"मीठड़ी मारवाड़": अवतरणों में अंतर

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[[File:मौजी दास जी की धूणी मीठड़ी मारवाड़..jpg|thumb|सांगलिया पीठ के अधीन ग्राम मीठड़ी मारवाड़ में स्थापित धूणी, जो मौजी दास जी की धूणी के नाम से प्रसिद्ध है। यह हिन्दू मुस्लिम दोनों ही धर्मों के ग्राम जनों का श्रद्धा का केन्द्र है।]]
 
== ''' सार्वजनिक सुविधाएँ ''' ==
 
ग्राम प्रारम्भ से ही वणिक जनों की जन्म भूमि एवम् कर्म भूमि रहा था अस्तु सार्वजनिक सुविधाओं की उपलब्धता की दृष्टि से सदैव सौभाग्यशाली रहा है। एक नगर स्तर की सभी सुविधाओं से ग्राम लाभान्वित रहा है ।
 
[[अ. ===शैक्षणिक सुविधाएँ -]]===
 
शिक्षा के प्रति ग्राम जनों की जागरूकता का प्रतीक है यहाँ का राजकीय सीनियर सैकण्डरी विध्यालय, जो स्वतंत्रता के पूर्व उस समय प्राथमिक पाठशाला के रूप में स्थापित हुआ था जब वर्तमान समीपस्थ शहरों यथा डीडवाना, जसवंत गढ़, लाडनूं, सुजानगढ़ में कोई भी तथा किसी भी स्तर का राजकीय शिक्षणालय नहीं था। माननीय जोधपुर महाराजा के आदेशों से १९२९ में सतही तौर पर एवम् १९३१-१९३२ सत्र से औपचारिक रूप से विध्यालय की स्थापना हुई जिसका तात्कालीन नाम [[श्री दरबार हिन्दी लोअर प्राईमरी पाठशाला]] था। पाठशाला का प्रथम वैधानिक सत्र दो कक्षाओं - प्रथम एवम् द्वितीय से प्रारम्भ हुआ था जिनकी कुल छात्र संख्या ४३ थी। पाठशाला का प्रबंधन [[जिला शिक्षणालय नागौर]] के अधीन था। यहाँ नियुक्त प्रथम अध्यापक श्री मेघराज शर्मा थे। विध्यालय के लिए एक विशाल सुदृढ़ भवन ग्राम के भामाशाह श्री जीवन राम जैसराज गाड़ोदिया नें जनहित में दान दिया। १९५१ में विध्यालय एक नए विशाल ,सुंदर तथा भव्य भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया जिसका निर्माण भामाशाह फर्म श्रीमान् राम दयाल घासी राम बद्रुका हैदराबाद दक्षिण निवासी नें करवाया था। इसी सत्र १९५१-५२ में विध्यालय उच्च प्राथमिक स्तर में क्रमोन्नत हुआ। पुराना भवन विध्यालय से जुड़े हुआ छात्रावास में परिवर्तित कर दिया गया जो आज भी [[जीवन छात्रावास]] के नाम से विध्यालय से सम्बन्धित अवयव है। १९६६ में राज्य सरकार नें विध्यालय को माध्यमिक स्तर में क्रमोन्नत कर दिया जो उस समय लगभग २० किमी. की परिधि में एक मात्र माध्यमिक विध्यालय था। कई दूरस्थ गाँवों के छात्र यहाँ की छात्रावास सुविधा का लाभ उठा कर अध्ययन करते थे। प्राथमिक कक्षाओं को गाँव के मध्य स्थित एक अन्य भवन में स्थानान्तरित कर दी गयी जिसे [[राजकीय पटवारी प्राथमिक पाठशाला]] के रूप में जाना जाता है। माध्यमिक विध्यालय में ग्राम के अन्य अग्रवाल भामशाह परिवारों यथा पटवारी, बाजारी, भड़ेच, कन्दोई आदि नें नवीन कक्षों का निर्माण करवा कर विध्यालय को भौतिक संसाधनों से समृद्ध कर दिया। १९९५ में राज्य सरकार नें इसे सीनियर सैकण्डरी विध्यालय का स्तर प्रदान कर दिया तथा दो वैकल्पिक विषयों मानविकी तथा वाणिज्य संकाय का अध्ययन प्रारम्भ हुआ। यह विध्यालय राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का परीक्षा केन्द्र भी है। वर्तमान में विध्यालय में कक्षा नवीं से बारहवीं तक अध्ययन होता है। ग्राम में राजकीय स्तर पर शिक्षा प्रदान करनें वाली संस्थाओं की सूची निम्न है -
* १.राजकीय सीनियर सैकंडरी विध्यालय ।<ref name=राजकीय सीनियर सैकंडरी विध्यालय ।</ref>http://www.meetharischool.blogspot.incom></ref>
* २.राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विध्यालय ।
* ३.राजकीय बाजारी उच्च प्राथमिक विध्यालय ।
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[[ब. ===चिकित्सा एवम् स्वास्थ्य सुविधाएँ -]]===
 
