"वंश समूह": अवतरणों में अंतर

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[[आण्विक क्रम-विकास]] के अध्ययन में '''वंश समूह''' या '''हैपलोग्रुप''' ऐसे [[जीन]] के समूह को कहतें हैं जिनसे यह ज्ञात होता है के उस समूह को धारण करने वाले सभी प्राणियों का एक ही पूर्वज था।
 
== पितृवंश समूह और मातृवंश समूह ==
हर मनुष्य में जीनों का [[डी॰एन॰ए॰]] [[गुण सूत्रों]] में होता है और माता और पिता दोनों से मिले हुए डी॰एन॰ए॰ का मिश्रण होता है। लेकिन मनुष्य के दो स्थान का डी॰एन॰ए॰ मिश्रित नहीं होता। पहला, स्त्री और पुरुषों दोनों में [[माइटोकांड्रिया]] का डी॰एन॰ए॰ केवल उनकी माता से आता है। दूसरा, केवल पुरुषों में उनके [[वाए गुण सूत्र]] (Y-क्रोमोज़ोम) का डी॰एन॰ए॰ केवल उनके पिता से आता है (स्त्रियों में वाए गुण सूत्र नहीं होता)। माइटोकांड्रिया और वाए गुण सूत्र के डी॰एन॰ए॰ में दसियों हज़ारों साल तक कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होता और पूरी मनुष्य जाती का माइटोकांड्रिया और वाए गुण सूत्र के डी॰एन॰ए॰ के आधार पर पितृवंश समूहों में और मातृवंश समूहों में वर्गीकरण किया जा सकता है। अगर दो व्यक्तियों (स्त्री या पुरुष) का एक ही मातृवंश समूह है तो कहा जा सकता है के इन दोनों की माताएं हज़ारों साल पूर्व जीवित किसी एक ही महिला की संतति हैं। अगर किसी दो पुरुषों का एक ही पितृवंश समूह है तो कहा जा सकता है के इन दोनों के पिता हज़ारों साल पूर्व जीवित किसी एक ही पिता की संतति हैं। स्त्रियों का किसी पितृवंश समूह से सम्बन्ध नहीं होता क्योंकि स्त्रियों में वाए गुण सूत्र नहीं होता।
 
== वंश समूह उत्पत्ति और व्यक्तिगत इतिहास ==
[[Imageचित्र:2000px-Distribution Haplogroup J2 Y-DNA.jpg|255px|right|thumb|मध्य पूर्व में [[पितृवंश समूह जे२]] का फैलाव - आंकड़े बता रहे हैं की इन इलाकों के कितने प्रतिशत पुरुष इस पितृवंश के सदस्य हैं]]
आम तौर पर पिता से पुत्र तक वाए गुण सूत्र का डी॰एन॰ए॰ बिना किसी महत्वपूर्ण बदलाव के जाता है। लेकिन हज़ारों साल में कभी-कभार किसी पुरुष के इस डी॰एन॰ए॰ में ऐसा [[उत्परिवर्तन]] (या म्युटेशन) हो जाता है जिस से उसमें सरलता से पहचाने जाने वाले चिन्ह आ जाते हैं। ऐसा लगभग नामुमकिन है कि दो पुरुषों में एक जैसा उत्परिवर्तन हो (जिस तरह से यह लगभग नामुमकिन है के दो बच्चों के अंगूठे के निशान एक जैसे ही विकसित हो जाएँ)। आने वाली पीढ़ियों में जिस भी पुरुष में यह चिन्ह होगा उसके बारे में यह कहा जा सकता है के वह उसी पहले उत्परिवर्तित पुरुष का वंशज है। यह कहा जा सकता है कि इस पुरुष ने अपना नया पितृवंश समूह स्थापित कर लिया है। यह भी देखा जाता है के किसी उत्परिवर्तित पुरुष के वंश में हज़ारों वर्ष बाद किसी वंशज पुरुष में एक और नया उत्परिवर्तन हो जाये जिस से स्वयं उसके अपने उपवंशाजों को आसानी से पहचाना जा सके (यानि अब इस दुसरे पुरुष का भी अपना नया पितृवंश समूह स्थापित हो गया है)। अब इस दुसरे पुरुष के आगे चलकर जो वंशज होंगे उनमें पहले पुरुष के उत्परिवर्तन के भी चिन्ह होंगे और दुसरे पुरुष के उत्परिवर्तन के भी। यह भी देखा जा सकता है के दुसरे पितृवंश समूह के सदस्य पहले पितृवंश समूह के उपवंशज हैं। मिसाल के तौर पर [[पितृवंश समूह आर१ए]] के सदस्य [[पितृवंश समूह आर]] के उपवंशज हैं, और [[पितृवंश समूह आर]] के सदस्य स्वयं [[पितृवंश समूह पी]] के उपवंशज हैं।
 
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ठीक इसी तरह मातृवंश समूहों का भी वृक्ष होता है और किसी भी पुरुष या महिला को उनका माइटोकांड्रिया का डी॰एन॰ए॰ जाँचकर बताया जा सकता है के उनकी पूर्वज माताएँ कौनसे युगों में कौनसे भिन्न स्थानों पर बसी हुई थीं।
 
== अन्य भाषाओँ में ==
[[अंग्रेज़ी]] में "वंश समूह" को "हैपलोग्रुप" (haplogroup), "पितृवंश समूह" को "वाए क्रोमोज़ोम हैपलोग्रुप" (Y-chromosome haplogroup) और "मातृवंश समूह" को "एम॰टी॰डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप" (mtDNA haplogroup) कहते हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[मनुष्य पितृवंश समूह]]
* [[मनुष्य मातृवंश समूह]]
* [[पितृवंश समूह आर१ए]]
* [[डी॰एन॰ए॰]]
* [[गुण सूत्र]]
 
[[श्रेणी:वंश समूह]]