"फ्लोरीन": अवतरणों में अंतर

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तरस्विनी का निर्माण मॉयसाँ विधि द्वारा किया जाता है। [[महातु]] [[घनातु]] मिश्रधातु का बना यू (U) के आकार का विद्युत्‌ अपघटनी [[कोशिका]] लिया जाता है, जिसके विद्युदग्र भी इसी मिश्रधातु के बने रहते हैं। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल में [[दहातु]] तरस्विनिक (फ्लुओराइड) विलयित कर - 23° सें. पर सेल में अपघटन करने से धनाग्र पर तरस्विनी मुक्त होगी। मुक्त तरस्विनी को विशुद्ध करने के हेतु प्लैटिनम के ठंडे बरतन तथा क्षारातु तरस्विनिक (फ्लुओराइड) की नलिकाओं द्वारा प्रवाहित किया जाता है।
 
== गुण ==
तरस्विनी के कुछ भौतिक गुण निम्नांकित हैं :
 
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हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल अथवा उदजन तरस्विनिक (हाइड्रोजन फ्लुओराइड) (उ.त)(HF) अथवा (उ2त2) (H2F2) अत्यंत विषैला पदार्थ है इसका विशुद्ध यौगिक विद्युत्‌ का [[कुचालक]] है। इसका जलीय विलयन तीव्र आम्लिक गुण युक्त होता है। यह [[काच]] पर क्रिया कर सैकता तरस्विनिक (सिलिकन फ्लुओराइड) बनाता है। इस गुण के कारण इसका उपयोग काच पर निशान बनाने में होता है। हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल के लवण तरस्विनिक (फ्लुओराइड) कहलाते हैं। कुछ तरस्विनिक जल में विलेय होते हैं।
 
== उपयोग ==
तरस्विनी का उपयोग कीटमारक के रूप में होता है। इसके कुछ यौगिक, जैसे किरणात तरस्विनिक (यूरेनियम फ्लुओराइड), परमाणु ऊर्जा प्रयोगों में प्रयुक्त होते हैं। तरस्विनी के अनेक कार्बनिक यौगिक प्रशीतन उद्योग तथा प्लास्टिक उद्योग में काम आते हैं।