"बारूद": अवतरणों में अंतर
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'''बारूद''' एक बिस्फोटक मिश्रण है। इसे ''गन पाउडर'' या काला बारूद (black powder) भी कहते हैं।
वर्तमान समय में बारूद को '''कमजोर विस्फोटक''' (low explosive) के रूप में जाना जाता है क्योंकि विस्फोट होने पर यह अपश्रव्य तरंगें (subsonic) पैदा करता है न कि पराश्रव्य तरंगें
वर्तमान समय में बारूद के मानक
== इतिहास ==
इसका आविष्कार कब हुआ, इसका ठीक ठीक पता नहीं लगता, पर ऐसा मालूम होता है कि ईसा के पूर्व काल में चीनियों को बारूद की जानकारी थी। [[रौजर बेकन]] (1214-1294) के लेखों में बारूद का उल्लेख मिलता है, पर प्रतीत होता है कि बारूद के प्रणोदक गुणों का उनको पता नहीं था1 बेकन के समय तक बारूद का एक आवश्यक अवयव शोरा शुद्ध रूप में प्राप्य नहीं था। 13वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के शस्त्रों में प्रक्षेप्य फेंकने में इसके प्रयोग का पता लगता है। बेकन ने जिस बारूद का उल्लेख किया है उसमें शोरा 41.2 और कोयला तथा गंधक प्रत्येक 29.4 प्रतिशत मात्रा में रहते थे। ऐसे बारूद की प्रबलता निकृष्ट कोटि की होती थी। बाद में बारूद के अवयवों में [[शोरा]], [[कोयला]] और [[गंधक]] का अनुपात क्रमश: 74.64,
बारूद में इन तीनों अवयवों का चूर्ण रहता है। यह चूर्ण प्रारंभ में हाथ में पीसकर बनाया जाता था, पर बाद में दलनेवाली मशीन का प्रयोग शुरू हुआ। ये मशीनें घोड़ों या पानी से चलती थीं। इनके स्थान पर बाद में '''स्टैंपिग मशीन''' का उपयोग शुरू हुआ, पर यह निरापद नहीं था। पहले जो चूर्ण बनते थे वे तीनों अवयवों के चूर्णों को मिलाकर बनते थे। ऐसे चूरे को तोपों में भली भाँति न तो बहुत कसा जा सकता था ओर न ढीला ही छोड़ा जा सकता था। इस कठिनता को दूर करने के लिए 15वीं शताब्दी में चूरे को दानेदार रूप में प्राप्त करने का प्रयत्न हुआ। चूरे में ऐलकोहल, या मूत्र, मिलाकर उसे दानेदार बनाया जाता था। मद्यसेवी का मूत्र इसके लिए सर्वश्रेष्ठ समझा जाता था। इससे बने दाने अधिक शक्तिशाली होते थे। दाने विभिन्न आकार के होते थे और चालकर उन्हें अलग अलग किया जाता था। बड़े दाने तोपों में और छोटे दाने बंदूकों में इस्तेमाल होते थे।
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पीछे अवयवों को शुद्ध रूप में प्राप्त कर उनसे बारूद बनाने में और उन्हें दानेदार बनाने में विशेष सुधार हुआ। अच्छा कोयला भी अब बनने लगा था। उसे भूरा या कोको कोयला कहते थे और यह राई (rye) नामक अनाज के पुआल से बनाया जाता था। पर एतदर्थ पुआल को पूरा पूरा तपाते नहीं थे। सामान्य बारूद में अवयवों का अनुपात निम्नलिखित रखते थे। शोरा 75 प्रतिशत, कोयला 15 प्रतिशत और गंधक 10 प्रतिशत। नए मिश्रण में इनकी आपेक्षिक मात्रा क्रमश: 80, 16, 3 रहती थी तथा एक भाग जल का भी रहता था। ऐसा बारूद बहुत सफल सिद्ध हुआ।
स्टैंपिंग मशीन के उपयोग में, जैसा ऊपर कहा गया है, खतरे का भय था। इसके स्थान में चक्र या ह्वील मिल (Wheel Mill) का प्रयोग शरू हुआ। आजकल भी चक्र या ह्वील मिल का उन्नत रूप ही प्रयुक्त होता है। इसमें एक क्षैतिज ईषा (shaft) रहती है, जो ऊर्ध्वाधर स्पिंडल (spindle) के घूमने से घूमती
== वाह्य सूत्र ==
* [http://www.silk-road.com/artl/gun.shtml बन्दूक और बारूद] (अंग्रेजी)
* [http://www.geocities.com/Athens/2430/gporigins.html The Origins of Gunpowder]
* [http://www.du.edu/~jcalvert/tech/cannon.htm Cannons and Gunpowder]
[[श्रेणी:विस्फोटक]]
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