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[[Fileचित्र:NWFP Bannu.svg|thumb|230px|[[ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा]] प्रांत में बन्नू ज़िला (लाल रंग में)]]
[[Fileचित्र:People in the streets of Bannu.jpg|thumb|230px|बन्नू शहर का एक दृश्य]]
[[Fileचित्र:Bannu, Pakistan.jpg|thumb|230px|बन्नू शहर में]]
'''बन्नू''' (<small>[[उर्दू]] और [[पश्तो]]: {{Nastaliq|ur|بنوں}}, [[अंग्रेज़ी]]: Bannu</small>) [[पाकिस्तान]] के [[ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा]] प्रांत का एक ज़िला है। यह [[करक ज़िले]] के दक्षिण में, [[लक्की मरवत ज़िले]] के उत्तर में और उत्तर वज़ीरिस्तान नामक क़बाइली क्षेत्र के पूर्व में स्थित है। इस ज़िले के मुख्य शहर का नाम भी बन्नू है। यहाँ बहुत-सी शुष्क पहाड़ियाँ हैं हालांकि वैसे इस ज़िले में बहुत हरियाली दिखाई देती है और यहाँ की धरती बहुत उपजाऊ है। [[ब्रिटिश राज]] के ज़माने में यहाँ के क़ुदरती सौन्दर्य से प्रभावित होकर बन्नू की 'स्वर्ग' से तुलना भी की जाती थी।
 
== विवरण ==
बन्नू ज़िले में सन् १९९८ में ६,७७,३४६ लोगों कि आबादी थी। इसका क्षेत्रफल क़रीब १,२२७ वर्ग किमी है। यहाँ पानी मुख्य तौर पर वज़ीरिस्तान की पहाड़ियों से उत्पन्न होने वाली [[कुर्रम नदी]] और गम्बीला नदी (उर्फ़ टोची नदी) से आता है। बन्नू पहाड़ी इलाक़ा है जिसके बीच में १०० किमी लम्बी और ६० किमी चौड़ी बन्नू वादी विस्तृत है। कुर्रम नदी ज़िले के पश्चिमोत्तर कोने से ज़िले में दाख़िल होकर पहले तो दक्षिण-पूर्व और फिर मुड़कर सीधा दक्षिण की ओर चलकर [[लक्की मरवत ज़िले]] में निकल जाती है। टोची नदी (जिसे गम्बीला नदी भी कहते हैं) कुर्रम से ६ किमी दक्षिण पर ज़िले में आती है और फिर वह भी कुर्रम के बराबर चलकर लक्की मरवत में चली जाती है, जहाँ कुर्रम में मिल जाती है। इन दोनों नदियों के बीच का दोआब ही बन्नू ज़िले का सब से उपजाऊ क्षेत्र है।
 
== इतिहास ==
[[संस्कृत]] के प्रसिद्ध [[वैयाकरण]] [[पाणिनि]] ने सब से पहले चौथी शताब्दी ईसापूर्व में बन्नू का ज़िक्र किया था और उसका प्राचीन नाम 'वरनु' बताया था। सातवीं सदी ईसवी में [[भारतीय उपमहाद्वीप]] आये चीनी धर्मयात्री [[ह्वेन त्सांग]] ने भी बन्नू का दौरा किया और वर्तमान [[अफ़्ग़ानिस्तान]] में स्थित ग़ज़नी की नगरी तक गए। [[पारसी धर्म|पारसी]] धर्मग्रन्थ [[अवेस्ता]] में भी बन्नू को 'वरन' के नाम से बुलाया गया और कहा गया की [[अहुर मज़्द]] (यानि परमात्मा) द्वारा दुनिया में बनाए गए १६ सर्वोताम जगहों में से यह एक है। इतिहासकारों को बन्नू के अकरा नामक क्षेत्र में मौजूद टीलों में अतिप्राचीन [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] के अवशेष मिले हैं और [[मध्य एशिया]] से आये बहुत से हमलावरों द्वारा छोड़े गए तरह-तरह के चिह्न भी प्राप्त हुए हैं।
 
जब [[पंजाब]] से [[महाराजा रणजीत सिंह|सिख साम्राज्य]] फैला तो बन्नू ज़िला भी उसका भाग बन गया, हालांकि यह एक [[पश्तून]] इलाक़ा है। जब अंग्रेज़ों ने पंजाब को [[ब्रिटिश राज]] का हिस्सा बनाया, तो बन्नू भी उसमें शामिल किया गया। यहाँ के फ़ौजी अड्डों से सेना की टुकड़ियां अक्सर टोची घाटी और वज़ीरिस्तान के क़बाइली क्षेत्रों में समय-समय पर क़ाबू पाने के लिए भेजी जाती थीं। ब्रिटिश ज़माने में ही फ़ौज के प्रयोग के लिए डेरा ग़ाज़ी ख़ान से बन्नू तक एक सड़क तैयार की गई।
 
== लोग ==
यहाँ के लोग [[पठान]] या पंजाबी हैं और इस पूरे क्षेत्र में [[पश्तो]] और [[हिन्दको भाषा|हिन्दको]] (एक [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]] उपभाषा) बोली जाती है। यहाँ के मुख्य समुदाय इस प्रकार हैं<ref>[http://www.khyber.org/publications/031-035/bannuhistory.shtml "History and Settlement of Bannu, Excerpts from Gazetteer of the Bannu District, 1887", Khyber.org]</ref> -
* बनीज़ी - यह पश्तून लोग लड़ाके और स्वतंत्रता-पसंद बताए जाते हैं और शुरू से ही अफ़्ग़ान, सिख और अंग्रेज़ी सभी साम्राज्यों के विरुद्ध लड़ते रहते थे।
* वज़ीरी - यह लोग बन्नू घाटी में पहाड़ों से बाद में आये। बनीज़ीयों के मुक़ाबले में यह शांतिप्रीय हैं और खेती में लगे हुए हैं।
* हिन्दकियों - यह हिन्दको बोलने वाले पंजाबी जाट हैं जो बन्नू आकर बस गए।
* ख़टक - यह एक पश्तून क़बीला है।
* भिटानी - यह एक छोटा पश्तून क़बीला है, जो डेरा ग़ाज़ी ख़ान के क्षेत्र में भी बसा हुआ है।
* मरवत - यह एक पश्तून क़बीला है जिसके नाम पर पड़ौसी [[लक्की मरवत ज़िले]] का नाम पड़ा।
* नियाज़ी - यह एक विस्तृत पश्तून क़बीला है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा]]
* [[पश्तो]]
* [[पेशावर]]
* [[सीमाई क्षेत्र बन्नू]]
 
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>