"गण्डकी नदी": अवतरणों में अंतर
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'''बड़ी गंडक''' या केवल '''गंडक''' [[हिमालय]] से निकलकर दक्षिण-पश्चिम बहती हुई [[भारत]] में प्रवेश करनेवाली [[नदी]] है। [[नेपाल]] में इसे 'सालग्रामी' तथा [[उत्तर प्रदेश]] में नारायणी और सप्तगंडकी कहते हैं। यह ग्रीस के भूगोलबेत्ताओं की कोंडोचेट्स (Kondochates) तथा महाकाव्यों में उल्लिखित सदानीरा है। त्रिवेणी पर्वत के पहले इसमें एक सहायक नदी [[त्रिशूलगंगा]] मिलती है। गंडक नदी काफी दूर तक उत्तर प्रदेश तथा [[बिहार]] राज्यों के बीच सीमा निर्धारित करती है। इसकी सीमा पर उत्तर प्रदेश का केवल गोरखपुर जिला पड़ता है। बिहार में यह [[चंपारन]], [[सारन]] और [[मुजफ्फरपुर]] जिलों से होकर बहती हुई 192 मील के मार्ग के बाद [[पटना]] के संमुख [[गंगा]] में पर मिल जाती है।
विगलित हिम द्वारा वर्ष भर पानी मिलते रहने से यह सदावाही बनी रहती है। वर्षा ऋतु में इसकी बाढ़ समीपवर्ती मैदानों को खतरे में डाल देती है क्योंकि उस समय इसका पाट 2-3 मील चौड़ा हो जाता है। बाढ़ से बचने के लिए इसके किनारे बाँध बनाए गए हैं। यह नदी मार्ग-परिवर्तन के लिए भी प्रसिद्ध है। इस नदी द्वारा नेपाल तथा [[गोरखपुर]] के जंगलों से लकड़ी के लट्ठों का तैरता हुआ गट्ठा निचले भागों में लाया जाता है और उसी मार्ग से अनाज और चीनी भेजी जाती है। त्रिवेणी तथा सारन जिले की नहरें इससे निकाली गई हैं जिसे चंपारन और सारन जिले में सिंचाई होती है।
[[बूढ़ी गंडक]] या सिकराना इस नदी की प्राचीन धारा है जो [[मुंगेर]] के संमुख गंगा में मिलती है।
[[श्रेणी:नदी]]
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