[[File:राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मीठड़ी मारवाड़..jpg|thumb| १९५१ में स्थापित "राष्ट्रीय औषधालय" जो वर्तमान में (२०१३) में राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में क्रमोन्नत हो चुका है।]]|
ग्राम में सन् १९५१ में स्थापित [[राष्ट्रीय औषधालय]] है जिसे १९६१-६२ में राजकीय प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र के रूप में मान्यता मिल गई थी । वर्तमान वित्त वर्ष में २०१२-२०१३ में राज्य सरकार नें इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में क्रमोन्नत कर दिया है।
 
[[स. ===जल प्रबंधन-]]===
 
एक मरूस्थलीय अथवा अर्द्ध मरूस्थलीय ग्रामीण परिवेश में जल की सुगम एवम् पर्याप्त प्राप्ति सर्वाधिक महत्तवपूर्ण आवश्यकता है। ग्राम की भूमि उस भूपटी का एक भाग है जो फतेहपुर से डीडवाना तक संकरे स्वरूप में फैली हुई है। डीडवाना क्षेत्र लवणीय उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। ग्राम की समस्त भूमि में अत्याधिक लवणता तथा फ्लोराईड की उपस्थिति के कारण जहाँ कृषि कार्यों के लिए नितांत प्रतिकूल तो है ही इसके अतिरिक्त न तो पेयजल के योग्य है न ही नहाने धोनें के । अस्तु पेयजल एवम् प्रक्षालन आदि कार्यों के लिए मीठे जल की पूर्ति एक गम्भीर समस्या रही है। ग्राम के आबादी क्षेत्र एवम् खेतों में कतिपय कुँओं का निर्माण जन हितार्थ कई वणिक परिवारों नें करवाया था परन्तु किसी स्त्रोत से मीठे जल की प्राप्ति नहीं हुई। १९८० से पूर्व तक पेयजल की आपू्र्ति गहन समस्या रही थी । ग्राम के लगभग प्रत्येक परिवार के आवास में गहरा जलकुण्ड बनानें की परम्परा पुरानें समय से ही रही है जिसमें बरसात के पानी को संग्रहित रख कर पेयजल के रूप में वर्ष भर प्रयोग में लिया जाता था तथा यह व्ववस्था आज भी ग्राम के प्रत्येक परिवार द्वारा अपनायी जाती है। ग्राम में पेयजल की आपूर्ति हेतु राजकीय स्तर पर प्रबन्ध १९८० से प्रारम्भ हुए जब झिलमिल गाँव (तहसील-लक्ष्मण गढ़,जिला-सीकर) में नलकूपों का जल समीपस्थ गाँव फिरवासी तक वहाँ बनें उच्च जलाशय के माध्यम से मीठड़ी तक पहुँचाया गया। प्रारम्भ में व्यवस्था ठीक रही परन्तु अन्य गाँवों को भी इस लाईन से जोड़े जानें के बाद धीरे धीरे जल आपूर्ति अपर्याप्त हो गई। इस स्थिति में सुधार सन् १९९७ में आया जब गाँव के भामाशाह बाजारी परिवार नें आर्थिक सहयोग देकर मीठड़ी की श्मशान भूमि के दक्षिणी छोर पर उच्च जलाशय निर्मित हुआ तथा नेछवा ग्राम (तहसील-लक्ष्मण गढ़,जिला-सीकर) में नए नलकूप खोद कर नई पाईप लाईन डाली गई। इसके पश्चात एक अन्य उच्च जलाशय का निर्माण भी हुआ। ग्राम में जलदाय विभाग का कार्यालय स्थापित किया गया जहाँ कनिष्ठ अभियन्ता अन्य कार्मिकों के साथ गाँव की जल वितरण व्यवस्था को सम्भालता है। गाँव का लगभग प्रत्येक आवास जलदाय विभाग की जल वितरण प्रणाली से जुड़ा हुआ है।
 
