"बन्द जलसम्भर": अवतरणों में अंतर

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[[Imageचित्र:Uureg Nuur.jpg|thumb|right|200px|[[मंगोलिया]] का एक बंद जलसंभर जहाँ सारा बहता जल समुद्र की बजाय उएउएरेग नूर झील में आकर ठहर जाता है]]
'''बंद जलसंभर''' या '''समावृत जलसंभर''' [[भूगोल]] में ऐसे [[जलसंभर]] क्षेत्र को कहा जाता है जिसमें वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी एकत्रित हो कर किसी [[नदी]] के ज़रिये [[समुद्र]] या [[महासागर]] में बहने की बजाय किसी सरोवर, दलदली क्षेत्र या शुष्क क्षेत्र में जाकर वहीँ रुक जाता है।<ref>{{cite web|author=|year=|url=http://www.britannica.com/eb/topic-187043/endorheic-system|title=Drainage systems|publisher=Encyclopedia Britannica|accessdate=2008-02-11}}</ref> आम तौर पर जो भी पानी धरती पर बारिश या हिमपात के कारण पड़ता है वो नदियों, नेहरों और झरनों के द्वारा ऊंचे इलाकों से निचले इलाकों की ओर बहता है। यह चलते पानी के समूह एक-दुसरे से संगम करते रहते हैं जब तक के एक ही बड़ी नदी न बन जाए। फिर यह नदी आगे चलकर किसी सागर में मिल जाती है। लेकिन जो क्षेत्र सागरों से ढलान, पहाड़ों या रेगिस्तानों की वजह से पृथक हैं वहाँ पर पानी सब से निचले स्थान पर पहुँच कर रुक जाता है। ऐसे स्थानों पर या तो झीलें बन जाती हैं या धरती पानी को सोख लेती है। दुनिया की सब से बड़ी झीलों में ऐसे ही बंद जलसंभारों की वजह से बनी हुई कुछ झीलें हैं, जैसे की [[अरल सागर]] और [[कैस्पियन सागर]]।<ref name=unitednation>{{cite web|author=|year=|url=http://www.unep.or.jp/ietc/publications/short_series/lakereservoirs-2/10.asp|title=Endorheic Lakes: Waterbodies That Don't Flow to the Sea|publisher=United Nations Environment Programme|accessdate=2008-02-11}}</ref>
 
== अन्य भाषों में ==
[[अंग्रेज़ी]] में बंद जलसंभर को "एनडोरहेइक बेसिन" (endorheic basin) कहा जाता है।
 
== बंद जलसंभर और मरुस्थल ==
[[Fileचित्र:Aral Sea 1989-2008.jpg|thumb|right|200px|बांधों और सिंचाई की नहरों के बनने से [[अरल सागर]] में १९८९ से लेकर २००८ तक भयंकर सिकुड़न हो गई]]
भौगोलिक दृष्टि से ऐसा देखा जाता है के बंद जलसंभर वाले क्षेत्र प्रायः रेगिस्तानी क्षेत्र भी होते हैं। ऐसा इसलिए है के अगर पानी एक ही स्थान पर इक्कठा होने से उसकी मात्रा बढ़ती ही जाए तो अंततः पानी अपने और समुद्र के बीच की रूकावट को पराजित कर ही देता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है के [[कृष्ण सागर]] किसी समय पर ऐसी ही एक बंद जलसंभर की झील थी जो पानी बढ़ने से अपनी सीमाओं को तोड़कर [[भूमध्य सागर]] से जा मिली।
 
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कभी-कभी बंद जलसंभारों की झीलों का आकार मौसम के साथ बदलते पानी के बहाव के साथ-साथ बदलता रहता है। यह झीलें सूखे मौसम में सिकुड़ जाती हैं और बारिशों या हिमपात की वजह से बढ़ जाती हैं। कभी-कभी जब पानी कम होता है तो एक झील कई छोटी झीलों में बट जाती है और फिर बारिशों के बाद पानी बढ़ने पर मिलकर फिर एक बड़ी झील बन जाती है। अगर किसी क्षेत्र में आर्थिक विकास के साथ पानी रोकने वाले बाँध या सिंचाई के लिए नहरें बना दी जाएँ जो बंद जलसंभर झीलों में पानी का बहाव कम कर दें, तो अक्सर यह झीलें सिकुड़ कर बहुत छोटी हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में उन आबादियों पर बहुत ख़राब असर पड़ता है जो अपने व्यवसाय या जीवन के लिए इन झीलों पर निर्भर हों। ऐसा ही कुछ मध्य एशिया के अरल सागर के साथ हुआ है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[जलसंभर]]
* [[नमक का मैदान]]
* [[अरल सागर]]
* [[कैस्पियन सागर]]
* [[कृष्ण सागर]]
* [[सांभर झील]]
 
== सन्दर्भ ==
{{reflist}}
 
 
 
[[श्रेणी:भूगोल]]