम कहते हैं।
 
== इतिहास ==
[[महाभारत]] में लाक्षागृह का उल्लेख है, जिसको कौरवों ने पांडवों के आवास के लिए बनवाया था। कौरवें का इरादा लाक्षागृह में आग लगाकर पांडवों को जलाकर मार डालने का था। ग्रास्या द आर्टा (Gracia de Orta, 1563 ई) में भारत में लाख रंजक और लाख रेज़िन के उपयोग का उल्लेख किया है। आइन-ए-अकबरी (1590 ई.) में भी लाख की बनी वार्निश का वर्णन है, जो उस समय चीजों को रँगने में प्रयुक्त होती थी। टावन्र्यें (Tavernier) ने अपने यात्रावृतांत (1676 ई.) में लाख रंजक का, जो छींट की छपाई में, और लाख रेज़िन का, जो ठप्पा देने की लाख में और पालिश निर्माण में प्रयुक्त होता था, उल्लेख किया है।
 
== उत्पादन ==
लाख, कीटों से उत्पन्न होता है। कीटों को लाख कीट, या लैसिफर लाक्का (Laccifer lacca) कहते हैं। यह कॉक्सिडी (Coccidae) कुल का कीट है। यह उसी गण के अंतर्गत आता है जिस गण का कीट खटमल है। लाख कीट कुछ पेड़ों पर पनपता है, जो भारत, बर्मा, इंडोनेशिया तथा थाइलैंड में उपजते हैं। एक समय लाख का उत्पादन केवल भारत और बर्मा में होता था। पर अब इंडोनेशिया तथा थाइलैंड में भी लाख उपजाया जाता है और बाह्य देशों, विशेषत: यूरोप एवं अमरीका, को भेजा जाता है।
 
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लाख की दो फसलें होती हैं। एक को कतकी-अगहनी कहते हैं तथा दूसरी को बैसाखी-जेठवीं कहते हैं। कार्तिक, अगहन, बैशाख तथा जेठ मासों में कच्ची लाख एकत्र किए जाने के कारण फसलों के उपर्युक्त नाम पड़े हैं। जून-जुलाई में कतकी-अगहनी की फसल के लिए और अक्टूबर नवंबर में बैसाखी-जेठवी फसलों के लिए लाख बीज बैठाए जाते हैं। एक पेड़ के लिए लाख बीज दो सेर से दस सेर तक लगता है और कच्चा लाख बीज से ढाई गुना से लेकर तीन गुना तक प्राप्त होता है। अगहनी और जेठवी फसलों से प्राप्त कच्चे लाख को "कुसुमी लाख" तथा कार्तिक एवं बैसाख की फसलों से प्राप्त कच्चे लाख को "रंगीनी लाख" कहते हैं। अधिक लाख रंगीनी लाख से प्राप्त होती है, यद्यपि कुसमी लाख से प्राप्त लाख उत्कृष्ट कोटि की होती है। लाख की फसल "एरी" हो सकती है, या "फुंकी"। कीटों के पोआ छोड़ने के पहले यदि लाखवाली टहनी काटकर उससे लाख प्राप्त की जाती है, तो उस लाख को "एरी" लाख कहते हैं। एरी लाख में कुछ जीवित कीट, परिपक्व या अपरिपक्व अवस्थाओं में, रहते हैं। कीटों के पोआ छोड़ने के बाद जो टहनी काटी जाती है, उससे प्राप्त लाख को "फुंकी" लाख कहते हैं। फुंकी लाख में लाख के अतिरिक्त मृत मादा कीटों के अवशेष भी रहते हैं।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.sasionline.org/arthzoo/deslac.htm Picture of lac insect]
* [http://banglapedia.search.com.bd/Images/L_0005A.JPG Drawing of insect, its larva and a colony]
* http://www.szgdocent.org/resource/ff/f-arth3a.htm
* http://www.beadnshop.com/lac-kashmiri-beads/ Beads and other products produced with the help of lac. Manufacturing process and information on site.
* http://www.jatropha.de/ The Jatropha Website, for production in [[Mexico]]
 
[[श्रेणी:प्राकृतिक रंजक]]