[[द.===भारत निर्माण राजीव गाँधी सेवा केन्द्र]]===
 
[[File:Photo0662.jpgपरप.jpg|thumb|भारत निर्माण राजीव गाँधी सेवा केन्द्र ग्राम पंचायत - मीठड़ी मारवाड़]]
राजस्थान राज्य की जनता एवम सरकार के मध्य सम्बन्धों को समीपता परदान करनें तथा राजकीय कामों में पारदर्शिता लानें के उदे्दश्य के साथ राज्य के मुख्यमंत्री [[श्रीमान् [[अशोक गहलोत]] नें [[जोधपुर]] में [[राजीव गांधी भारत निर्माण सेवा केन्द्र]] की आधारशिला रख कर [[भारत निर्माण योजना]] को साकार किया। मुख्यमंत्री नें ५ अगस्त २०१२ रविवार को प्रात: [[जोधपुर]] जिला कलेक्ट्रेट परिसर में राजीव गांधी भारत निर्माण सेवा केन्द्र की आधारशिला रखी और शिलान्यास कर एक महत्ती योजना का श्री गणेश किया। यह योजना भारत निर्माण के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में एक समान सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार की इस प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सरकार के कार्यक्रमों व योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा आम आदमी को लाभ पहुँचानें के लिए यह योजना एक कारगर उपागम सिद्ध हो सकती है। यह योजना जनप्रतिनिधि, अधिकारी वर्ग के साथ आम आदमी तीनों मिलकर समन्वय तथा सामंजस्य बनाकर कार्य करें, के मूल मंत्र पर आधारित है । योजना से राज्य में अब गांव-गांव और ढाणी-ढाणी के व्यक्तियों को भी सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार के साधन और शहरों के समान सुविधाएं उपलब्ध होने लगी है। यह अधिनियम देश में प्रथम बार राजस्थान में लागू किया गया है जिसके तहत आम जनता को उसके निवास स्थान के नजदीक सुनवाई का अवसर प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। जनता के समय पर कार्य हों, अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखें। इसी योजना के तहत मीठड़ी गाँव में उक्त केन्द्र का निर्माण [[राजकीय सीनियर सैकण्डरी विध्यालय]] के सामनें, डीडवाना रोड़ के पश्चिमी पार्श्व में हुआ। नव निर्मित भवन में कार्यालय (चैम्बर), प्रतीक्षा कक्ष एवं निजी सहायक का कमरा, बड़ा प्रतीक्षा हॉल, [[एकल खिड़की]], सुगम एवं शिकायत कक्ष तथा सामान्य शौचालय की सुविधाएँ है। केन्द्र को बहु उपयोगी तथा बहु उद्देशीय स्वरूप देनें के लिए ऑन लाईन व्यवस्था हेतु ब्रॉड बैण्ड इन्टरनेट से जोड़ा गया है तथा एक कम्प्यूटर ऑपरेटर को नियुक्त किया गया है। इस केन्द्र का उदघाटन कृषि मंत्री जो स्थानीय विधायक भी है श्रीमान् [[ हरजी राम बुरड़क ]] के कर कमलों से हुआ।
 
[[य. ===राजकीय पशु चिकित्सालय मीठड़ी]]===
 
मीठड़ी की पूर्व दिशा में सदर बाजार से लगभग १५ किमी की दूरी सार्वजनिक गौचर भूमि का ५०० बीघा क्षेत्र है। इस गौचर क्षेत्र की स्थापना [[हैदराबाद]] दक्षिण प्रवासी मानावत जिन्हें श्री बद्री नारायण जी की संतति होनें के कारण [[बद्रुका]] उपाख्य नाम से जाना जा था के वंशज युग पुरूष [[राजा साहिब बंकट लाल बद्रुका]] के नेतृत्तव में सम्पन्न हुई थी। अब ग्राम की आवासीय बस्तियाँ यहाँ तक पहुँच गई है जिसे समग्र रूप से [[इन्दिरा कॉलोनी]] के नाम से जाना जाता है। गौचर भूमि के प्रारम्भ में ही [[राजकीय पटवारी पशु चिकित्सालय]] का भवन तथा विशाल परिसर स्थित है। आस पास के १५ से २० गाँवों के लिए पशुओं की चिकित्सा का एक मात्र अस्पताल है। वर्तमान वित्त वर्ष २०१२ - १३ में राज्य सरकार नें पशुओं के लिए निशुल्क दवाईयाँ प्रदान करनें की योजना नें इस अस्पताल को बहु उद्देश्यीय बना दिया है।
 
