"वसुबन्धु": अवतरणों में अंतर
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वसुबन्धु पहले [[हीनयान|हीनयानी]] वैभाषिकवेत्ता थे, बाद में असंग की प्रेरणा से इन्होंने [[महायान]] मत स्वीकार किया था। योगाचार के सिद्धांतों पर इनके अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथ प्रसिद्ध हैं। ये उच्चकोटि की प्रतिभा से संपन्न महान नैयायिक थे। "तर्कशास्त्र" नामक इनका ग्रंथ बौद्ध न्याय का बेजोड़ ग्रंथ माना जाता है। अपने जीवन का लंबा भाग इन्होंने शाकल, [[कौशांबी]] और [[अयोध्या]] में बिताया था। ये [[कुमारगुप्त]], [[स्कंदगुप्त]] और [[बालादित्य]] के समकालिक थे। 490 ई. के लगभग 80 वर्ष की अवस्था में इनका देहांत हुआ था।
== इन्हें भी देखें ==
* [[न्याय (बौद्ध)|बौद्ध न्यायदर्शन]]
* [[भारतीय नैयायिक]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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