"वाजिद अली शाह": अवतरणों में अंतर

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| name =वाजिद अली शाह
| title = [[औध]] के [[राजा]]
| image =[[Imageचित्र:washah1.jpg|200px]]
| caption =
| reign =१३ फरवरी , १८४७ - ७ फरवरी , १८५६
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| mother =
| date of birth =३० जुलाई १८२२
| place of birth =[[लखनऊ ]] ,[[भारत]]
| date of death =०१ सितम्बर १८८७
| place of death =[[कोलकाता]], [[भारत]]
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संगीत की दुनिया में नवाब वाजिद अली शाह का नाम अविस्मरणीय है। ये 'ठुमरी' इस संगीत विधा के जन्मदाता के रूप में जाने जाते हैं। इनके दरबार में हर दिन संगीत का जलसा हुआ करता था। इनके समय में ठुमरी को कत्थक नृत्य के साथ गाया जाता था। इन्होने कई बेहतरीन ठुमरियां रची। कहा जाता है कि जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया और नवाब वाजिद अली शाह को देश निकाला दे दिया, तब उन्होने 'बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय्' यह प्रसिध्ह ठुमरी गाते हुए अपनी रैयत से अलविदा कहा।
 
== कलाओं से संबंध ==
[[शास्त्रीय नृ्त्य]] [[कथक]] का वाजिद अली शाह के दरबार में विशेष विकास हुआ।<ref>http://www.nadsadhna.com/pages/IndianMusic/Dance.asp?About=Gharanas</ref> [[गुलाबों सिताबों]] नामक विशिष्ट [[कठपुतली]] शैली जो कि वाजिद अली शाह के [[जीवनी]] पर आधारित है, का विकास प्रमुख आंगिक दृश्य कला रूप में हुआ।
 
== सन्दर्भ ==
{{reflist}}
{{आधार}}
{{अवध के नवाब}}
wajidalishah ne jis tatparatq
 
[[श्रेणी:लखनऊ के नवाब]]
 
[[en:Wajid Ali Shah]]
[[ur:واجد علی شاہ]]
 
wajidalishah ne jis tatparatq