"बालू महेंद्र": अवतरणों में अंतर

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'''बालानाथन "बालू" महेंद्रन''' {{lang-ta|பாலநாதன் மகேந்திரா}} ([[श्रीलंका|श्रीलंका]] के बैटिकालोआ में 20 मई, 1946 को जन्मे) एक [[भारत|भारतीय]] फिल्मकार, पटकथा लेखक और सिनेमैटोग्राफर हैं जिन्हें व्यापक तौर पर चेन्नई फिल्म उद्योग के उन निर्देशकों पटकथा लेखकों में शुमार किया जाता है जिन्होंने तमिल सिनेमा को पुनर्जीवन दिया. उन्होंने शुरू से ही [[छायाचित्र|फोटोग्राफी]] में प्रारंभिक रुचि विकसित कर ली.
 
वे एक छायांकन स्नातक और पुणे के [[भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान|एफटीआईआई (FTII)]] से स्वर्ण पदक विजेता थे. उन्होंने अपने फिल्म कैरियर की शुरूआत 1974 में एक मलयालम फिल्म ''नेल्लु'' के लिए कैमरामैन के रूप में किया, जिसने उन्हें भारत सरकार की ओर से सर्वश्रेष्ठ छायाकार का पुरस्कार दिलाया. उन्हें लगभग दस फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ छायाकार के रूप में चुना गया. उन्होंने दक्षिण भारत में रंग के लिए अभिनव कैमरा शैली का प्रवर्तन किया.<ref>http://www.hindu.com/2007/02/24/stories/2007022416720200.htm</ref>
 
== फिल्म कैरियर ==
एक निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म ''कोकिला'' थी, यह एक कन्नड़ फिल्म थी, जिसने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया. ''एज़्हीयाथा कोलंगल'' (1979)[[तमिल भाषा|तमिल]] में उनकी पहली निर्देशित फिल्म थी. उन्हें तमिल के कुछ फिल्म निर्माताओं में माना जाता है, जो दृश्य रूप में कहानी कह सकने की योग्यता रखते हैं. वे अपनी फिल्मों का पटकथा लिखते हैं, कैमरा संभालते हैं और स्वयं फिल्म का संपादन भी करते हैं, इस तरह अपनी रचनात्मक परिणामों पर उनका सही नियंत्रण रहता है.
 
कन्नड़ में फिल्म बनाने के पहले उन्होंने के.एस.सेतुमाधवन और पी.एन.मेनन जैसे निर्देशकों को लिए मुख्यत: [[मलयालम|मलयालम]] में काम किया एसके बाद वे सीधे तमिल और मलयालम भाषाओं की फित्मों के निर्देशन की ओर मुड़ गए.
 
उन्होंने हिन्दी में कमल हसन और [[श्री देवी|श्रीदेवी]] के साथ ''सदमा'' फिल्म बनायी जो उनकी अपनी तमिल फित्म ''मुंदरम पिराई'' की रीमेक थी. इस फिल्म को उनके द्वारा बनायी गई फिल्मों में बेहतरीन माना जाता है. यह फिल्म दो मुख्य पात्रों के बीच रिश्ते में शामिल भावनाओं को बहुत ही अच्छे ढंग से दर्शाती है. उनके द्वारा बनाई गई एक अन्य हिंदी फिल्म ''और एक पेम कहानी'' है जो एक युवा और उलकी नौकरानी के बीच के प्रेम के बारे में है और इसे यथार्थवादी और सरल तरीके से दर्शाया गया है.
उन्होंने एक मलयालम फिल्म यात्रा का निर्देशन किया जिसका तमिल में रीमेक किया गया था.
 
ऐसा माना जाता है कि महेंद्र ने डैविड लीन की फिल्म ''द ब्रीज इन द रिवर क्वाई '' की शुटिंग देखी और इतने प्रभावित हुए कि उन्होने फिल्मकार बनने का निर्णय ले लिया.
 
