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मध्यकाय के प्रथम खंड की उरोस्थि (sternum) पर जननांगी प्रच्छद ढक्कन (genital operculum) पाया जाता है, जो दरार (cleft) से विभाजित, कोमल, मध्यस्थ, गोल पालि (lobe) हैं। इसके आधार पर जननांगी वाहिनी का मुँह होता हैं। दूसरे खंड की उरोस्थि से दो कंघीनुमा पेक्टिन (pectins) जुड़े होते हैं। क्रिया की दृष्टि से ये स्पर्शक (tactile) हैं।
 
मध्यकाय के तीसरे, चौथे, पाँचवें और छठे खंडों की उरोस्थियाँ बहुत चौड़ी होती हैं और प्रत्येक पर दो तिर्यक् रेखाछिद्र (oblique slits) रहते हैं, जिन्हें बदुदृक् (stigmata) कहते हैं। ये फुफ्फुसी कोश (Pulmonary sacs) में पाए जाते हैं। शेष मध्यकायिक तथा मेटासोमा के खंड उपांगविहीन होते हैं।
 
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