"मदर इण्डिया": अवतरणों में अंतर

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| music = नौशाद
| writer =महबूब खान<br />वजाहत मिर्ज़ा<br />एस अली रज़ा
| starring = [[नर्गिस]]<br />[[सुनील दत्त]]<br />[[बलराज साहनी]]<br />[[राजेन्द्र कुमार]]<br />[[राज कुमार]]<br />[[कन्हैया लाल]]<br />[[कुमकुम]]<br />चंचल<br />मुकरी<br />सिद्दीकी<br />गीता
| screenplay =
| editing = शमसुदीन कादरी
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* सुरेन्द्र - छोटा रामू
 
== विकास ==
=== कथा ===
फ़िल्म का शीर्षक अमरीकी लेखिका कैथरीन मायो द्वारा १९२७ में लिखित पुस्तक ''मदर इण्डिया'' से लिया गया है जिसमे उन्होंने भारतीय समाज, धर्म और संस्कृति पर हमला किया था। <ref>मृणालिनी सिन्हा:''Introduction.'' In: सिन्हा (ed.): ''सिलेक्शन फ्रॉम मदर इण्डिया।'' वुमेन्स प्रेस, नई दिल्ली 1998.</ref> पुस्तक में भारतीय स्वतंत्रता की मांग के विरोध में मायो ने भारतीय महिलाओं की दुर्दशा, अचुतों के प्रति भेद-भाव, जानवरों, धुल मिट्टी और राजनेताओं पर हमला किया था। मायो ने पुरे भारत में गुस्से का माहोल उत्पन्न कर दिया और उनकी पुस्तकों को उनके पुतले सहित जलाया गया।<ref>{{cite web|url=http://www.pabook.libraries.psu.edu/palitmap/bios/Mayo__Katherine.html |title=शोर्ट बायो (बाई कैथरीन फ्रिक) |publisher=Pabook.libraries.psu.edu |accessdate=15 जून 2011}}</ref> [[महात्मा गाँधी]] ने भी पुस्तक का विरोध किया और कहा की "यह गटर इंस्पेक्टर द्वारा लिखी गई कोई रिपोर्ट है"।<ref>{{cite web|url=http://www.lehigh.edu/~amsp/2006/02/teaching-journal-katherine-mayos.html |title=टीचिंग जर्नल: कैथरीन मायोस मदर इण्डिया (1927) |publisher=Lehigh.edu |date=7 फरवरी 2006 |accessdate=15 जून 2011}}</ref> इस पुस्तक के विरोध में पचास से अधिक पुस्तकें और चिट्ठियां प्रकाशित की गई जिसमें मायो की गलतियों और अमरीकी लोगों में भारत के प्रति गलत विचारों के इतिहास को दर्शाया गया।<ref>{{cite book|last=जयवार्देना |first=कुमारी |title=द वाईट वुमंस ऑदर बर्डन्: वेस्टर्ण वुमन ऐन्ड सौथ एशिया ड्युरिंग ब्रिटिश कॉलोनियल रुल |url=http://books.google.com/books?id=vJ9MCPdcGrsC&pg=PA99 |accessdate=23 फ़रवरी 2011 |year=1995 |publisher=रोत्लेज |isbn=978-0-415-91104-7 |page=99}}</ref>
 
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इस फ़िल्म की कहानी जानबूझ कर इस तरह लिखी गई जिससे भारतीय समाज में महिलाओं की स्तिथि, पुरषों के बढ़ते आकर्षण का विरोध और अपने स्वाभिमान पर दृढ़ निश्चय को दर्शाया गया। खान को प्रेरणा अमरीकी लेखक पर्ल एस. बक और उनकी ''द गुड अर्थ'' (१९३१) व ''द मदर'' (१९३४) पुस्तकों से मिली जिन्हें सिडनी फ्रेंकलिन ने १९३७ और १९४० में फ़िल्मों में रुपंतारित किया था।<ref name="Sinha248"/> खान ने इन सब चीज़ों को अपनी १९४० में बनी फ़िल्म ''औरत'' में प्रयोग किया था जो ''मदर इण्डिया'' की असली प्रेरणा थी।<ref>{{cite book|url=http://books.google.co.in/books?id=8y8vN9A14nkC |page=55 |title=इन्सैक्लोपिदिया ऑफ हिन्दी सिनेमा |author=गुलज़ार, गोविन्द निहलानी, सिबल चैटर्जी |publisher=पॉपुलर प्रकाशन |year=2003 |isbn=978-81-7991-066-5 |accessdate=23 फ़रवरी 2011}}</ref> खान ने संवेदनशील तरीके से कहानी पर कार्य किया और उन्हें डायलॉग लिखने में वजाहत मिर्ज़ा व एस. अली रज़ा ने मदद की। यह फ़िल्म आगे चलकर कई फ़िल्मों, जैसे [[यश चोपरा]] की ''[[दीवार]]'' फ़िल्म के लिए प्रेरणास्रोत रही जिसमे [[अमिताभ बच्चन]] ने उन्दा अभिनय किया था और बाद में जिसे [[तेलगु]] में ''बंगारू तल्ली'' (१९७१) और [[तमिल]] में ''पुनिया बूमी'' (१९७८) में बनाया गया।<ref name="Pauwels2007">{{cite book|last=पौवेल्स |first=हेइदी रिका मारिया |title=इंडियन लिटरेचर एंड पॉपुलर सिनेमा: रिकास्टिंग क्लासिक्स |url=http://books.google.com/books?id=LiXU4ihgMpgC&pg=PA178 |accessdate=23 फ़रवरी 2011 |year=2007 |publisher=रौत्लेज |isbn=978-0-415-44741-6 |page=178}}</ref>
 
=== चित्रीकरण ===
[[Fileचित्र:Mehboob Studio courtyard.jpg|thumb|right|महबूब स्टूडियो]]
फ़िल्म के कई अंदरूनी दृश्यों का चित्रीकरण बांद्रा, [[मुंबई|बोम्बे]] में स्थित महबूब स्टूडियो में १९५६ में किया गया। महबूब खान और छायाचित्रकार फरेफूं ईरानी ने कोशिश की कि ज़्यादा से ज़्यादा बाहरी दृश्यों को चित्रित किया जाए जिससे फ़िल्म वास्तविकता के करीब हो।<ref>चैटर्जी (2002), p.21</ref> अन्य दृश्य [[महाराष्ट्र]], [[गुजरात]] और [[उत्तरप्रदेश]] के कई शहरों में फिल्माए गए।<ref>{{cite web|url=http://www.mooviees.com/36286/locations |title=मदर इण्डिया (1957) |publisher=Mooviees.com |accessdate=23 फ़रवरी 2011}}</ref> महबूब ने आग्रह किया कि फ़िल्म ३४मिलीमीटर में चित्रित कि जाए।<ref name="Chatterjee21">चैटर्जी (2002), p.21</ref>
 
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}}
 
== नामांकन और पुरस्कार ==
 
== संधर्भ ==
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