 
[[र. ===श्री भड़ेच भवन.]]===
 
 
[[ल. ===बैकिंग सुविधाएँ-]]===
 
ग्राम बैंकिग सुविधा की दृष्टि से ज्यादा लाभान्वित नहीं है। यध्यपि ग्राम में १० से अधिक केन्द्र एवम् राज्य सरकार के उपक्रम है साथ ही आस पास के लगभग १५ - १६ गाँव भी प्राथमिक सुविधाओं के लिए इसी ग्राम पर निर्भर है। साथ ही कम से कम २५० पेंशनर्स जिनमें अधिकाँश रिटायर्ड सैनिक हैं यहाँ रहते हैं परनतु अभी तक कोई राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा प्रारम्भ न होना विचारणीय तथ्य है। क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करनें वाली एक बैंक [[जयपुर थार ग्रामीण बैंक]] की शाखा अवश्य १९८४ से यहाँ कार्यरत है परन्तु इस बैंक का कार्य क्षेत्र सीमित है। ग्राम में एक [[सहकारी बैंक]] भी है परन्तु उसका कार्यक्षेत्र ग्राम में सहकारी स्तर तक ही है। ग्राम में किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा की स्थापना होना प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक है. ग्राम जन वर्तमान में बैंकिग सुविधा के लिए डीडवाना, लाडनूं, गनेड़ी अथवा सुजानगढ़ जाते हैं ।
[[ल. बैकिंग सुविधाएँ-]]
 
ग्राम बैंकिग सुविधा की दृष्टि से ज्यादा लाभान्वित नहीं है। यध्यपि ग्राम में १० से अधिक केन्द्र एवम् राज्य सरकार के उपक्रम है साथ ही आस पास के लगभग १५ - १६ गाँव भी प्राथमिक सुविधाओं के लिए इसी ग्राम पर निर्भर है। साथ ही कम से कम २५० पेंशनर्स जिनमें अधिकाँश रिटायर्ड सैनिक हैं यहाँ रहते हैं परनतु अभी तक कोई राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा प्रारम्भ न होना विचारणीय तथ्य है। क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करनें वाली एक बैंक [[जयपुर थार ग्रामीण बैंक]] की शाखा अवश्य १९८४ से यहाँ कार्यरत है परन्तु इस बैंक का कार्य क्षेत्र सीमित है। ग्राम में एक [[सहकारी बैंक]] भी है परन्तु उसका कार्यक्षेत्र ग्राम में सहकारी स्तर तक ही है। ग्राम में किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा की स्थापना होना प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक है. ग्राम जन वर्तमान में बैंकिग सुविधा के लिए डीडवाना, लाडनूं, गनेड़ी अथवा सुजानगढ़ जाते हैं ।
 
[[व. जल निकास प्रणाली]]
 
