"वसा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो Robot: Adding gu:ચરબી |
छो Bot: अंगराग परिवर्तन |
||
पंक्ति 1:
{{आज का आलेख}}
[[चित्र:Trimyristin-3D-vdW.png|thumb|200px|एक ट्राईग्लीसराइड अणु]]
'''वसा''' अर्थात चिकनाई [[शरीर]] को क्रियाशील बनाए रखने मे सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह [[मांस]] तथा [[वनस्पति]] समूह दोनो प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यो के लिए [[शक्ति]] प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक [[ईंधन]] भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए १०० ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना अति आवश्यक माना जाता है। इसको पचाने में शरीर को कफ़ी समय लगता है। यह शरीर मे [[प्रोटीन]] की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है। वसा का शरीर मे अत्यधिक मात्रा मे बढ जाना उचित नही होता है। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा मे ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है, यह ध्यान योग्य है। यह आमाशय की गतिशीलता मे कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। चिकनाई कम हो जाने से रोगो का मुकाबला
== प्रकार ==
खाद्य पदार्थों में की प्रकार की वसा होती है। इनमें से प्रमुख तीन प्रकार की होती हैं, संतृप्त (सैच्युरेटेड), एकलअसंतृप्त (मोनो अनसेचुरेटेड) और बहुअसंतृप्त (पॉली अनसेचुरेटेड)।<ref>[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/tips/67-77-73373.html कुकिंग ऑयल]।</ref>
=== संतृप्त वसा ===
संतृप्त वसा नुकसानदेह [[एलडीएल]] [[कोलेस्ट्रॉल]] बढ़ाती है, इसे सीमित मात्र में ही लेना चाहिए। मक्खन, शुद्ध घी, वनस्पति घी, नारियल और ताड़ का तेल संतृप्त वसा के प्रमुख भंडार हैं। ठोस नजर आने वाले हाइड्रोजिनेटिड वनस्पति घी में ट्रांस-फैट एसिड होते हैं। ये भी नुकसानदेह होते हैं।
=== असंतृप्त वसा ===
असंतृप्त वसा कोलेस्ट्रॉल के [[एचडीएल]] अंश बढ़ाती है। यह सीमित मात्र में ठीक कही जा सकती है।
प्रायः भोजन में एकलअसंतृप्त वसा और बहुअसंतृप्त वसा समान मात्र में हो तो ठीक रहता है। एलडिएल कोलेस्ट्रॉल घटाना हेतु, संतृप्त वसा कम कर दें और एकलअसंतृप्त वसा बढ़ा दें। एकलअसंतृप्त वसा के प्रमुख स्रोत मूंगफली, सरसों और जैतून के तेल हैं, जबकि करडी, सूरजमुखी, सोयाबीन और मकई के तेलों में बहुअसंतृप्त वसा अधिक होती है। कुछ पकवान एक प्रकार के और कुछ अन्य तेलों में बनाने चाहिये। इससे एकलअसंतृप्त और बहु-असंतृप्त वसा दोनों की पूर्ति होती रहती है।
पंक्ति 14:
दिन में कुल १५-२० ग्राम खाना पकाने का तेल ही प्रयोग करना चाहिये। वसा की शेष दैनिक जरूरत अनाज, दालों और सब्जियों से पूरी हो जाती है। बादाम, काजू और मूंगफली तथा दूध, पनीर और क्रीम में भी वसा प्रचुर मात्र में होती है।वसा वाले वनस्पति तेल में बने पकवान भी बार-बार गरम किए जाएं तो ये नुकसानदेह होते हैं। अच्छी सेहत के लिए व्यंजनों को तलें नहीं, बल्कि उन रेसिपी पर जोर दें जिनमें पकवान स्टीम, बेक या ग्रिल करके बनते हैं।
== सारणी ==
{| class="wikitable"
|-
पंक्ति 113:
|}
== सारणी ==
{| class="wikitable"
|-
पंक्ति 280:
|}
== संदर्भ ==
<references />
== बाहरी सूत्र ==
[[श्रेणी:पोषण]]
|