फिल्म निर्देशक [[मणिरत्नम्|मणि रत्नम]] ने अपनी पहली कन्नड़ फिल्म ''पल्लवी अनु पल्लवी'' के छायांकन पर कार्य के लिए महेन्द्र से संपर्क किया. यह बताया गया है कि उन्होने रत्नम के साथ काम करने मना कर दिया क्योंकि वे उन्हें उस समय एक नौसिखिया के रूप में मानते थे. उसके बाद से ही उन्होने रत्नम को उनके 'संक्रामक उत्साह' के लिए प्रशंसा किया.जब भी रत्नम ने उनसे संपर्क किया उन्होंने काम करने में झिझक महसूस नहीं किया. इसकी बजाय वे फिल्म को उत्साहपूर्वक करने पर तभी सहमत होते थे जब रत्नम उनसे मिलते और कहानी सुनाते थे.
 
एक छायाकार के रूप में महेंद्र की क्षमता ने कहानी को आगे बढ़ाने के एक प्रभावकारी माध्यम के रूप में दृश्यों के उपयोग में सहायता किया. उन्होंने तमिल सिनेमा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन किया, उन्होने लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और बुढ़ापे जैसे सामाजिक मुद्दों को ''संध्या रागम'' जैसी फिल्मों में उठाया. उनकी फिल्मों में महिलाएं दृढ़ता से बाहर आईं जैसा कि ''विदु'' (तमिलियन) में देखा जा सकता है.
 
बाद के दिनों में, उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर क्लिक नहीं किया और उसकी वित्तीय स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं रही, जिसका उन्होने एक साक्षात्कार में उल्लेख किया है.
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== उल्लेखनीय फिल्में ==
* ''अधु ओरु काना कालम'' (2005)
* ''जूली गणपति'' (2003)
* ''रमन अब्दुल्ला'' (1997)
* ''और एक प्रेम कहानी'' (1996)
* ''सती लीलावती'' (1995)
* ''मरुपदियम'' (1993)
* ''वन्ना वन्ना पूकल'' (1991)
* ''संध्या रागम'' (1989)
* ''विदु'' (1988)
* ''रेत्ताई वाल कुरुवी'' (1987)
* ''यात्रा'' (1985) - मलयालम
* ''नींगल केत्तावाई'' (1984)
* ''उन कन्निल नीर वाज्हिंथाल'' -
* ''सदमा'' (1983)
* ''पिराई मून्द्रम'' (1983)
* ''ऊमककुयिल'' (1983)-मलयालम
* ''निरीक्षण'' (1982)- तेलुगु
* ''ओलंगल'' (1982) - मलयालम
* ''मूदुपनी'' (1980)
* ''अज्हियाधा कोलंगल'' (1979)
* ''सोम्मोकदिधि सोकोकदिधि'' (1978)
* ''कोकिला'' (1977)-कन्नड़
 
== बाहरी लिंक्स ==
* {{imdb name|id=0536818|name=Balu Mahendra}}
सोम्बल
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सीमान (पान्जलनकुरिची, थम्बी) - हालांकि वह बालूमहेंद्र के लिए एक सहायक के रूप में काम नहीं किया है, फिर भी वह बालूमहेंद्र के बहुत करीब माने जाते हैं. उससे वह बहुत ज्यादा प्रेरित हैं.
 
== संदर्भ ==
{{reflist}}
 
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{{DEFAULTSORT:Mahendra, Balu}}
[[Categoryश्रेणी:जीवित लोग]]
[[Categoryश्रेणी:भारतीय फ़िल्म निर्देशक]]
[[Categoryश्रेणी:तमिल फ़िल्म निर्देशक]]
[[Categoryश्रेणी:तमिल भाषा के फिल्म निर्देशक]]
[[Categoryश्रेणी:श्रीलंका के तमिल लोग]]
[[Categoryश्रेणी:भारत के फिल्म और टेलीविजन संस्थान के पूर्व छात्र]]
[[Categoryश्रेणी:यूनिर्वसिटी ऑफ़ लंडन के पूर्व छात्र]]
[[Categoryश्रेणी:केरेला स्टेट फिल्म अवॉर्ड विजेता]]
[[Categoryश्रेणी:1946 में जन्में]]
 
 
[[en:Balu Mahendra]]