भारतीय आदि सभ्यता [[सिन्धु नदी घाटी सभ्यता]] में नगर स्थापना पूर्व नियोजित होती थी जिसकी आधार पीठिका सड़कों को सामानान्तर रूप से काटता जाल होता था। । ग्राम मीठड़ी की बसावट यध्यपि उस पुरातन नगर नियोजन की भाँति तो कतई नहीं है परनतु जैसा की उपर कई बार उल्लेख किया जा चुका है कि अग्रवाल जनों की निवास स्थली होनें का प्रतिफल सदैव ग्राम हित में होता रहा है। ग्राम की मुख्य बस्ती जहाँ आबाद हुई वह वास्तव में भूमि का अधोतल थी। बरसात के पानी का आम गुवाड़ में होना सामान्य बात थी जो जनसंख्या एवम् आवासों के बढ़नें से धीरे धीरे गम्भीर समस्या बनना शुरू हो गई। इस समस्या का समाधान 1957 में ग्राम के भड़ेच परिवार की वंशावली में ग्राम राम की सेवार्थ ही जन्म लेनें वाले युग पुरूष महामना [[बंशीधर जी भड़ेच]] के द्वारा हुआ। श्रीमान् नें संपूर्ण खर्चा स्वयं वहन कर आम गुवाड़ से लेकर लगभग ५०० मीटर दूरी लम्बे तथा ६ फीट गहराई वाले नाले का निर्माण करवाया। नाले की समाप्ति जहाँ होती है वहाँ लम्बी चौड़ी गहरी तलैया भी उन्होनें ही खुदवाई। आज ६० वर्ष से भी अधिक समय व्यतीत होनें के बाद भी यह नाला ज्यों का त्यों है साथ ही बह तलैया भी विध्यमान है जिसे आजकल [[गेनाणी]] कहा जाता है। वर्तमान में ग्राम पंचायत नें गाँव की प्रत्येक गली और रास्तों के दोनों ओर कहीं खुली तो कहीं बंद नालियों का पक्का निर्माण करवा कर उन्हें उक्त पुरानें नाले से जोड़ दिया है। आज गाँव के आम गुवाड़ तथा किसी भी मोहल्ले में बरसाती पानी एवम् कीचड़ इत्यादि नहीं रहता है। पर एक नवीन समस्या अवश्य खड़ी हुई है, जिस गेनाणी का निर्माण कभी गाँव की आबादी से काफी दूर माना गया था वह आज कायमखानियों के मोहल्ले के लगभग मध्य में आ गई है, जिससे समीपस्थ आवासों के निवासियों का वर्षा काल [[( चौमासा )]] में रहना दूभर हो जाता है।
 
 
[[व. ===जल निकास प्रणाली]]===
 
भारतीय आदि सभ्यता [[सिन्धु नदी घाटी सभ्यता]] में नगर स्थापना पूर्व नियोजित होती थी जिसकी आधार पीठिका सड़कों को सामानान्तर रूप से काटता जाल होता था। । ग्राम मीठड़ी की बसावट यध्यपि उस पुरातन नगर नियोजन की भाँति तो कतई नहीं है परनतु जैसा की उपर कई बार उल्लेख किया जा चुका है कि अग्रवाल जनों की निवास स्थली होनें का प्रतिफल सदैव ग्राम हित में होता रहा है। ग्राम की मुख्य बस्ती जहाँ आबाद हुई वह वास्तव में भूमि का अधोतल थी। बरसात के पानी का आम गुवाड़ में होना सामान्य बात थी जो जनसंख्या एवम् आवासों के बढ़नें से धीरे धीरे गम्भीर समस्या बनना शुरू हो गई। इस समस्या का समाधान 1957 में ग्राम के भड़ेच परिवार की वंशावली में ग्राम राम की सेवार्थ ही जन्म लेनें वाले युग पुरूष महामना [[बंशीधर जी भड़ेच]] के द्वारा हुआ। श्रीमान् नें संपूर्ण खर्चा स्वयं वहन कर आम गुवाड़ से लेकर लगभग ५०० मीटर दूरी लम्बे तथा ६ फीट गहराई वाले नाले का निर्माण करवाया। नाले की समाप्ति जहाँ होती है वहाँ लम्बी चौड़ी गहरी तलैया भी उन्होनें ही खुदवाई। आज ६० वर्ष से भी अधिक समय व्यतीत होनें के बाद भी यह नाला ज्यों का त्यों है साथ ही बह तलैया भी विध्यमान है जिसे आजकल [[गेनाणी]] कहा जाता है। वर्तमान में ग्राम पंचायत नें गाँव की प्रत्येक गली और रास्तों के दोनों ओर कहीं खुली तो कहीं बंद नालियों का पक्का निर्माण करवा कर उन्हें उक्त पुरानें नाले से जोड़ दिया है। आज गाँव के आम गुवाड़ तथा किसी भी मोहल्ले में बरसाती पानी एवम् कीचड़ इत्यादि नहीं रहता है। पर एक नवीन समस्या अवश्य खड़ी हुई है, जिस गेनाणी का निर्माण कभी गाँव की आबादी से काफी दूर माना गया था वह आज कायमखानियों के मोहल्ले के लगभग मध्य में आ गई है, जिससे समीपस्थ आवासों के निवासियों का वर्षा काल [[( चौमासा )]] में रहना दूभर हो जाता है।
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
 
== '''ग्राम चित्रावली''' ==