"वानर": अवतरणों में अंतर

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:''यह लेख रामायण में मिलने वाली जाति के बारे में है, यदि आप आधुनिक जीव-विज्ञान के वानरों को खोज रहें हैं तो [[कपि]] का लेख देखें
[[Fileचित्र:Hanuman in Terra Cotta.jpg|thumb|[[हनुमान]], द्रोणगिरि पर्वत उठाते हुए]]
'''वानर''' [[हिन्दू]] गाथा [[रामायण]] में वर्णित [[मानवनुमा]] [[कपियों]] की एक जाति थी जिसके सदस्य साहस, शक्ति, बुद्धि और जिज्ञासा के गुण रखते थे।
 
== मूल ==
 
वानर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - १. वन २. नर ।
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इसका शाब्दिक अर्थ होता है - "वन मैं रहने वाला नर"। यानि जो प्राणी वन में रहते हैं उन्हें वानर कहते हैं। इसी तथ्य के आधार पर [[महात्मा रामचन्द्र वीर]] ने हनुमान जी की जाति वानर बतायी है और इसी आधार पर राजस्थान के [[विराटनगर]] मे नर स्वरुप मे हनुमान जी की मुर्ति वज्रांग मन्दिर मे स्थापित की है। यह मन्दिर पुरे भारतवर्ष मे हनुमान जी के अन्य मन्दिरो से अलग है।
 
== अन्य अर्थ ==
"वानर" शब्द का अर्थ कभी-कभी सीधा "बन्दर" भी निकला जाता है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[रामायण]]
* [[कपि]]
* [[मानवनुमा]]
 
[[श्रेणी:रामायण]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/वानर" से प्राप्त